मनीष तिवारी बनाए जा सकते हैं पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष

Edited By Vatika,Updated: 24 Feb, 2020 08:29 AM

manish tiwari can be made the president of punjab congress

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बम्पर जीत के बाद पंजाब में कांग्रेस ने अभी से 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है

जालन्धर(विशेष): दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बम्पर जीत के बाद पंजाब में कांग्रेस ने अभी से 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। कार्यकत्र्ताओं में नई जान फूंकने के लिए अगले कुछ दिनों में पार्टी के नए अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है। इस रेस में श्री आनंदपुर लोकसभा सीट से सांसद मनीष तिवारी का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। 
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हालांकि एक चर्चा यह भी चल रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी की कमान दी जाए लेकिन यदि सिद्धू को पार्टी का प्रधान बनाया जाता है तो पंजाब में मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष दोनों पदों पर सिख नेता आसीन हो जाएंगे। लिहाजा पार्टी के भीतर सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कांग्रेस हाईकमान मनीष तिवारी को प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर नियुक्त कर सकती है। तिवारी 2009 में लुधियाना से सांसद रहे हैं और 2019 के चुनाव में पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हवा के बावजूद उन्होंने आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। मनीष तिवारी 1998 से लेकर 2003 तक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और उन्हें संगठन का काम करने का भी लम्बा अनुभव है। लिहाजा पंजाब में भी मनीष तिवारी की संगठन पर अच्छी पकड़ है और प्रदेश के सारे नेता उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। लिहाजा संगठन के स्तर पर काम करने में उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।  
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सिद्धू की चुप्पी ने खड़े किए सवाल
हालांकि पंजाब में पार्टी का एक धड़ा नवजोत सिंह सिद्धू को कैबिनेट में सम्मानजनक जगह अथवा प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में है और सिद्धू की इस मामले में प्रियंका गांधी के साथ लगातार बातचीत चल रही है और सिद्धू  को मामला 15 मार्च तक हल किए जाने का आश्वासन भी मिला है लेकिन सिद्धू की अपनी चुप्पी ने ही राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं। कैबिनेट से बाहर होने के बाद से ही नवजोत सिंह सिद्धू चुप्पी साध कर बैठे हैं और राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही। एक तरफ जहां प्रगट सिंह जैसे विधायक जन सामान्य से जुड़े मुद्दों को मीडिया के माध्यम से जनता के बीच ला रहे हैं वहीं दूसरी तरफ नवजोत सिंह सिद्धू का लम्बे समय तक चुप्पी धारण करना जनता में भी गलत संदेश दे रहा है।

पंजाब सरकार ने चुनाव से पूर्व किए गए नशा समाप्ति, रोजगार, सस्ती बिजली व रेत-बजरी की कीमतों में कमी किए जाने के अपने लोकप्रिय वायदों में से कोई वायदा पूरा नहीं किया है और इसके कारण प्रदेश की जनता में रोष भी है। व्यापारी वर्ग भी 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली न मिलने और वैट के रिफंड लटकने के कारण सरकार से निराश है। शहरी वोटर सड़कों व सफाई जैसी आधारभूत सुविधाएं न मिलने के कारण सरकार के खिलाफ होता जा रहा है लेकिन तमाम मुद्दों पर नवजोत सिंह सिद्धू की चुप्पी के कारण पार्टी के अंदर व बाहर सिद्धू के विरोधियों को बोलने का मौका मिल रहा है।

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