World Environment Day 2023: बढ़ रही प्रदूषण और प्लास्टिक की समस्या! निगम को नहीं स्वास्थ्य की चिंता

Edited By Vatika,Updated: 05 Jun, 2023 10:59 AM

world environment day 2023

निगम इन्हें लेकर कोई कार्य योजना तक नहीं बना पाया उससे साफ लग रहा है कि जालंधर निगम को लोगों के स्वास्थ्य की कोई चिंता ही नहीं है ।

जालंधर(खुराना): कभी पंजाब का सबसे सुंदर शहर माना जाता जालंधर आज  टूटी सड़कों और साफ-सफाई तथा कूड़े की गंभीर समस्या से जूझ रहा है परंतु इसी के साथ-साथ प्रदूषण और प्लास्टिक की समस्या ने भी लाखों लोगों को परेशान कर रखा है । जिस तरह  से यह समस्याएं पिछले कुछ समय से निरंतर बढ़ रही हैं और निगम इन्हें लेकर कोई कार्य योजना तक नहीं बना पाया उससे साफ लग रहा है कि जालंधर निगम को लोगों के स्वास्थ्य की कोई चिंता ही नहीं है ।

प्रदूषण की बात करें तो आज जालंधर की ज्यादातर सड़कों पर मिट्टी पड़ी है जो पाईपें डालने के काम के दौरान निकली और वही मिट्टी वाहनों के चलने से उड़कर पूरे वातावरण को गंदा कर रही है । पर्यावरण की ओर भी निगम का कोई ध्यान नहीं है और ना ही ग्रीनरी की जा रही है । प्लास्टिक की बात करें तो करीब 6-7  साल पहले इस पर राज्य सरकार ने ही प्रतिबंध लगा रखा है परंतु आज शहर के हजारों दुकानदारों के पास प्लास्टिक के लिफाफे आम देखे जा सकते हैं और इन्हें बेधड़क प्रयोग में लाया जा रहा है । पंजाब  पर काबिज आम आदमी  पार्टी के नेताओं के पास भी प्रदूषण ,  पर्यावरण असंतुलन और प्लास्टिक की समस्या को लेकर कोई विजन नहीं है और ना ही कभी कोई विशेष अभियान ही चलाया गया । 

दुकानदारों की चैकिंग तक नहीं कर रहा निगम
शहर से संबंधित ‘ आप ‘  नेताओं को लोगों के स्वास्थ्य की कितनी फिक्र है इसका अंदाजा इसी बात से चल जाता है कि आज शहर में निगम दुकानदारों की कोई चैकिंग नहीं कर रहा । हालांकि कांग्रेस सरकार के समय  स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम ने संयुक्त रूप से टीमें बनाकर ढाबे वालों , बेकरी वालों और हलवाईयों के चालान काटने का सिलसिला शुरू किया था जहां उन्हें गंदगी दिखाई देती थी या प्लास्टिक के लिफाफे प्रयोग किए जा रहे थे । परंतु अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा । यही कारण है कि आज दुकानदार  साफ-सफाई तक की परवाह नहीं कर रहे ।


बन रहे , बिक रहे और इस्तेमाल हो रहे प्लास्टिक के लिफाफे
केंद्र और राज्य सरकार ने प्लास्टिक के लिफाफे पर प्रतिबंध लागू कर रखा है परंतु इसके बावजूद जालंधर जैसे बड़े शहरों में प्लास्टिक के लिफाफे बनाए भी जा रहे हैं , बेचे भी जा रहे हैं और प्रयोग में भी लाए जा रहे हैं । शहर में अगर 50 हजार से ज्यादा दुकानदार हैं तो उनमें से 45 हजार दुकानदार प्लास्टिक के लिफाफे का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं ।  इसके अलावा थर्मोकोल के डिस्पोजेबल , प्लास्टिक की पैकिंग का सामान तथा कटलरी इत्यादि भी सरेआम बेची जा रही है । निगम ने इन सभी व्यापारियों को खुली छूट दे रखी है ।

दिल्ली व अन्य शहरों से सरेआम आ रहा है प्रतिबंधित प्लास्टिक
केंद्र तथा राज्य सरकार के विभागों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इत्यादि से कई अनुमतियां  लेकर बायोडिग्रेडेबल लिफाफे बनाने वाले यूनिटों के संचालकों को आस थी कि प्लास्टिक के लिफाफे पर प्रतिबंध के बाद उनका कारोबार चमकेगा परंतु ऐसा हो नहीं पाया क्योंकि जालंधर निगम जैसे सरकारी विभागों ने इस मामले में बिल्कुल ही सख्ती  नहीं की । आज केवल चंद दुकानों पर ही बायोडिग्रेडेबल लिफाफे प्रयोग में लाए जा रहे हैं ।  नगर निगम और प्रदूषण विभाग प्लास्टिक के विरोध में कई जागृति अभियान चला चुका है परंतु सब कागजों में ही चल रहे हैं ।  आज भी मकसूदां  सब्जी मंडी  , पुरानी सब्जी मंडी , गुड मंडी  ,  अटारी बाजार , शेखां बाजार ,  रैनक  बाजार जैसे क्षेत्रों में हजारों दुकानदार खुलकर प्लास्टिक के लिफाफे का प्रयोग कर रहे हैं  । इन क्षेत्रों में ऐसे गोदाम भी हैं जहां टनों  के हिसाब से प्रतिबंधित प्लास्टिक जमा है । ऐसे प्रतिबंधित लिफाफे इत्यादि सरेआम दिल्ली और अन्य शहरों से आ रहे हैं जिन पर कोई रोक टोक नहीं है । निगम ने अभी तक कॉर्न स्टार्च से बने  कैरी बैग को प्रोत्साहित करने के लिए भी कोई अभियान नहीं चलाया है जिस  कारण शहर में साफ सफाई की समस्या निरंतर बिगड़ती चली जा रही है ।

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