Edited By Subhash Kapoor,Updated: 10 Oct, 2023 07:07 PM
माननीय सुप्रीम कोर्ट व एन.जी.टी. के आदेशों के बाद अब पंजाब सरकार ने अपनी फियूल पालिसी जारी कर दी है।
मंडी गोबिंदगढ़/खन्ना (सुरेश,शाही,कमल): माननीय सुप्रीम कोर्ट व एन.जी.टी. के आदेशों के बाद अब पंजाब सरकार ने अपनी फियूल पालिसी जारी कर दी है। पंजाब सरकार के विज्ञान, साईंस एंड टैक्नोलोजी एंड इन्वायरनमैंट विभाग के सचिव द्वारा जारी पालिसी में कहा गया है कि पंजाब सरकार ने 1.4.1994 से पहले ही राज्य में किसी प्रकार की रबड़, चावल का भूसा व अन्य कोई भी वस्तू जिसमें सलफर और टौक्षिक पाया जाता है, के जलाने पर मनाही जारी की हुई है।
अब पंजाब सरकार द्वारा फियूल पालिसी के अंत्रगत जो दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं, उसके अनुसार दूसरे देशों से पैट कोक केवल ओद्योगिक उपभोक्ता जिसकी प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की कन्सैंटं होंगी, वह ही सीधे आयात कर सकेंगे और ट्रेडरों के आयात करने पर मनाही होगी। राज्य में 1.8 प्रतिशत से ज्यादा सलफर युक्त फर्नेस आयल प्रयोग करने की मनाही होगी। तेल कम्पनियां ऐसा फर्नेस आयल राज्य में सप्लाई भी नहीं कर सकेंगी। राज्य में जिस जिस क्षेत्र में गैस पाईप लाईन बिछा दी गई हैं, उन उद्योगों को अन्य फ्यूल बंद कर टैक्नीकल, लीगल और इक्नोमिकल फिजिब्लिटी रिपोर्ट के आधार पर प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गैस पर शिफट करने के आदेश जारी होंगे।
आल इंडिया स्टील री-रोलर्ज एसोसिएशन के प्रधान विनोद वश्ष्टि ने बताया कि सरकार ने जो रोलिंग मिलों के लिए पहले कोयला और फर्नेस आयल बंद कर केवल गैस प्रयोग करने के आदेश जारी किए थे, उन आदेशों को जारी करने से पहले कोई भी अध्ययन नहीं किया गया था। गैस सप्लाई करने वाली केवल एक ही कम्पनी थी जो मनमानी ढंग से दाम बढ़ाती जा रही थी जिससे मिलें बंद होने के कगार पर आ गई थी इसलिए इसमें इक्नोमिकल पहलु को नजरअंदाज किया गया था। कोयले से पहले ही प्रदुषण कम होता था और पीस कर कोयला प्रयोग करने से तो नाममात्र प्रदुषण होता था, इसलिए इसमें टैक्नीकल पहलु को नजर अंदाज किया गया था। केवल एक गैस कम्पनी को एक क्षेत्र का ठेका देकर उस कम्पनी का एकाधिकार स्थापित कर दिया गया। जिससे कम्पीटीशन एक्ट की उलंघना हो रही थी इस लिए इसमें लीगल पहलु को नजरअंदाज किया गया था। अब पंजाब सरकार की ओद्योगों के पक्ष में फियूल पालिसी आ गई है अब बोर्ड को कोयला और 1.8 प्रतिशत से कमल सलफर प्रयोग करने पर पाबंदी लगाने से पहले तीनों पहलुओं पर विचार करना पड़ेगा।