Edited By Kamini,Updated: 23 May, 2022 03:50 PM

पंजाब की वर्ष 2022-23 आबकारी नीति 1 जुलाई से लागू होने के लिए लगभग तैयार है। सूत्रों का कहना है कि ''आप'' सरकार इस वित्त ............
लुधियाना (सेठी): पंजाब की वर्ष 2022-23 आबकारी नीति 1 जुलाई से लागू होने के लिए लगभग तैयार है। सूत्रों का कहना है कि 'आप' सरकार इस वित्त वर्ष में अपने एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन को बढ़ाकर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक करने पर विचार कर रही है। इसके लिए सरकार टेंडर के माध्यम से शराब के ठेकों की अलॉटमेंट कर सकती है। 'आप' सरकार राजस्व को बढ़ाने के लिए "नई आबकारी नीति" में एक्साइज ड्यूटी 30 प्रतिशत वृद्धि कर लागू कर सकती है, इसके साथ नीति का लक्ष्य शराब मैन्युफेक्चर्स और शराब ट्रेड दोनों में मनोपोली ख़त्म करना भी होगा। जिस आबकारी नीति पर काम चल रहा है, उस पर हाल ही में सी.एम. व वित्त मंत्री हरपाल चीमा और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चर्चा हुई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार (लाइसेंसी यूनिट) ग्रुप साइज़ बढ़ाने का विचार कर रही है। इसके लिए एक्साइज अधिकारियों को लाइसेंसधारियों से मुनाफे वाले ग्रुपों के साथ-साथ नुकसान में चल रहे ग्रौपों का डाटा एकत्रित कर चुके है, जिस हिसाब से ग्रुप को बढ़ाया जा सकता है। पिछली सरकारों द्वारा आबकारी नीतियों में घोषित, लाइसेंसिंग यूनिटों (ग्रुप) का आकार छोटा रखा गया था। इसके कारण नुकसान में चल रहे ग्रूपों को बेचना सरकार के लिए मुश्किल रहा और राज्य सरकार को अपने एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन करने में काफ़ी मुश्क्त का सामना करना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि ग्रुप के साइज का विस्तार करके, आबकारी विभाग यह सुनिश्चित करने पर विचार कर रहा है कि प्रॉफिट वाले ग्रूपो के साथ लॉस वाले ग्रूपों को भी नीलाम किया जाए।
इसके साथ नई सरकार राज्य में नई डिस्टिलरीज की स्थापना को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है। जबकि पिछली सरकार ने नई डिस्टिलरीज की स्थापना पर प्रतिबंध लगा दिया था जो वर्तमान सरकार मौजूदा निर्माताओं के व्यावसायिक हितों को बढ़ावा देने का विचार कर रही है। सरकार ने इस पर भी चर्चा की के शराब निर्माण कारोबार में नए लोगों को अनुमति देने से मौजूदा निर्माताओं का एकाधिकार टूट जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य में कुल 16 डिस्टिलरीज में से 8 राजनीतिक और अन्य 'प्रभावशाली व्यक्तियों' से संबंधित हैं। वहीं जानकारी यह भी मिली है कि पॉलिसी में मैक्सिमम रिटेल प्राइस तय किया जाएगा। लाइसेंसधारी एम.आर.पी. से कम दर पर बिक्री कर सकता है। इससे ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा होगी और शराब की कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। सूत्रों का कहना है कि नई नीति की घोषणा इस महीने के अंत तक होने की संभावना है।
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