Edited By Urmila,Updated: 19 Apr, 2025 12:22 PM

जालंधर नगर निगम में डिप्टी कंट्रोलर ऑफ फाइनेंस एंड अकाउंट्स (डी.सी.एफ.ए.) जैसी महत्वपूर्ण पोस्ट मजाक का विषय बन गई है।
जालंधर (खुराना): जालंधर नगर निगम में डिप्टी कंट्रोलर ऑफ फाइनेंस एंड अकाउंट्स (डी.सी.एफ.ए.) जैसी महत्वपूर्ण पोस्ट मजाक का विषय बन गई है। निगम के अरबों रुपए के हिसाब-किताब की जिम्मेदारी संभालने वाली इस पोस्ट पर तैनात अफसर के साथ हालिया व्यवहार और घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। गौरतलब है कि डी.सी.एफ.ए. का पद निगम के फाइनेंशियल सिस्टम का आधार होता है। निगम की आय, खर्च, ग्रांट और हर एक पाई का हिसाब इस पद पर बैठे अफसर के जिम्मे होता है। लेकिन जालंधर निगम में इस पद की गरिमा को ठेस पहुंच रही है।
कुछ सप्ताह पहले डी.सी.एफ.ए. पंकज कपूर को कूड़ा तोलने और कूड़ा ढोने वाली गाड़ियों के लिए पेट्रोल स्लिप जारी करने जैसे मामूली काम सौंपे गए थे। यह निर्णय पहले ही चर्चा का विषय बना था। हाल ही में 16 अप्रैल को आदेश नंबर 3635 जारी कर डी.सी.एफ.ए. पंकज कपूर को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंप दी गईं। इनमें पैंशन सेल, ओ. एंड एम. सेल, स्ट्रीट लाइट, हेल्थ शाखा, सभी प्रकार की ग्रांट और ठेकेदारों के चेक पर हस्ताक्षर जैसे अहम काम शामिल थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कुछ ही मिनट बाद उसी आदेश नंबर 3635 के तहत इन सभी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को वापस ले लिया गया। इसके बजाय उन्हें पेंशन सेल, एनपीएस, वेतन बिल, ग्रांट और स्मार्ट सिटी जैसे कम महत्वपूर्ण काम सौंपे गए। अब सवाल यह है कि जब दोनों ऑर्डर एक ही नंबर से जारी हुए हैं तो निगम के अधिकारी कौन से आदेश को सही मानेंगे ।
इस अजीबोगरीब उलटफेर ने निगम में कई चर्चाओं को जन्म दिया है। कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने महत्वपूर्ण पद के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है। यह घटनाक्रम निगम की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। देखना यह है कि अब मामले में निगम इस पोस्ट की गरिमा को कैसे बहाल करता है।
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