मानव व पक्षियों के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे मोबाइल टावर

Edited By Sunita sarangal,Updated: 28 Nov, 2019 11:37 AM

mobile towers harmful for humans and birds

खतरनाक तरंगें नींद न आना, तनाव, सिरदर्द, बेचैनी, आंखों की रोशनी कम होना व कैंसर जैसी बीमारियों का बन रही सबब

फरीदकोट(हाली): आधुनिक तकनीकें जहां लोगों के लिए वरदान सिद्ध हो रही हैं, वहीं इनके कारण मानव जीवन व पक्षियों पर कई दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। आधुनिक तकनीक में से सबसे अधिक उपयोग में आने वाले मोबाइल की तरंगें इस मामले में अहम भूमिका निभा रही हैं क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में मोबाइल टावरों को लगाने संबंधी जारी निर्देश क्षेत्र की ज्यादातर टावर कम्पनियों नहीं अपना रही हैं जिस कारण इन स्थानों पर मोबाइल टावरों की संख्या घटने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में लगाए जा रहे मोबाइल टावरों से संबंधित कम्पनियां समय-समय पर सरकार द्वारा जारी निर्देशों को नजरअंदाज कर रही हैं। स्कूलों सहित भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं, जबकि दिशा-निर्देशानुसार ज्यादा आबादी वाले क्षेत्रों के अलावा स्कूल व अस्पताल के नजदीक टावर नहीं लगाए जाने चाहिए। इस संबंधी जिला प्रशासन द्वारा अपनाई जा रही सुस्त कार्रवाई का टावर कम्पनियां धड़ल्ले से लाभ उठा रही हैं, जिसका अंदाजा शहर के निजी स्कूलों व मोहल्लों में भी बढ़ रही टावरों की संख्या से लगाया जा सकता है। निर्देशों की अनदेखी के चलते तलवंडी चौक नजदीक, कम्मेआना गेट, डोगर बस्ती, बस स्टैंड नजदीक, बाबा फरीद मार्कीट व सर्कुलर रोड के अलावा कई निजी अस्पताल के पास एक से अधिक टावर तथा टावरों पर एक से अधिक कम्पनियों के एनटीना लगा दिए गए हैं।

इस संबंधी डाक्टरों का कहना है कि मोबाइल टावरों की रेडिएशन से कई तरह की भयानक बीमारियों के वजूद में आने की पूर्ण संभावना है। उनके अनुसार मोबाइल टावरों में से निकलने वाली ये तरंगें नींद न आना, तनाव, सिरदर्द, बेचैनी, आंखों की रोशनी कम होने के साथ-साथ फेफड़ों व कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का सबब बन सकती हैं। हालांकि टावर लगवाने वाले लोग भी मानते हैं कि इनसे निकलने वाली किरणें स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं, मगर प्रतिमाह मिलने वाले 6 से 8 हजार रुपए की आमदनी के चलते वे टावर अपनी इमारतों में लगवाने में दिलचस्पी भी ले रहे हैं। पक्षियों की प्रजातियां बचाने में लगे बीड़ क्लब ने भी बताया कि टावरों की रेडिएशन कारण इनके नजदीक चिड़ियां, कौवे व अन्य कई मनुष्य की दोस्त पक्षी प्रजातियां खत्म हो रही हैं।

जब मोबाइल टावर लगाने वाली कम्पनी के अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि टावर हमेशा ही हर तरह के एतराजहीनता सर्टीफिकेट लेने उपरांत ही लगाया जाता है फिर भी जहां कहीं लोग एतराज जताते हैं, वहां से टावर अन्य जगह तबदील कर दिया जाता है।

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