पंजाब की राजनीति में छाए चरणजीत चन्नी के यह किस्से आपने भी नहीं कभी सुने होंगे

Edited By Kalash,Updated: 27 Nov, 2021 02:27 PM

untold stories of famous politician charanjit channi

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब की राजनीति का केंद्र बिंदु बने हुए हैं। चन्नी की तरफ से धड़ाधड़ एक के बाद एक लिए जा रहे फैसले और दिन -रात लोगों में मौजुदगी जहां उनको राजनीतिक तौर पर मजबूत बना रही है।

जालंधर: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब की राजनीति का केंद्र बिंदु बने हुए हैं। चन्नी की तरफ से धड़ाधड़ एक के बाद एक लिए जा रहे फैसले और दिन -रात लोगों में मौजुदगी जहां उनको राजनीतिक तौर पर मजबूत बना रही है। इस दौरान ‘पंजाब केसरी’ के पत्रकार रमनदीप सिंह सोढी ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ विशेष बातचीत की। इस मुलाकात दौरान सी.एस. चन्नी ने जहां राजनीतिक मसलों पर बातें की, वहीं उन अपने पारिवारिक पृष्टभूमि को लेकर भी कई अनसुने किस्से सुनाए। 

बस्ता और बोरी लेकर स्कूल जाते थे चन्नी
वह गांव भजौली के प्राइमरी स्कूल में पढ़े हैं। उस समय सरकारी स्कूल एक गुरुद्वारा साहिब की इमारत में चलता था। ऊपर गुरुद्वारा था और नीचे हाल में क्लास लगती थी। उन्होंने बताया कि वह घर से ही बस्ते के साथ खाद वाली खाली बोरी लेकर जाते थे, जिसे जमीन पर बिछाकर ऊपर बैठते थे। उस वक्त डैस्क की व्यवस्था नहीं हुआ करती थी। उनके पिता जी उस समय टैंट का काम करते थे। वह गांव से खरड़ शहर शिफ्ट हो गए तो फिर उन्होंने खालसा स्कूल में दाखिला लिया। वहां छठी क्लास से लेकर 11वीं तक की पढ़ाई पूरी की। 12वीं क्लास उन्होंने खालसा कॉलेज चंडीगढ़ से पास की। उसके बाद चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की।

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ज्वाइंट फैमिली में रहते हैं सी.एम. चन्नी
मुख्यमंत्री चन्नी समेत वह 4 भाई हैं। उनके एक भाई ओवरसियर रहे, जो चीफ इंजीनियर तक पहुंचे। एक भाई डाक्टर है, उनके पिता चाहते थे कि एक लड़के को डाक्टर, एक को इंजीनियर, एक को वकील और एक लड़के को घर के कामकाज के लिए रखना है। वह उन्हों वकील बनाना चाहते थे, इसलिए चन्नी में वकालत की, पर वकील नहीं बन पाए। उनका तीसरा भाई घर का कामकाज देखता है और दो बहनें हैं जो शादीशुदा हैं। इनका संयुक्त परिवार है।

पिता की मेहनत और मां की पिटाई ने बना दिया सी.एम. 
चन्नी मानते हैं कि उनके पिता ने टैंट का काम करते हुए इतनी शिद्दत से मेहनत की जिससे उन्होंने पूरे परिवार का पेट भरा और सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान की। उन्होंने अपनी मां से बहुत मार खाई और प्यार भी इतना लिया कि बाकी भाई सोचते थे कि वह मां के ज्यादा करीब है। उनके पिता ने नैतिकता और दूसरों के लिए जीना सिखाया। पिता जी की शिक्षा के परिणामस्वरूप वह आजतक 19 बार खूनदान कर चुके हैं। उन्होंने दसवीं कक्षा में पहला खूनदान कैम्प लगाया था, जिसमें सबसे पहले खुद ही खूनदान किया। उसके बाद उन्होंने आंखों के कैम्प लगाने शुरू किए और यह सिलसिला आज सी.एम. बनने के बाद भी जारी है। यह सब माता-पिता की बदौलत ही हो रहा है।

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दूसरों को मिटाने की सोच नहीं रखनी चाहिए
सी.एम. से जब उनके फर्श से अर्श तक आने के अनुभव के बारे में पूछा गया तो जबाव था, "आपकी नीयत साफ होनी चाहिए, इमानदारी रहनी चाहिए, सोच साफ होनी चाहिए, अगर आपके पड़ोसी व दोस्त बड़े होंगे तो आप भी तरक्की करोगे, पंजाब आगे बढ़ेगा तो आप भी आगे बढ़ोगे। मेरे मुताबिक सोच बड़ी रखनी चाहिए और दूसरों को मिटाने की सोच नहीं रखनी चाहिए।"

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