मासूम जिंदगियों से खिलवाड़! लुधियाना में 'फर्जी डॉक्टर' का सनसनीखेज सच आया सामने

Edited By Kalash,Updated: 17 May, 2025 05:32 PM

ludhiana fake doctor clinic

शहर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

लुधियाना (डेविन): शहर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार शहर के टिब्बा रोड में क्लीनिक है जिसमे एक ऐसा व्यक्ति डॉक्टर बना बैठा है जिसके पास न तो एम.बी.बी.एस. और न ही एम.डी. जैसी कोई मान्य चिकित्सकीय डिग्री है, और न ही उसका क्लीनिक स्वास्थ्य विभाग के साथ पंजीकृत है। इसके बावजूद, वह प्रतिदिन 100 से अधिक बच्चे जिनकी उम्र महज 2 साल से लेकर 10 साल तक है, को दवाइयां दे रहा है और इंजैक्शन लगा रहा है तथा सैंकड़ों बच्चे रोज़ अपनी ओ.पी.डी. में देख कर उनकी जान खतरे में डाल कर रहा है।

झोलाछाप डॉक्टर बी.ए.एम.एस. के लेटर पैड पर लिख रहा है दवाइयां

शिकायतकर्त्ता ने नाम न छापने की शर्त पर सबूतों के साथ बताया की उक्त क्लीनिक में बैठा झोला छाप डॉक्टर किसी रजिस्ट्रेड बी.ए.एम.एस. डॉक्टर के लेटर पैड पर हर रोज सैंकड़ों बच्चों की ओ.पी.डी. कर रहा है और तो और बिना किसी डर के स्लिप पर दवाई लिख रहा है तथा बिना किसी क्वालीफाइड प्रैक्टिशनर के इंजैक्शन तक लगा रहा है। इस संबंध में जब उक्त डाक्टर से पूछा कि आप किसी और बी.ए.एम.एस. डॉक्टर के लेटरपैड पर मासूम बच्चों को कैसे चेक कर रहे हैं तब पहले तो उसने कहा की लेटर पैड जिस डॉक्टर का है, वही बच्चों को देखता है लेकिन जब उससे कहा कि हमारे पास सबूत है तो उसने एकदम से फ़ोन काट दिया और उसके बाद फ़ोन ही नहीं उठाया। सूत्रों ने बताया कि इस झोलाछाप डॉक्टर के पास एक आर.एम.पी. की डिग्री भी है जो पैसे दे कर बनाई है जब वह किसी हॉस्पिटल में नौकरी कर रहा था। इस बात की भी पुष्टि करने के लिए भी जब उक्त क्लिनिक के डॉक्टर से बात करने के लिए उसको दोबारा फ़ोन मिलाया उसके बाद उसका फ़ोन स्विच ऑफ हो गया।

जाली बिल और बिना फार्मासिस्ट के चल रहा है मैडीकल स्टोर

उक्त क्लिनीक संचालक ने अपने अंदर ही एक मैडीकल स्टोर बनाया है जहां पर डॉक्टर के पास चैक करवाने आए मरीज़ को दवाइयां मिलती है क्योंकि डॉक्टर द्वारा जो दवाइयां लिखी जाती हैं, वे सिर्फ क्लीनिक के अंदर बने मैडीकल स्टोर पर ही उपलब्ध होती हैं। ये दवाइयां जाली बिल पर बिना फार्मासिस्ट के दी जाती हैं जिस कारण हर रोज़ हज़ारो रुपए के टैक्स का सरकार को नुकसान होता है। शिकायतकर्त्ता के अनुसार क्लिनिक के अंदर चल रहा मैडीकल स्टोर संचालक की पत्नी द्वारा चलाया जा रहा है जो एक जी.एन.एम. है।

दवाइयों के साथ जो कम्प्यूटर पर्ची दी जा रही है उस पर न कोई दवाई लिखी है, न कोई बैच नंबर है न कोई एक्सपायरी और न ही किसी तरह का कोई ड्रग लाइसैंस नंबर अंकित है। इतनी खामिया होने के बाबजूद भी कैसे उक्त क्लीनिक के मैडीकल स्टोर बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है। अगर इन बिना बिल की दवाइयों या इंजैक्शन से किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ती है या कोई अनहोनी हो जाती है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। जल्द ही मामला स्वस्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह के ध्यान में लाया जाएगा।

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