पंजाब के ग्रामीण इलाकों को लेकर सामने आया हैरान करने वाला सच, खबर पढ़ नहीं होगा यकीन

Edited By Kalash,Updated: 20 Mar, 2025 06:50 PM

punjab rural areas shocking truth

यह घटना इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती है।

चंडीगढ़ (रश्मि हंस): पंजाब के ग्रामीण इलाकों में जल और स्वच्छता प्रबंधन को लेकर हाल ही में किए गए एक शोध में गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं। यह शोध छह गांवों मोहिकलां और उगनी, कालोमाजरा और जलालपुर, तथा शामदू कैंप और झांसली पर केंद्रित था। शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि ग्रामीण घरों को प्रतिदिन मात्र 1-4 घंटे ही पानी की आपूर्ति हो पाती है, जबकि सरकार द्वारा 24 घंटे पानी की आपूर्ति का वायदा किया गया था। पंप के अत्यधिक उपयोग और पाइपलाइनों के टूटने के कारण आपूर्ति में बार-बार रुकावट आती है, जिससे लोगों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी मुश्किल हो रही है। कम्युनिटी पार्टीसिपेशन ऑफ वाटर एंड सेनीटेशन इस विषय पर पंजाब यूनिवर्सिटी (पी.यू.) के सोशल वर्क विभाग से पीएच. डी. स्कॉलर डॉ. जश्नजोत कौर ने प्रो. गौरव गौड़ की गाईडेंस में पूरी की है। इसके अलावा पानी में जैविक और रासायनिक प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण टाइफाइड, डायरिया और फ्लोरोसिस जैसी बीमारियां फैल रही हैं। शामदू कैंप में साल, 2022 में डायरिया का प्रकोप हुआ, जिसमें तीन बच्चों की मौत हो गई और कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह घटना इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती है। 

6.6% लोगों के पास शौचालयों की सुविधा नहीं 

खुले में शौच मुक्त दर्जे के दावों के बावजूद सर्वेक्षण किए गए गांवों में 6.6 फीसदी लोगों के पास अभी भी शौचालयों की सुविधा नहीं है। कई घरों में शौचालय अधूरे है या उनमें दरवाजे तक नहीं है। जल और स्वच्छता प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी भी बेहद कम है, जिसके पीछे राजनीतिक हस्ताक्षेप, जागरूकता की कमी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होना जैसे कारण हैं। जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसी सरकारी योजनाओं को अपर्याप्त फंडिंग और क्षमतानिर्माण के कारण लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

शोध में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया 

शोध में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया गया है जिसमें पानी के मीटर लगाना, सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करना और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना शामिल है। साथ ही, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहलों के माध्यम से स्थायी परियोजनाओं के लिए फंडिंग बढ़ाने की सिफारिश की गई है। काली बेन नहर को सफलतापूर्वक साफ करने वाले समुदायिक नेता ईको-बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल के प्रयास इस दिशा में आशा की किरण और एक मॉडल प्रस्तुत करते हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए बहु-हितधारक साझेदारी, सामुदायिक सहभागिता और स्थायी विकास प्रथाओं की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी को स्वच्छ पानी और उचित स्वच्छता सुविधाएं मिल सके।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here


 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!