कांग्रेस सरकार के समय चंडीगढ बैठे अफसरों से सैटिंग करके खाए गए स्मार्ट सिटी के पैसे

Edited By Urmila,Updated: 06 Jun, 2023 01:36 PM

smart city money was eaten by setting officers sitting in chandigarh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से करीब 8 साल पहले स्मार्ट सिटी मिशन की शुरूआत करके जालंधर को देश के पहले 100 शहरों में शामिल किया था।

जालंधर (खुराना): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से करीब 8 साल पहले स्मार्ट सिटी मिशन की शुरूआत करके जालंधर को देश के पहले 100 शहरों में शामिल किया था जिन्हें अरबों रुपए खर्च करके स्मार्ट बनाया जाना था। शहर को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने करोड़ों रुपए की ग्रांट भी जारी की परंतु इसके बावजूद जालंधर शहर जरा-सा भी स्मार्ट नजर नहीं आ रहा । पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार और पंजाब सरकार को जालंधर स्मार्ट सिटी के करीब-करीब हर प्रोजैक्ट में हुई धांधली संबंधी जो फीडबैक प्राप्त हो रहा था, उसके चलते जालंधर स्मार्ट सिटी कंपनी के कुछ भ्रष्ट अफसर (जो यहां से जा चुके हैं ) केंद्र और राज्य सरकार के राडार पर तो आ गए हैं पर यह भी एक तथ्य है कि कांग्रेस सरकार के समय जिन अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी का पैसा खाया, उन्होंने चंडीगढ़ बैठे अफसरों से पूरी सैटिंग कर रखी थी जिस कारण उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई ।

चंडीगढ़ से भर्तियां करके घोटालों की शुरूआत की गई

जालंधर स्मार्ट सिटी बारे केंद्र और राज्य सरकार तक जो फीडबैक पहुंचाया गया, उसमें अफसरों की भर्तियों संबंधी स्कैंडल भी शामिल है। आरोप है कि चंडीगढ़ में पूरी तरह सैटिंग करने के बाद नगर निगमों से रिटायर हुए अधिकारियों को स्मार्ट सिटी में भर्ती कर लिया गया। जिन अधिकारियों पर निगम में रहते करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उन्हें दोबारा मलाईदार पदों पर नौकरी दे दी गई। उन्होंने स्मार्ट सिटी में भी निगमों जैसा माहौल पैदा कर दिया और अपने चहेते ठेकेदार फिट करके खूब गोलमाल किया। अफ़सरों ने सवा-सवा लाख वेतन तो लिया पर कभी साइट विज़िट नहीं की जिस कारण ज्यादातर प्रोजैक्टों में जमकर घटिया मैटीरियल का इस्तेमाल हुआ। अब विजिलैंस ब्यूरो आने वाले समय में कड़ा एक्शन ले सकता है।

ठेकेदारों को पेमैंट देने पर रहा ज्यादा जोर

जालंधर स्मार्ट सिटी कंपनी अब तक शहर को स्मार्ट करने के नाम पर 1000 करोड़ से ज्यादा के प्रोजैक्ट शुरू कर चुकी है जिनमें से कुछ तो पूरे भी किए जा चुके हैं और ठेकेदारों को करोड़ों रुपए की अदायगी तक हो चुकी है। खास बात यह रही कि चंद अधिकारियों के कार्यकाल में ठेकेदारों को अदायगी पर ही सारा जोर लगा दिया गया । पिछले करीब 3-4 साल से जालंधर स्मार्ट सिटी के लगभग हर प्रोजैक्ट में कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार और घोर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं।

गौरतलब है कि पंजाब में स्मार्ट सिटी मिशन की देखरेख का जिम्मा पंजाब म्यूनिसिपल इन्फ्राट्रक्चर डिवैल्पमैंट कंपनी (पी.एम.आई.डी.सी.) के जिम्मे है। पी.एम.आई.डी.सी. के अधिकारियों ने जालंधर स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्ट की हर फाइल को क्लीयरैंस प्रदान की और वित्तीय रूप से भी स्मार्ट सिटी के कामों पर पूरी नजर रखी। इसके बावजूद जालंधर में स्मार्ट सिटी के नाम पर खुलकर पैसा बहाया गया और कई ऐसे प्रोजैक्ट रहे जहां खुलकर घटिया काम हुए। चंडीगढ़ बैठे अफसरों ने स्मार्ट सिटी जालंधर बारे आई हर शिकायत को सफाई से दबा दिया और सैटिंग का पुख्ता प्रमाण दिया।

थर्ड पार्टी की रिपोर्ट पर भी एक्शन क्यों नहीं लिया गया

कांग्रेस की सरकार के दौरान कांग्रेस के ही विधायक, मेयर तथा लगभग सभी पार्षद शोर मचाते रहे कि जालंधर स्मार्ट सिटी में भारी स्तर पर गड़बड़ी हो रही है परंतु चंडीगढ़ बैठे किसी अधिकारी ने इसकी जांच के आदेश नहीं दिए। खास बात यह है कि स्मार्ट सिटी की कामों की जांच के लिए थर्ड पार्टी एजैंसी श्रीखंडे कंसल्टैंसी को लाखों रुपए देकर जांच भी करवाई गई। उस कंपनी ने स्मार्ट सिटी जालंधर के विभिन्न प्रोजैक्टों में कमियों बारे अपनी रिपोर्ट चंडीगढ़ बैठे अफसरों को सौंपी । एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट में ठेकेदारों को ज्यादा पेमैंट करने, जी.एस.टी. का अतिरिक्त भुगतान करने और कॉन्ट्रैक्ट के उलट जाकर कई काम करने बारे जो रिपोर्ट दी गई, उस पर भी चंडीगढ़ बैठे अफसरों ने कोई एक्शन नहीं लिया ।

10 दिन बाद स्मार्ट सिटी ऑफिस में धरना लगा सकते हैं समराय

कांग्रेस सरकार के समय स्मार्ट सिटी कंपनी में बायो माइनिंग प्लांट के नाम पर जो खेल खेला गया, उस बाबत आरोप लगाते हुए पूर्व पार्षद जगदीश समराय ने कहा कि उस समय स्मार्ट सिटी में बैठे अधिकारियों ने केवल कमीशन के लालच में प्लांट हेतु पांच करोड़ रुपए की मशीनरी खरीद ली परंतु 2 साल में कंपनी ना वहां शैड बना पाई और न ही एक ट्रक कूड़े को क्लीयर कर सकी। कंपनी ने 2 साल में 10 लाख टन कूड़े को क्लीयर करने का टैंडर लिया था जिससे आसपास के बड़े क्षेत्र को राहत मिलती परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ । आज भी वरियाणा डम्प पूरे क्षेत्र के लिए प्रदूषण और आफत का कारण बना हुआ है। प्रोजैक्ट फेल हो चुका है और कंपनी काम छोड़कर जा चुकी है। उन्होंने कहा कि यदि 10 दिन के भीतर कोई समाधान न किया गया तो डम्प के साथ लगती आबादियों के लोगों को लेकर स्मार्ट सिटी ऑफिस समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

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