भट्ठों का धुआं सांसों में घोल रहा जहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 01:17 PM

the smoke of the kilns is poisoned in the breath

आजकल जहां एक तरफ खेतों में किसानों की तरफ से पराली जलाकर आसमान पर धुएं का गुब्बार चढ़ाया जा रहा है, वहीं भट्ठों की चिमनियों में से लगातार और हर रोज निकल रहा धुआं मानवीय सांसों में जहर घोल रहा है। जानकारी के अनुसार फरीदकोट जिले में 100 के करीब भट्ठे...

फरीदकोट(हाली): आजकल जहां एक तरफ खेतों में किसानों की तरफ से पराली जलाकर आसमान पर धुएं का गुब्बार चढ़ाया जा रहा है, वहीं भट्ठों की चिमनियों में से लगातार और हर रोज निकल रहा धुआं मानवीय सांसों में जहर घोल रहा है। जानकारी के अनुसार फरीदकोट जिले में 100 के करीब भट्ठे हैं, जिन पर प्रति भट्ठा 1 लाख से अधिक ईंटें बनाईं और पकाईं जातीं हैं।

ईंटों को पकाने के लिए भट्ठों पर लगाई गई चिमनियां इस बात का सबूत हैं कि भट्टियों में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।देखने में आया है कि भट्ठा मालिक ईंटें पकाते समय कोयले की जगह लकड़ी के बूरे से बने गट्ठुओं के साथ ईंटें पकाते हैं। कोयले की कीमतों में जब से विस्तार हुआ है, तब से कई भट्ठों वाले कोयले के साथ-साथ गट्टू, नरमे की छिटियां और वृक्षों के पत्तों का प्रयोग करते हैं, जिससे धुएं की मात्रा में और विस्तार हो जाता है और ईंटों की पकाई में भी फर्क रह जाता है।

क्या कहते हैं लोग
भट्ठों के नजदीक रहने वाले धनजीत सिंह धनी और धर्मपाल ने बताया कि भट्ठों की चिमनियों में से निकलता धुआं अक्सर ही उनके घरों की छतों पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौसम बदलने के साथ छोटी-मोटी बीमारियां तो होती ही हैं लेकिन धुएं के कारण आंखों में जलन और गला खराब होने की बीमारियां उनको अक्सर ही रहती हैं। इस कारणवह इस संबंधी जरूरी दवाएं पहले ही घरों में प्रबंध करके रखते हैं।

क्या कहते हैं भट्ठा मालिक
भट्ठा मालिकों का कहना है कि भट्ठों पर कानून की पूरी तरह पालना की जा रही है और प्रदूषण विभाग की तरफ से भट्ठों और चिमनियों की जो ड्राइंग बनाकर दी जाती है, उसके अनुसार ही भट्ठों की चिमनी को लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि साल 2000 में विभाग की तरफ से पक्की चिमनियां, जो करीब 120 फुट ऊंची हैं, लगाने के लिए कहा गया था और इन नियमों के अंतर्गत ही अब नई चिमनियां बनाई हुई हैं।

भट्ठे का लाइसैंस लेते समय प्रदूषण विभाग सर्टीफिकेट जारी करता है और हर तरह का मौका देखता है। भट्ठा मालिकों ने कहा कि कई भट्ठे सरकारी नीतियों की भेंट चढ़कर बंद हो रहे हैं। भट्ठा मालिकों का कहना है कि इस समय भट्ठों का खर्च पैदावार के साथ पहले ही बढ़ा हुआ है, जिसके लिए कारोबार को लाभकारी बनाने के लिए नीतियों की जरूरत है।

क्या कहते हैं अधिकारी
प्रदूषण विभाग के आधिकारियों ने बताया कि सरकार ने नई तकनीक हाईड्राफ शुरू की है, जो पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब के कुछ बड़े शहरों में लागू कर दी गई है और अब यह तकनीक पंजाब के मालवा क्षेत्र में भी लागू की जा रही है। उन्होंने बताया कि माननीय अदालत के  फैसले अनुसार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधीन नई तकनीक के साथ लगने वाले भट्ठे बिल्कुल प्रदूषण रहित होंगे।

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