नहरों की टेलों तक पहुंचा पानी, नरमा उत्पादकों की बदलेगी किस्मत

Edited By Urmila,Updated: 20 May, 2023 01:36 PM

water reaches canal tails the fortunes of narma producers will change

किसानों का सफेद सोना यानी की नरमा इस बार कई सालों बाद किसानों के दिन फिरने का सबब बनेगा।

फाजिल्का  (नागपाल): किसानों का सफेद सोना यानी की नरमा इस बार कई सालों बाद किसानों के दिन फिरने का सबब बनेगा। ऐसा मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा किसानों को नहरों की टेलों तक सिंचाई के लिए समय पर पूरा पानी उपलब्ध करवाने से संभव हुआ है। इसी का नतीजा है कि फाजिल्का जिले में 81,725 हैक्टेयर क्षेत्रफल में नरमे की बिजाई पूरी हो चुकी है जोकि इस साल के नरमे की बिजाई के लिए निर्धारित लक्ष्य का लगभग 78 प्रतिशत बनता है।

पिछले कुछ सालों से नरमे की फसल को अलग-अलग बीमारियां लग रही थीं और किसानों की यह नकदी फसल अलग-अलग कीड़ों का शिकार होकर किसानों के लिए घाटे का सौदा सिद्ध हो रही थीं। किसानों का मानना है कि पिछले सालों दौरान नरमे की फसल के असफल होने का मुख्य कारण नरमे की बिजाई पिछड़ जाना रहा था परन्तु इस बार पंजाब की यह पारम्परिक फसल मालवा से संबंधित किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का आधार बनेगी।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नरमे की बिजाई अग्रिम हो जाए तो शुरूआती अवस्था में फसल अच्छा विस्तार कर लेती है और फिर स्वस्थ पौधे किसी भी कीड़े या बीमारी का मुकाबला सहजता से कर लेते हैं। यदि बिजाई पिछड़ जाए तो अभी पौधे अपना प्रारंभिक विकास भी कर नहीं पाते कि सफेद मक्खी का हमला फसल का नुक्सान कर देता है।

नरमे की समय पर बिजाई के लिए प्राथमिक जरूरत नहरी पानी होता है। नरमा खास कर उन क्षेत्रों में होता है जहां धरती के नीचे पानी अधिक अच्छा नहीं है और सिंचाई के लिए नहरी पानी का उपयोग होता है। फाजिल्का जिले का बड़ा हिस्सा भी इसी श्रेणी में आता है, जहां नरमे की फसल पूरी तरह नहरी पानी की उपलब्धता पर आधारित होती है। इस जिले के खुईयां सरवर, अबोहर और फाजिल्का ब्लाक में मुख्य तौर पर और जलालाबाद ब्लाक के एक हिस्से में नरमे की खेती होती है। नहरें जिस इलाके से गुजरती हैं वहां धान की फसल को पानी की जरूरत जून के मध्य में शुरू होती है जबकि नरमे के लिए पानी की जरूरत अप्रैल के पूर्वाध से होती है। पिछले सीजन में समय पर पानी उपलब्ध न होने की मार नरमा पट्टी के किसान सहन करते थे जिससे उन्हें नुक्सान होता था।

जिले के गांव दानेवाला के किसान सोहन सिंह का कहना है कि पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ मिलनी करके उनसे पूछा कि पानी की कब जरूरत है और फिर हमारी मांग पर अप्रैल के पूर्वाध से नहरों में पानी छोड़ दिया और अब तक सभी नहरों में पूरा पानी दिया जा रहा है। इस कारण क्षेत्र के बागवानों विशेष कर किन्नू के बागों के लिए पानी किसानों को मिल सका और साथ ही साथ किसान नरमे की बिजाई भी शुरू कर सके।
इसी गांव के नौजवान किसान गुरजीत सिंह और गुरभेज सिंह कहते हैं कि अग्रिम बिजाई के साथ नरमे की भरपूर फसल होने की उम्मीद आम हालातों की अपेक्षा दोगुनी हो जाती है।

गांव अच्चाड़िकी जोकि मलूकपुरा नहर की टेल पर पड़ोसी राज्य राजस्थान की सीमा के साथ लगता है, के किसान जगजीत सिंह ने नरमे की बिजाई कर भी ली है। जगजीत का कहना है कि सफेद मक्खी का हमला जून के मध्य या जुलाई के शुरू होता है। तब तक यह फसल काफी बढ़ जाएगी और सफेद मक्खी का मुकाबला करने के समर्थ होगी। उसके अनुसार लम्बे समय बाद टेल पर नहरें लगातार पूरी चल रही हैं। जिले के अन्य गांव धरांगवाला के नौजवान प्रगतिशील किसान मनजीत सिंह जो इस बार समय पर नरमे की बिजाई कर सका है, ने कहा कि सब कुछ उपलब्ध होने पर फसल के समय पर बिजाई का तो हमेशा ही लाभ रहता है। इस बार सरकार ने समय पर नरमे के लिए पानी दिया है तभी उसने इस बार अधिक नरमा बीजा है और धान के अंतर्गत क्षेत्रफल घटाएगा। 

गांव दौलत पुरा के किसान जगदेव सिंह का कहना है कि समय पर पानी की सप्लाई होने से किन्नू के बागों को बहुत लाभ हुआ है क्योंकि पिछले साल गर्मी और पानी की कमी कारण बागों का बहुत नुक्सान हुआ था। गांव डंगर खेड़ा के किसान खजान चंद के अनुसार 15 एकड़ नरमे की बिजाई कर ली है और गेहूं से खेत खाली होते ही पानी मिल जाने से यह संभव हुआ है।

नरमे की बिजाई में फाजिल्का जिला है अग्रणी

फाजिल्का की डिप्टी कमिश्नर डा. सेनू दुग्गल ने बताया कि पिछले साल 96,000 हैक्टेयर भूमि में नरमे की बिजाई की गई थी जबकि इस साल 1,05,000 हैक्टेयर में नरमे की बिजाई का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि समय पर मिले पानी का ही नतीजा है कि किसान 78 प्रतिशत हिस्से में बिजाई पूरी कर चुके हैं और आने वाले कुछ दिनों में ही लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद है। नरमे की बिजाई में फाजिल्का जिला इस समय बाकी जिलों के मुकाबले सबसे अग्रणी चल रहा है। इस तरह नरमे में क्षेत्रफल बढ़ने साथ धान के नीचे से क्षेत्रफल घटने से धरती निचले पानी की भी बचत होगी। फाजिल्का में ब्लाक अबोहर में 38,704 हैक्टेयर, ब्लाक खुईयां सरवर में 29,170 हैक्टेयर, ब्लाक फाजिल्का में 13,112 हैक्टेयर और ब्लाक जलालाबाद में 748 हैक्टेयर में नरमें की बिजाई हो चुकी है।

किसानों के लिए वरदान सिद्ध हुई नरमे के बीज पर सबसिडी 

मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा गेहूं व धान की फसलों से वैकल्पिक फसलों को उत्साहित करने के लिए अपनाई जा रही नीति के अंतर्गत राज्य सरकार ने नरमे के बीटी बीजों पर 33 प्रतिशत की सबसिडी दी है जो किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। गांव शेरगढ़ के किसान टिकन्न राम अनुसार बीटी बीज बहुत महंगे थे जिन पर नरमे की फसल की लागत का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता था। परन्तु सरकार ने पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन पोर्टल पर ही आवेदन लेकर सबसिडी देने के किए ऐलान के साथ नरमा उत्पादकों को बड़ी राहत मिली। जिला कृषि अफसर जंगीर सिंह अनुसार किसान ऑनलाइन सबसिडी के लिए अप्लाई कर रहे हैं इसलिए सरकार ने अंतिम तिथि भी 15 मई से बढ़ाकर 31 मई कर दी है।

नरमे की फसल पैदा करती है सबसे अधिक रोजगार के मौके

नरमे की फसल जहां किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी सिद्ध होती है, वहीं इसके साथ स्थानीय रुई फैक्टरियों के द्वारा औद्योगिक विकास को बढ़ौतरी मिलने के साथ-साथ इसके साथ खेत मजदूरों के लिए भी रोजगार के सर्वाधिक मौके पैदा होते हैं। नरमे में हाथ से नदीन निकालने और चुगाई जैसे काम पूरी तरह हाथ के साथ किए जाने वाले काम हैं जिसके साथ बड़ी मात्रा में लोगों को रोजगार मिलता है।

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