पंजाब मॉडल पर सिद्धू से खास बातचीत- 6 महीनों में पंजाब न बदल दिया तो मुझे सिद्धू न कहना

Edited By Sunita sarangal,Updated: 30 Dec, 2021 11:16 AM

navjot singh sidhu s exclusive interview on punjab

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू आजकल पंजाब मॉडल को लेकर अत्यंत सक्रिय हैं। उनका कहना है कि अंधेरा चाहे सौ वर्षों का ही क्यों न हो परंतु..........

जालंधर : पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू आजकल पंजाब मॉडल को लेकर अत्यंत सक्रिय हैं। उनका कहना है कि अंधेरा चाहे सौ वर्षों का ही क्यों न हो परंतु यदि एक दीपक जला दें तो वह संपूर्ण अंधेरे को पी जाता है। आज एक भी राजनेता ऐसा नहीं है जिसने कृषि के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया हो, फिर उसे लागू करवाने के लिए सतत् प्रयासरत रहा हो और यह कहता हो कि यदि इससे अच्छा कोई रोडमैप हो तो मैं उसके साथ खड़ा होने के लिए भी राजी हूं। उनके अनुसार निस्संदेह किसान मोर्चा ने बड़ी कठिनाइयां झेली हैं और जंग भी जीती है परंतु हमारी समस्याएं अभी भी अनसुलझी हैं। सिद्धू का प्रश्न है कि क्या आज किसानों को उपयुक्त लागत मिलने लगी है? गत 25 वर्षों में दो बड़े परिवारों ने राज किया है, क्या कोई कृषि नीति आई है? क्या अधिकार समिति आज कैदखानों में दफन होकर नहीं रह गई? जब उनसे पंजाब मॉडल लागू करने की जिम्मेदारी संभालने का प्रश्न किया गया तो उनका जवाब था कि यदि उन्हें जिम्मा सौंपा जाए तो वह 6 महीने में पंजाब को बदल देंगे। उनका कहना है कि उनका लक्ष्य सत्ता प्राप्त करना नहीं है अपितु समस्याओं का समाधान करना है। वह सत्य का साथ नहीं छोड़ेंगे, चाहे सत्ता हाथ से क्यों न चली जाए। इसके अलावा सिद्धू ने पंजाब के अन्य मसलों पर पंजाब केसरी के पत्रकार रमनदीप सिंह सोढी के प्रश्नों के बेबाकी से जवाब दिए। प्रस्तुत हैं उनसे मुलाकात के प्रमुख अंश:

आप किस पंजाब मॉडल की बात कर रहे हैं?
पंजाब मॉडल किसी की निजी जागीर नहीं है। मैंने 17 वर्ष धक्के खाए परंतु अपने जमीर से समझौता नहीं किया। मेरा पंजाब मॉडल लोगों के भले की बात करता है। वह चोरी रोककर उस पैसे को खजाने में डालकर दोगुना करके लोगों के विकास की बात करता है। इसका पहला बिंदू किसानों की आय बढ़ाना और खर्च घटाना है। उसे इज्जत की रोटी देकर और सिर की पगड़ी बनाकर ध्यान देने की बात करता हूं। जब खेत से फसल या सब्जी मंडी में जाती है तो व्यापारी किसान को अपनी मर्जी का भाव देता है क्योंकि वह जानता है कि किसान के पास अपनी फसल स्टोर करने का सामर्थ्य नहीं है। इस विवशता में किसान अपनी फसल बाजार से दस गुना सस्ते भाव में बेच देता है परंतु यदि वही सब्जी किसान ने 3 महीने बाद अडानी के स्टोर से खरीदनी हो तो उसका बाजार की तुलना में भाव 3 गुना और बढ़ जाता है। मेरा प्रश्न है कि बिचौला इस मेहनत की कमाई को क्यों खाए? पंजाब मॉडल सवाल करता है कि किस सरकार ने कोऑपरेट बनाए और किस सरकार ने किसानों के लिए स्टोरेज का प्रबंध किया। आज हम गेहूं और चावल की खेती करते हैं। जरूरत है कि पंजाब वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन उसकी संभाल करे और तुरन्त ही 80 फीसदी लोन पर किसानों को पैसे दिए जाएं ताकि किसान अपनी मर्जी के समय के अनुसार फसल बेच सके। पंजाब मॉडल दालों व तेल बीजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात करता है क्योंकि ऐसा करने से ही हम फसली चक्र से बाहर निकल पाएंगे। आज जरूरत है कि किसान अपनी फसल की कीमत खुद तय करे। अम्बानियों के स्थान पर किसानों के मॉल होने चाहिएं। केंद्र सरकार इतनी शातिर है कि उसने एफ.सी.आई. भी खत्म कर दी है और उसका जिम्मा अडानियों को दे दिया है। केंद्र ने तो 70 करोड़ गरीबों के आंकड़े को भी 40 करोड़ कर दिया है इसलिए जरूरत है कि केंद्र की गलत नीतियों से बचने के लिए पंजाब मॉडल लागू किया जाए। 

सरकार आपकी है, इस मॉडल को लागू क्यों नहीं करते? 
मेरी बात सुनिए, जब कैप्टन जैसे खरीदे हुए आदमी कठपुतलियां बनकर भाजपा के हाथों में खेलें तो बताओ मॉडल कैसे लागू होगा? आज आप वोट अकालियों को दोगे तो वे कैप्टन को जाएंगी और अगर कैप्टन को दोगे तो वे अकालियों को पड़ेंगी पर मैंने अपना स्टैंड कभी नहीं छोड़ा बल्कि कैप्टन को कुर्सी से अलग करके घर बिठा दिया है। कोई सोचता था कि करतारपुर कॉरिडोर खुल जाएगा, पर खुल गया। कैप्टन तो तब भी ऊल-जुलूल बोलते रहे पर मैं सदा डटा रहा जिसका परिणाम आपके सामने है। जब नीयत अच्छी हो तो वाहेगुरु हमेशा साथ देता है। सिद्धू की 25 वर्षों में कभी हार नहीं हुई और हार अभी भी नहीं होगी। मैं जलेबी की तरह इकट्ठे कर-करके मारूंगा, ज्यादा से ज्यादा होगा क्या, नहीं लड़ेंगे चुनाव। पर सवाल है कि पंजाब को कौन जिताएगा?

पर नया मुख्यमंत्री तो आपका ही है सिद्धू साहिब?
नया तो बना है पर अभी तो ट्रेलर भी नहीं चला क्योंकि समय ही 2 महीने का है। दरअसल मैं तो 2022 की बात करता हूं।

यह मॉडल केवल आपका ही है, या पूरी पार्टी का?
मैं पूरी पार्टी का प्रधान हूं इसलिए यह अलग कैसे हो सकता है? जब सोनिया गांधी जी कोई बात करती हैं तो वह सारी पार्टी की बात होती है इसलिए सिद्धू की बात को पार्टी से अलग करके क्यों देखते हैं। जब नवजोत सिद्धू बात करता है तो वह पूरी पार्टी की बात करता है। 

किसानों ने तो अपनी पार्टी बना ली है। आप इसे कैसे देखते हैं?
मैं उनका स्वागत करता हूं। पहले वह एक सामाजिक आंदोलन था जबकि अब वह सियासत का हिस्सा बन चुके हैं। यदि सामर्थ्य है तो स्वयं संवारें या सामाजिक आंदोलन करके सरकार को विवश कर दें। किसानी तो संवर जाएगी यदि हमारे पास रोडमैप होगा। हम केंद्र सरकार को भूल कर यह सोचें कि हमारी सरकार क्या कर रही है?

मुख्यमंत्री चन्नी के काम से संतुष्ट हैं?
देखो जी, वह 2 महीने में क्या कर पाएंगे? परंतु उनकी नीयत अच्छी है। मैंने बिजली के रेट कम करने के लिए कहा, उन्होंने कर दिए परंतु कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जिनमें बजट का आबंटन ठोस होना चाहिए। जैसे रेत की बात करें तो यह कहने भर से मुफ्त नहीं हो जाएगी। प्रश्न यह है कि रेत उठाने वाले को सस्ती मिल रही है या खरीदने वाले को? आज भी रेत 3,700 रुपए में बिक रही है, आज भी पठानकोटी रेत 4,500 में बिक रही है। रेत सस्ती क्यों नहीं हुई? केबल अभी भी 100 रुपए की नहीं हुई। तो इनके भी इलाज हैं जो करने पड़ेंगे। आज कॉर्पोरेशन बनाने की आवश्यकता है। सुखबीर जैसा आदमी जो पूरे पंजाब की रेत खा गया, जो रात को 3 पैग लगाकर सोता हो, जिसकी डिस्टिलरियां चल रही हों, वह कैसे समाधान कर सकता है? आज ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो सब कुछ बदल दे। 

आपका तेलंगाना मॉडल न तो कैप्टन ने लागू किया और न ही चन्नी ने, क्यों?  
क्योंकि कैप्टन खाता था। वैसे यार, हम सब हिस्सा-पत्ती करते हैं पर यह एक सीमा में हो तो अच्छा है। आज एक ही व्यक्ति केबल चला रहा है और उसकी मोनोपली तोड़ने के लिए सिद्धू कानून लेकर आया पर बना कुछ नहीं। यदि मेरी बात मानी जाती तो आज केबल का रेट 250 रुपए होता और सरकार के टैक्स में भी कुछ वृद्धि हो जाती। 

जो नहीं हो रहा है, उसके लिए जिम्मेदार कौन है? 
मैं तो रास्ता बताता हूं क्योंकि मेरे पास एडमिनिस्ट्रेटिव पावर नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि एक ईमानदार सिस्टम बनना चाहिए, ईमानदार लोग आगे आएं क्योंकि पंजाब में यदि एक ईमानदार आगे आ जाए तो सौ चोरों की हवा खराब होती है। 

ईमानदार सिस्टम बनाएगा कौन, सिद्धू साहब?
14 वर्षों तक सिद्धू करता क्या रहा? मैं चने थोड़ी बेचता रहा? आज आप बताएं यदि मैंने सत्ता का सुख भोगा हो? जिस व्यक्ति ने पंजाब को बेच दिया हो, मैंने कभी उसके साथ सत्ता नहीं बांटी बल्कि उससे लड़ता रहा हूं। पर एक बात पक्की है कि रेत-बजरी खाने वाले और बस माफिया चलाने वाले पंजाब मॉडल लागू नहीं करेंगे परंतु यदि इसे लागू करने की जिम्मेदारी मुझे दे दी जाए और तब 6 महीने में पंजाब को नहीं बदला तो सिद्धू को सिद्धू न कहना। 

आप जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं? हाईकमान आपको जिम्मेदारी देगा?
मैं आज नहीं पिछले 17 वर्षों से कह रहा हूं। मैं हाईकमान के हर फैसले को मानता हूं। यह कोई जरूरी नहीं है कि जिम्मेदारी मिलेगी तो तब ही करूंगा।

परंतु यदि मुख्यमंत्री बनोगे तब ही आप पावर में आएंगे? स्पष्ट बताएं आप मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं?
मुख्यमंत्री यदि सत्ता केंद्रित नहीं करे तो सब ठीक हो परंतु जब मुख्यमंत्री अधिकारियों से कह देता है कि मेरे कमाऊ पूत के तो काम करो लेकिन सिद्धू के मत करना, तब सिद्धू के नहीं जनता के काम में विघ्न पड़ता है। जिस राज्य में अच्छे काम करने वालों की पीठ नहीं थपथपाई जाती परंतु तस्करी करने वाले खुलेआम दनदनाते फिरते हैं और उन्हें पकड़कर अंदर नहीं किया जाता तब सिस्टम खराब होता है। 

जितने प्रश्न या तर्क आपके पास हैं, उतने विपक्षी दलों के पास भी नहीं तो ऐसे में आपकी पार्टी को वोट कौन देगा?
पार्टियों से अधिक रोडमैपों को वोट पड़ती है। मैं लोगों से कहता हूं कि आप नेताओं से पूछो कि आपने जो घोषणाएं की हैं, वे पूरी तो होती नहीं, आपके रोडमैप कहां हैं? आज जरूरत है कि हम युवाओं को रोजगार दें। आज ईमानदारी और क्रेडिबिलिटी जीतेगी।

फ्रॉड आदमी है अरविंद केजरीवाल
सिद्धू से जब केजरीवाल द्वारा उनकी प्रशंसा करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं सीधी-सी बात करता हूं कि केजरीवाल सिरे का फ्रॉड आदमी है। मैं उसकी तारीफ नहीं करता, उलटे ठोक कर सवाल करता हूं कि उसने 8 लाख नौकरियां देने की बात कही थी पर केवल 440 नौकरियां दीं। सबसे पहले किसानों के लिए काला कानून उसने लागू किया और फिर ड्रामे करने लगा। आज वह मुझसे बहस करने से क्यों भाग रहा है? उसने शराब के ठेके दीप मल्होत्रा जैसे ब्लैक लिस्टेड अकाली नेताओं को दिए हैं। केजरीवाल ने ही पौंटी चड्ढा के खानदान को ठेके दिए हैं। यही कुछ बादल किया करते थे। ये आज भी मिले हुए हैं। 

मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई से संतुष्ट नहीं सिद्धू
देख मित्र, भ्रम में मत रहो, बताओ क्या कार्रवाई हुई? गुरु की बेअदबी को लेकर भी एक वर्ष पहले मामला दर्ज हो गया था पर क्या अब इंसाफ मिल गया है? पर लोगों की अदालत इन लोगों को मूली की तरह धरती में गाड़ देगी। जनता को जवाब देना पड़ेगा। 

लोग कहते हैं कि सिद्धू मुख्यमंत्री और डी.जी.पी. बदल सकता है, पर आप तो अपने को विवश बता रहे हैं?
हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और। अंधे को तो हाथी दिखता ही नहीं। किसी को पता नहीं कि हो क्या रहा है। आप बताएं पिछले 17 वर्षों में मुझे अपने काम करवाने के लिए ताकत कब दी गई? मैं पांच पुलों के लिए बादलों के खिलाफ भी धरने पर बैठा। फिर कैप्टन अपने महल से बड़ी मुश्किल से उद्घाटन करने के लिए बाहर निकला। जहां तक कैप्टन की बात है तो उसे केवल मेरे कहने से ही नहीं हटाया गया बल्कि उसके नाम पर पार्टी को 10 सीटें भी नहीं आ रही थीं। पर अब पंजाब ही तय करेगा कि इसका वारिस कौन है। मैं आपको लिखकर देता हूं कि नवजोत सिंह सिद्धू भगवंत सिंह का पुत्र नहीं जो इन्हें धोखा दे दे, जो सच है मैं ठोक कर बोलूंगा, सत्ता जाती है तो जाए। मुझे नहीं चाहिए ऐसी सत्ता जो लोगों का जीवन न बदल सके, मुझे नहीं चाहिए ऐसी सत्ता जो किसानी न बदल सके। परंतु यदि किसी के पास इसे बेहतर करने का मॉडल है तो मैं उसके पीछे चलूंगा। यदि पंजाब मॉडल लागू करने की जिम्मेदारी देंगे तो साथ दूंगा, नहीं तो किसी भी बात की जिम्मेदारी नहीं लूंगा। इससे ऊपर बताओ बांस पर चढ़ जाऊं? 

राणा गुरजीत कहते हैं सिद्धू वहां जाते हैं जहां टिकट को लेकर विवाद है, क्या कहेंगे?
मैं पार्टी का प्रधान हूं, किसी के बाप का राज नहीं जो मुझे रोक सके। आप अपने कुकर्मों के कारण सीट हार जाओ और दूसरों की सीट खराब करो परंतु मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। टिकटों का बंटवारा हम मैरिट पर करेंगे।

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