पंजाब पुलिस ने ड्रग्स तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के 105 मामले ED को सौंपे

Edited By Vaneet,Updated: 04 Sep, 2019 10:01 AM

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ड्रग्स मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई हुई, जिसमें पंजाब के डी.जी.पी. व एफ.टी.एफ. चीफ सहित पंजाब...

चंडीगढ़(हांडा): ड्रग्स मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई हुई, जिसमें पंजाब के डी.जी.पी. व एफ.टी.एफ. चीफ सहित पंजाब व हरियाणा के कौंसिल व ड्रग कंट्रोलर भी उपस्थित रहे। हाईकोर्ट द्वारा जनवरी, 2019 में जारी किए 25 दिशा-निर्देशों को पंजाब पुलिस लागू नहीं कर पाई थी, जिसके बाद कोर्ट ने पंजाब के डी.जी.पी. को खुद पेश होकर स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था। डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने जस्टिस राजीव शर्मा की खंडपीठ को स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि ड्रग तस्करी के जिन मामलों में मनी लॉङ्क्षन्ड्रग सामने आई थी वह 105 मामले ई.डी. को सौंप दिए हैं, जिसकी जांच वह करेगी। 

उन्होंने कहा कि जेलों में ओवरक्राऊड बंदियों की भीड़ उत्पात मचा रही है। कोर्ट ने सभी 25 दिशा-निर्देशों पर पंजाब पुलिस व हरियाणा से जवाब मांगा और कुछ नए तथ्य जोड़कर उन्हें 3 माह के भीतर लागू करने की हिदायतें दी है। कोर्ट ने डी.जी.पी. व एफ.टी.एफ. चीफ हरप्रीत सिद्धू को लताड़़ते हुए कई मसलों पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने पुलिस प्रमुख को लताड़ते हुए कहा कि सरकार कभी एफीडेविट फाइल करती है, कभी सप्लीमैंटरी एफीडेविट तो कभी काऊंटर एफीडेविट काफी वक्त से यही चल रहा है, लेकिन दिशा-निर्देशों पर अमल नहीं हो रहा है, कोर्ट जानना चाहती है ऐसा क्यों? अब मामले की अगली सुनवाई 10 दिसम्बर को होगी और पंजाब पुलिस व संबंधित स्टेट होल्डर्स को स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। 

डि-एडीक्शन सैंटरों की दशा ठीक होती तो कोई मां अपने बच्चे को ऐसे जंजीरों से न बांधती
ड्रग डी-एडीक्शन और रिहैब्लिटेशन सैंटर्स के सुधार के मुद्दे को कोर्ट ने गंभीरता से लिया। अमृतसर में लड़की को जंजीरों से बांधने को लेकर भी कोर्ट ने मंगलवार  टिप्पणी की और सवाल कि अगर डि-एडीक्शन सैंटरों की दशा ठीक होती तो कोई मां अपने बच्चे को ऐसे जंजीरों से न बांधती। कोर्ट ने सभी नशामुक्ति केन्द्रों और रिहैब्लिटेशन सैंटर्स को क्लीनिक एक्ट और मैंटल हैल्थ एक्ट के तहत रजिस्टर करने को कहा है और अगर कोई सैंटर रजिस्टर नहीं होता तो उस सैंटर को तीन महीने के भीतर बंद करने के निर्देश पंजाब सरकार को जारी किए है। 

जेलों में भीड़ कम की जाए 
सुनवाई दौरान पंजाब की सैंट्रल जेलों में हजारों की संख्या में कैदी होने के मामले को भी डी.जी.पी. ने कोर्ट में उठाया, जिस पर कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा कि इस विषय पर रि-प्रैजैंटेशन बनाकर केंद्र सरकार के वकील को दी जाए। डी.जी.पी. ने बताया कि लुधियाना सैंट्रल जेल में 3000 कैदी हैं, जिसके कारण अंदर कई बार हंगामा हो चुका है। जेलों में बंदियों की भीड़ कम हो इसके लिए और जेलों की जरूरत है, लेकिन सरकार के पास फंड्स की कमी है। कोर्ट ने केंद्र के कौंसिल को केंद्र सरकार के संबंधित विभाग से पत्राचार कर जरूरी फंड्स मुहैया करवाने को कहा। 

पूछा-नशा मुक्ति केन्द्रों में कितने नशा ग्रस्त एडमिट
कोर्ट ने डी.जी.पी. से पूछा कि पंजाब के नशा मुक्ति केन्द्रों में कितने नशा ग्रस्त एडमिट हैं जिसका जवाब डी.जी.पी. नहीं दे पाए, न ही उनके पास ऐसा कोई डाटा था। उन्होने कोर्ट को बताया कि पंजाब के सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में 1100 बैड हैं और प्राइवेट सैंटर में करीब 550 हैं, क्योंकि किसी प्राइवेट सैंटर को 15 से ज्यादा नशा ग्रस्त लोगों को रखने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने सरकार को हिदायतें दी हैं कि सभी बड़े नशा मुक्ति केंद्रों में मनोचिकित्सक के साथ-साथ साइकोलोजिस्ट और 2 काऊंसलर होने चाहिए। अगर कमी है तो जल्द उसे पूरा किया जाना चाहिए जिसके लिए कोर्ट ने दो माह का समय दिया है। कोर्ट ने कहा सभी जेलों में  डी-एडीक्शन सैंटर बनाए जिसके लिए 2 माह की समय सीमा तय की गई है। 

एस.टी.एफ. में शामिल किए जा सकते हैं और पुलिस कर्मी
जस्टिस राजीव शर्मा व जस्टिस हरिंद्र सिद्धू की खंडपीठ ने एन.डी.पी.एस. मामले में जांच अधिकारी या फिर ऑफिशियल विटनैस के होस्टाइल होने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने उनके खिलाफ डिस्पलिनरी एक्शन लिए जाने को कहा। अगर निचली अदालत में ऐसे केस आते हैं, जिसमें जांच अधिकारी या विटनैस होस्टाइल होता है तो सरकार का वकील डी.जी.पी. को इसकी जानकारी देगा। डी.जी.पी. ने कोर्ट के उक्त दिशा-निर्देशों को लागू करने की हामी भरी है। ड्रग्स तस्करी रोकने के लिए बनी स्पैशल टास्क फोर्स में कर्मियों की कमी को लेकर कोर्ट ने डी.जी.पी. से पूछा कि उन्होंने इसके लिए क्या प्रयास किए। डी.जी.पी. ने कोर्ट को जानकारी दी कि एस.टी.एफ. को 250 और पुलिस कर्मी दिए गए हैं जिसके बाद अब एस.टी.एफ. में 656 पुलिस कर्मी हो गए हैं आने वाले दिनों में जरूरत पडऩे पर और पुलिस कर्मी एस.टी.एफ. में शामिल किए जा सकते हैं।

चलाई जा रही है जागरूकता मुहिम
डी.जी.पी. ने कोर्ट को बताया कि नशे के खिलाफ कैंपेन के जरिए लोगों को अवेयर किया जा रहा है। जिला स्तर पर डी.सी. को एंटी ड्रग्स कैंपेन का चेयरमैन बनाया गया है। कोर्ट ने सभी एजुकेशन इंस्टीच्यूट के बाहर सी.सी.टी.वी. कैमरा लगाने के निर्देश दिए, ताकि स्कूलों और कालेजों के बाहर नशा न बिक सके। इसके साथ ही कोर्ट को डी.जी.पी. पंजाब ने बताया कि प्राइवेट स्कूल और कालेज सहयोग नहीं दे रहे हैं जिस पर कोर्ट ने पंजाब के शिक्षा सचिव को निर्देश दिए कि जो स्कूल या कालेज सहयोग नहीं दे रहे हैं, उनका एफिलिएशन रद्द किया जाए। नाबालिग को ड्रग देने वाले कैमिस्ट का लाइसैंस रद्द किए जाने के आदेश भी कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को दिए, जोकि कोर्ट में उपस्थित थे।

25 अगस्त को 27 सैंटरों पर हुई परीक्षा
मार्कफैड में विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए 25 अगस्त को 27 सैंटरों पर लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। मार्कफैड ने परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी एन.आई.टी.टी.आर. को सौंप रखी थी। इन्हीं परीक्षा केंद्रों में से सैक्टर-42 के केंद्र में परीक्षाॢथयों द्वारा धांधलेबाजी के संबंध में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जसबीर सिंह ने परीक्षा केंद्र में परीक्षा पत्र की फोटो मोबाइल में क्लिक करने के बाद एक छात्र को हल की हुई शीट प्रदान की। परीक्षा पर्यवेक्षक ने भी वीडियो में इस बात की पुष्टि की कि उक्त छात्र के पास से प्रश्न हल की हुई शीट बरामद हुई है। हालांकि उन्होंने इसकी जानकारी होने से इंकार किया कि प्रश्न पत्र की फोटो मोबाइल में क्लिक की गई। परीक्षा समाप्त होने के बाद बनाए इस वीडियो में जसबीर सिंह को भी दिखाया गया था।

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