Edited By swetha,Updated: 09 Apr, 2020 03:09 PM

कोरोना वाययरस के खात्मे के बाद प्राइवेट डाक्टरों की लूट को रोकने के लिए पंजाब सरकार शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर फैसला ले सकती है।
चंडीगढ़ः कोरोना वाययरस के खात्मे के बाद प्राइवेट डाक्टरों की लूट को रोकने के लिए पंजाब सरकार शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर फैसला ले सकती है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र ने कहा कि इस सकंट की घड़ी में निजी डॉक्टरों द्वारा ओ.पी.डी. बंद करना उचित नहीं है। उन सभी क्लीनिकों और डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे, जिन्होंने मुश्किल समय में सेवाएं देने से इंकार कर दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि देश में निजी अस्पतालों के कामकाज को विनियमित करने के लिए केंद्र ने क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 2010 लागू किया था। इसे कई राज्यों ने अपनायाथा। उसी अधिनियम को अपनाने के बजाए, तत्कालीन पंजाब सरकार ने अपने स्वयं के अधिनियम का मसौदा तैयार करने का निर्णय लिया था । इसके लिए 2012 में एक समिति का गठन भी किया।स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ के पूर्व प्रमुख डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में समिति ने 2013 में राज्य सरकारको विधेयक का प्रारूप प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया कि प्रत्येक निजी या सरकारी अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण प्रावधानों में सेवाओं के बारे में जानकारी देने के साथ इनके शुल्क का भी
उल्लेख होगा। सभी निजी अस्पतालों के लिए अपना पंजीकरण करवाना भी अनिवार्य होगा।
हालांकि, मसौदे को न तो कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई थी और न ही इसे विधानसभा में ले जाया गया था। समिति के सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि अधिनियम का मसौदा बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों से सुझावों पर बनाया गया था। 2017 में वर्तमान सरकार के गठन के बाद, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने भी इस अधिनियम कोलागू करने की घोषणा की थी। पिछले साल नवंबर में, राज्य सरकार ने एक बार फिर अपनी वेबसाइट पर बिल का मसौदा पोस्ट किया और प्रतिक्रिया मांगी थी। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने आई.एम.ए. प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि किसी भी निर्णय को अंतिम रूप देने से पहले उनकी सभी वास्तविक मांगों को शामिल किया जाएगा।