Edited By Vatika,Updated: 19 May, 2021 02:22 PM

फगवाड़ा में कोरोना वायरस को लेकर हालात बेहद ज्यादा गंभीर हो चुके है।
फगवाड़ा(जलोटा): फगवाड़ा में कोरोना वायरस को लेकर हालात बेहद ज्यादा गंभीर हो चुके है। कोरोना से मरने वालो की मृत्यु दर प्रतिशत के जो आंकड़े बने है वह अपनी सच्चाई खुद बयान कर रहे है। हालात कितने ज्यादा चिंताजनक बने है इसका आंकलन महज इस बात से की जा सकती है कि फगवाड़ा के गांवों और शहर में कोरोना से मरने की मृत्यु दर(डैथ रेट) महाराष्ट्र,दिल्ली,उत्तराखंड से बेहद ज्यादा है।

यह दर पंजाब में ओसत 2.38 प्रतिशत से भी कही ज्यादा है। ऐसे में यदि समय रहते अभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनो में परिस्थितियां बेहद ज्यादा जटिल हो सकती है। फगवाड़ा के गांवों में सरकारी रिपोर्टस से अनुसार कोरोना फैटेलिटी रेट(डैथ रेट) रिकाडऱ् 4.7 प्रतिशत बना हुआ है जो की बहुत ज्यादा है। जबकि शहरी जोन में कोरोना मृत्यु दर इससे लगभग आधी 2.82 प्रतिशत पर बनी हुई है। फगवाड़ा के ग्रामीण और शहरी जोन को यदि मिलाकर सीएफआर की ओसत निकाली जाए तो यह 3.76 प्रतिशत बनती है। बता दें कि महाराष्ट्र में यह दर 1.49 प्रतिशत,दिल्ली में 1.46 प्रतिशत और उत्तरखंड में 1.53 प्रतिशत के करीब चल रही है। जबकि पंजाब में ओसत मृत्यु दर 2.38 प्रतिशत दर्ज की गई है। अर्थात फगवाड़ा के गांवो में मृत्यु दर की प्रतिशत पूरे पंजाब के कोरोना डैथ रेट से लगभग दोगुणी,महाराष्ट्र,दिल्ली,उत्तराखंड के मुकाबले में रिकाडऱ् तीन गुणा ज्यादा बनी हुई है।
आंकड़ो के गणित में फगवाड़ा सब डिवजन में कोरोना की जारी दूसरी लहर में गांवों में अप्रैल 2021 में जहां सरकारी रिकाडऱ् के अनुसार 5 मौते हुई है तो मई में अभी तक 8 से ज्यादा मौते हो चुकी है और यह क्रम जारी है। इसी भांति शहरी इलाको में अप्रैल 2021 में जहां 11 मौते हुई है तो वहीं मई 2021 में अब तक 21 से ज्यादा मौते हो चुकी है और यह दौर तेजी से जारी है। सनद रहे कि यह वे आंकड़े है जिसकी पुष्टि पूरी तरह से स्वास्थय विभाग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है। इसके अतिरिक्त जो कुछ हो रहा है उसकी हकीकत बिना ज्यादा कहे और लिखे सबको पता है। इन बेहद ज्यादा गंभीर हो चुके हालात में यदि अब भी सरकारी अमला और जनता कोरोना महामारी को हल्के से ले रहा है तो यह समय की सबसे बड़ी त्रासदी ही होगी। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हम कोरोना से बचने हेतु सभी नियमों जैसे मुंह पर मास्क पहनना,समाजिक दूरी और संख्या नियमों की पालना,हाथो को साबुन अथवा सैनेटाइजर से साफ रखना आदि को सख्तीं से अपनाते है तो ही कोरोना को हरा पाएंगे। वहीं फगवाड़ा के शहरी और ग्रामीण इलाको में कोरोना फैटल्टी रेट(डैथ रेट)की जिलाधीश कपूरथला श्रीमति दीप्ति उप्पल ने संपंर्क करने पर आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है।
डैथ रेट का ज्यादा होना क्या ग्रामीण इलाको में कोरोना के कम बेहद टैस्ट हुए?
जानकारो की राय में डैथ रेट का ज्यादा होने का एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि फगवाड़ा के गांवों में लंबे समय से बेहद कम कोरोना टैस्ट हुए है। इनका तर्क है कि डैथ रेट इस पर सीधे तौर पर र्निभर करता है। अहम पहलू यह है कि फगवाड़ा के शहरी जोन में कोरोना वायरस से संक्रमित होकर बड़ी संख्या में लोगो की मौते हुई है। लेकिन शहरी इलाको का सीएफआर 2.82 प्रतिशत के करीब रहा है। इनके मुताबिक शहरी क्षेत्रों में कोरोना के टैस्ट ग्रामीण इलाको के मुकाबले में ज्यादा हुए हो सकते है। जरूरत इस बात की है कि गांवों और शहरी जोन में कोरोना टैस्टो की संख्या को बढ़ाया जाए।
फगवाड़ा के गांवों और शहरी इलाको में कोरोना डैथ रेट गंभीर चिंता का विषय: जोगिन्द्र सिंह मान
पंजाब के पूर्व मंत्री,पंजाब एग्रो के चेयरमैन और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा गठित डीसीसी कोविड़ 19 कंट्रोल रूम जिला कपूरथला के मैंबर जोगिन्द्र सिंह मान ने कहा है कि फगवाड़ा के ग्रामीण इलाको में सीएफआर रेट का 4.7 प्रतिशत और शहरी जोन में 2.82 प्रतिशत होना गंभीर चिंता का विषय है। श्री मान ने कहा कि इसे लेकर वे स्वास्थय मंत्री बलबीर सिंह सिद्वू को सारी जानकारी मुहैया करवा रहे है। कोरोना से मृत्यु दर को हर हालत में कम करना होगा।