चुनाव प्रचार में मंचों से गूंजेगा कुंवर का तबादला

Edited By Mohit,Updated: 08 Apr, 2019 11:32 PM

kunwar vijay pratap

पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में 3 वर्षों से उथल-पुथल मचाने वाले बेअदबी और गोलीकांड की घटनाओं को एक बार फिर हवा मिल गई है।

चंडीगढ़ (रमनजीत): पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में 3 वर्षों से उथल-पुथल मचाने वाले बेअदबी और गोलीकांड की घटनाओं को एक बार फिर हवा मिल गई है। हालांकि संभावना थी कि आस्था से जुड़ा मुद्दा लोकसभा चुनाव प्रचार का अहम बिंदु रहेगा लेकिन एस.आई.टी. के सदस्य कुंवर विजय प्रताप के तबादले से मुद्दे के एक बार फिर सैंटर स्टेज पर आने की प्रबल संभावना बन गई है। गत विधानसभा चुनाव दौरान भी शिरोमणि अकाली दल को इसकी तपिश महसूस हो चुकी है। 

संभावना थी कि लोगों द्वारा एक बार मतदान के जरिए गुस्सा निकालने के बाद मामला ठंडा पड़ जाएगा लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद सेवामुक्त जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट और फिर पंजाब पुलिस की एस.आई.टी. की जांच की खबरों ने शिअद को फिर निशाने पर ला खड़ा किया था। 

एस.आई.टी. सदस्य आई.जी. कुंवर विजय प्रताप की ओर से आचार संहिता लागू होने के बाद मीडिया में दी जानकारी से खफा शिअद ने आयोग को शिकायत की थी लेकिन शायद शिअद नेतृत्व यह अंदाजा लगाने में चूक गया कि आयोग के एक्शन के राजनीतिक मायने क्या रहेंगे। हालांकि शिअद की शिकायत पर आयोग की सख्त कार्रवाई से स्पष्ट हो गया है कि कुंवर विजय प्रताप का वक्तव्य ‘राजनीतिक’ था लेकिन कार्रवाई को सत्तासीन कांग्रेस किस रंगत के साथ चुनाव प्रचार में पेश करेगी इसका अंदाजा लगाने में चूक हो गई।

राजनीतिक माहिरों का मानना है कि पहले से ही बहुतायत में लोग बेअदबी की घटनाओं और गोलीबारी के मामलों में स्टीक कार्रवाई नहीं होने के कारण तत्कालीन शिअद सरकार के नेताओं से नाराज थे। अब शिअद की शिकायत को एस.आई.टी. की जांच में बाधा डालने के तौर पर कांग्रेस द्वारा प्रचारित किया जाएगा जिससे जाहिर है कि शिअद के खिलाफ पहले से ही बने हुए माहौल में और इजाफा होगा। मामले पर कांग्रेस के रुख का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान व गुरदासपुर से प्रत्याशी सुनील जाखड़ और पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने खुद राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से मिलकर शिअद की शिकायत को जांच में खलल डालने की कार्रवाई बताया था। कहा था कि एस.आई.टी. व कुंवर विजय प्रताप निष्पक्ष जांच कर रहे हैं और शिअद नेता खुद को फंसता देख ऐसे रास्ते अख्तियार कर रहे हैं जिससे जांच को रोका या भटकाया जा सके।

एस.आई.टी. के बाकी सदस्यों को भी जांच संबंधी टिप्पणी से रोका
चुनाव आयोग के आदेशों में एस.आई.टी. के बाकी सदस्यों को भी चुनाव आचार संहिता लागू रहने तक जांच संबंधी सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी करने से रोक दिया है। इस तरह चुनाव के समय दौरान एस.आई.टी. की जांच पर अघोषित तौर पर रोक लग जाएगी जिससे सत्ताधारी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस बरगाड़ी और बहबलकलां मामले में जांच के आधार पर कार्रवाई का मुद्दा मुख्य तौर पर उभारने के प्रयासों में थी। उल्लेखनीय है कि जांच दौरान आई.जी. कुंवर विजय प्रताप के नेतृत्व में पूर्व एस.एस.पी. चरणजीत शर्मा, मौजूदा आई.जी. परमराज सिंह उमरानंगल की गिरफ्तारी हो चुकी थी। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल और अभिनेता अक्षय कुमार आदि से बेअदबी मामले में एस.आई.टी. पूछताछ कर चुकी थी। जांच अंतिम पड़ाव पर होने के कारण अब बादलों और पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ कार्रवाई के आसार थे।

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