पंजाब की सियासत में बड़ी हलचल! मान-केजरीवाल के नए फैसले से चिंता में मंत्री और विधायक

Edited By Vatika,Updated: 27 May, 2025 09:56 AM

punjab government new decision

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री

जालंधर: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इस समय पंजाब में 'सत्ता विरोधी लहर' को मात देने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इससे पहले 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने ऐसी ही सत्ता विरोधी लहर को हराते हुए 30 से अधिक सीटों पर नए चेहरों को उतारा था। अब उसी रणनीति को 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों में लागू करने की तैयारी की जा रही है।

पंजाब में 117 सदस्यीय विधानसभा के लिए आगामी आम चुनाव फरवरी-मार्च 2027 में प्रस्तावित हैं। इसको ध्यान में रखते हुए केजरीवाल और मान दोनों ही सत्ता विरोधी माहौल को निष्क्रिय करने की रणनीति बना रहे हैं। पार्टी के अंदर चर्चा चल रहा है कि दोनों नेता मिलकर आगामी चुनावों में मौजूदा 'आप' के लगभग 30 से 35 प्रतिशत विधायकों के टिकट काट सकते हैं। विधायकों और मंत्रियों को इसकी भनक पहले ही लग चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने यह तय किया है कि आगामी विधानसभा चुनावों में खराब छवि वाले नेताओं से दूरी बनाई जाएगी। इसकी शुरुआत जालंधर से आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा को विजिलेंस के जरिए भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार करवाकर की गई है। रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी के बाद यह निर्णय लिया गया है कि अब उनकी जगह पार्टी कोई नया चेहरा चुनावी मैदान में उतारेगी, क्योंकि रमन अरोड़ा की वजह से न केवल जालंधर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र, बल्कि जिले के अन्य हलकों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था।

जालंधर में हुई इस कार्रवाई से पार्टी कार्यकर्ताओं और वालंटियरों का मनोबल काफी बढ़ा है। ‘आप’ की केंद्रीय नेतृत्व इस पूरी प्रक्रिया पर एक रिपोर्ट तैयार कर रही है और जालंधर में सरकार द्वारा शुरू की गई भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के प्रभाव को लेकर जनता से फीडबैक भी लिया जा रहा है। आम जनता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का स्वागत किया है। अब केजरीवाल का अगला कदम पंजाब के अन्य प्रमुख शहरों में भी इसी तरह की कार्रवाई को अंजाम देना है। पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व ने इसके लिए अपनी टीमें तैनात कर दी हैं, जो केजरीवाल को पूरी रिपोर्ट दे रही हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद अब केजरीवाल के लिए पंजाब में अपना गढ़ बचाना बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि इसके बाद ही पार्टी अन्य राज्यों में खुद को मजबूत कर सकेगी।

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