पंजाब में मोदी, शाह,योगी की रैलियां नहीं दिखा पाई जलवा, जानें कारण

Edited By Vatika,Updated: 05 Jun, 2024 08:48 AM

punjab loksabha election result

लोकसभा चुनाव 7 फेजों में थे और पंजाब में 1 जून को आखिरी फेज में चुनाव हुआ था।

पंजाब डेस्क: लोकसभा चुनाव 7 फेजों में थे और पंजाब में 1 जून को आखिरी फेज में चुनाव हुआ था। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, यू.पी. के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी पंजाब में चुनाव प्रचार करने के लिए आए और कई रैलियां कीं परंतु भाजपा को इन बड़े नेताओं की रैलियों का कोई लाभ नहीं मिला।

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस के जो भी नेता पंजाब में आए, उनका फिर भी प्रभाव रहा और वे अपनी पार्टी को 7 सीटें जिताने में सफल रहे। योगी आदित्य नाथ तो चंडीगढ़ में भी प्रचार करने आए थे परंतु चंडीगढ़ की सीट पर भी भाजपा हार गई और वहां मनीष तिवारी चुनाव जीतने में सफल रहे। भाजपा को लग रहा था कि पंजाब में हिंदू दलित गठजोड़ बन रहा है, जिसका पार्टी को लाभ मिलेगा, जिसके चलते आखिरी दौर में भाजपा की चोटी की लीडरशिप ने पंजाब में बहुत मेहनत की। पार्टी को फीडबैक पहुंच रही थी कि पटियाला, लुधियाना, जालंधर, होशियारपुर और गुरदासपुर में पार्टी जबरदस्त फाइट में है। ऐसे में यदि बड़े नेता इन सीटों पर आते हैं तो पार्टी को बढ़िया नतीजे मिल सकते हैं, परंतु पार्टी की आशाओं पर पानी फिर गया और पंजाब में भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी। 

टकसाली भाजपाई दलबदलुओं को टिकटें देने से थे दुखी
कई दशकों से जनसंघ और भाजपा के साथ जुड़े टकसाली भाजपाई पार्टी हाईकमान के टिकट बांटने के फैसले से बहुत दुखी थे। पार्टी ने पटियाला, जालंधर, लुधियाना, बठिंडा, फिरोजपुर जैसे आधार वाले लोकसभा हलकों में दलबदलुओं को टिकटें दी थीं। भाजपा के पुराने नेता और वर्कर चाहते थे कि पार्टी  भाजपा के टकसाली नेताओं और वर्करों में से ही टिकट देती। दूसरी पार्टियों के नेताओं को भाजपा के कल्चर की समझ नहीं लगी। दूसरी पार्टियों में से आए नेताओं ने भाजपा की हर चुनावी मुहिम में अहम भूमिका निभाने वाले आर.एस.एस. के संगठन की परवाह नहीं की। उन्होंने लोकसभा हलके में पड़ते हर विधान सभा हलके में अपने चहेते को इंचार्ज लगा दिया जबकि भाजपा के टकसाली वर्कर अपने आपको लुय महसूस करने लगे, जिस कारण पार्टी कैडर ने दिल से मेहनत नहीं की और वे चुपचाप घर में बैठ गए, जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा।

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