हाईकोर्ट जाकर चक्रव्यूह की तरह उलझता ही चला जा रहा नई वार्डबंदी का मामला

Edited By Kalash,Updated: 04 Oct, 2023 11:27 AM

matter of new warding in high court

पंजाब में नगर निगमों के चुनाव लटकते चले जा रहे हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जालंधर नगर निगम की वार्डबंदी को लेकर जो याचिका दायर हुई है

जालंधर : पंजाब में नगर निगमों के चुनाव लटकते चले जा रहे हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जालंधर नगर निगम की वार्डबंदी को लेकर जो याचिका दायर हुई है उस संबंधी मामला भी अब चक्रव्यूह की तरह उलझता दिख रहा है। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है क्योंकि पंजाब सरकार के अधिकारी इस मामले में जरा सी भी गंभीरता नहीं दिखा रहे।

पहले सरकारी अधिकारियों ने वार्डबंदी करने में ढील दिखाई और महीनों लगा दिए। जो वार्डबंदी हुई भी, वह भी किसी की समझ में नहीं आई जिस कारण प्रस्तावित वार्डबंदी के दौरान ही जालंधर निगम की नई वार्डबंदी संबंधी याचिका हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट मेहताब सिंह खैहरा, हरिंदर पाल सिंह ईशर तथा एडवोकेट परमिंदर सिंह विग द्वारा डाल दी गई। इसमें पंजाब सरकार और इसके विभिन्न विभागों को प्रतिवादी बनाया गया। यह याचिका जिला कांग्रेस के प्रधान तथा पूर्व विधायक राजेंद्र बेरी, पूर्व कांग्रेसी पार्षद जगदीश दकोहा तथा पूर्व विधायक प्यारा राम धन्नोवाली के पौत्र अमन द्वारा डाली गई।

गौरतलब है कि फगवाड़ा, डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर और कुछ अन्य शहरों से भी वार्डबंदी को लेकर हाईकोर्ट में जो याचिकाएं दायर हुई हैं, उन्हें भी जालंधर निगम संबंधी दायर याचिका के साथ ही इकट्ठा कर दिया गया। इन सभी याचिकाओं पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई जिस दौरान जालंधर नगर निगम संबंधी जवाबदावा तो अफसरों ने दायर कर दिया परंतु फगवाडा निगम की वार्डबंदी संबंधी जवाब सरकार के प्रतिनिधि नहीं दे पाए। ऐसे में सुनवाई पूरी ना हो सकी और माननीय अदालत ने अगली तिथि निर्धारित कर दी।

हावी होते दिख रहे हैं कांग्रेसी, जवाबदावे में लगाए गए पत्र में बड़ी खामी सामने आई

याचिका में तर्क दिया गया है कि पंजाब सरकार ने जब डीलिमिटेशन बोर्ड का गठन किया था, उसके सदस्यों को बदला नहीं जा सकता परंतु बोर्ड के सदस्य जगदीश दकोहा तथा अन्य पार्षदों को इस आधार पर हटा दिया गया क्योंकि जालंधर निगम के पार्षद हाउस की अवधि खत्म होने के बाद वह पार्षद नहीं रह गए थे। याचिका में कहा गया है कि 5 एसोसिएट सदस्यों को ना तो डिलीमिटेशन बोर्ड की बैठक में बुलाया गया और ना ही उन्हें बोर्ड से हटाने हेतु कोई नोटिफिकेशन ही जारी किया गया। सरकार ने अपनी ओर से दो सदस्य बोर्ड में मनोनीत कर दिए जबकि सरकार केवल एक ही सदस्य बोर्ड में अपनी ओर से भेज सकती है।

याचिका में कहा गया है कि जब डीलिमिटेशन बोर्ड ही अवैध है तो उस द्वारा तैयार की गई वार्डबंदी अपने आप ही गैरकानूनी हो जाती है। गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने डीलिमिटेशन बोर्ड के सदस्यों को हटाने और सरकार द्वारा नए प्रतिनिधि नियुक्त करने बाबत आदेश या नोटिफिकेशन की जो कापी मांग रखी थी, उस संबंधी एक पत्र जवाबदावे के साथ लगाया तो गया पर उसमे भी बड़ी ख़ामी बताई जा रही है। उस पत्र पर तारीख तो 25 जनवरी 2023 लिखी गई है पर उसी पत्र में डिलिमेटेशन बोर्ड की बैठक 23 जनवरी 2023 को बुलाने संबंधी जिक्र है। वकीलों का कहना है कि लोकल बाडीज के ज्वाईंट डायरैक्टर ने अदालत समक्ष जवाबदावा तो दायर किया है परंतु यह डायरैक्टर या प्रिंसिपल सैक्रेटरी की ओर से दायर होना चाहिए था। याचिका में राजन अंगुराल और मंगल बस्सी को भी पार्टी बनाया गया है पर दोनों में से कोई उपस्थित नहीं था और न ही उनका कोई प्रतिनिधि। अभी तक जालंधर प्रशासन या नगर निगम जालंधर की ओर से भी कोई जवाब पेश नहीं किया गया है।

सुनवाई की अगली तिथि को लेकर भी दुविधा बनी

सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट में आज जब इस याचिका पर सुनवाई चल रही थी तो फगवाड़ा नगर निगम की वार्डबंदी से संबंधित जवाब न मिलने के कारण माननीय अदालत ने अगली सुनवाई तक याचिका को टाल दिया और 11 अक्तूबर की तिथि निर्धारित कर दी गई परंतु शाम को जब इस याचिका संबंधी ऑनलाइन स्टेटस चैक किया गया तो उसमें सुनवाई की अगली तिथि 24 मार्च 2024 लिखी हुई आई। याचिकाकर्त्ताओं के वकीलों का कहना है कि इस मामले में तकनीकी गलती हुई है और अदालत समक्ष पहुंच करके इसे दुरूस्त करवा लिया जाएगा।

मंगल बस्सी को डीलिमिटेशन बोर्ड का सदस्य बनाने पर हुआ एतराज

कांग्रेसियों ने हाईकोर्ट में जो याचिका दायर कर रखी है उसमें आम आदमी पार्टी के नेता मंगल सिंह बस्सी को डिलीमिटेशन बोर्ड का सदस्य बनाए जाने पर एतराज उठाया गया है। याचिका में कहा गया है कि मंगल सिंह बस्सी न तो जालंधर निगम के तहत आते क्षेत्र में वोटर हैं और न ही जालंधर में उनका कोई पता या निवास स्थान है। सरकार यह स्पष्ट करे कि क्या बाहरी व्यक्ति को ऐसे बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है । इस संबंधी नोटिफिकेशन या पत्र अदालत समक्ष रखा जाए। याचिका दौरान यह एतराज भी उठाया गया है कि फगवाड़ा नगर निगम की वार्डबंदी 2021 में हुई थी उसके बाद कोई चुनाव नहीं हुए फिर 2023 में नई वार्डबंदी आखिर क्यों की गई।

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