सोशल मीडिया पर पहले युवाओं को गुमराह करते हैं खालिस्तानी, फिर दीवारों ...

Edited By Urmila,Updated: 30 Aug, 2023 01:41 PM

khalistani first mislead the youth on social media then on the walls

भारतीय सिखों को भी लगता है कि खालिस्तान मुद्दे को बड़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा हैं।

जालंधर : राजधानी दिल्ली की मैट्रों की दीवारों सहित कई इलाकों में लिखे गए कैरी खालिस्तानी नारों के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि खालिस्तानी समूह भारत में अपने राष्ट्र विरोधी प्रचार के लिए सिख युवाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। सूत्रों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों ने जांच पाया है कि दीवारों पर नारे लिखने  वाले किसी खालिस्तानी संगठन का हिस्सा नहीं हैं।

 खालिस्तानी संगठन उन युवाओं की पहचान करते हैं जो सोशल मीडिया पर उन्हें ढूंढते हैं या भारत विरोधी भावनाओं के साथ टिप्पणी करते हैं। सूत्रों का कहना है कि वे धीरे-धीरे अपने एजेंडे से उन्हें कट्टरपंथी बनाना शुरू कर देते हैं, उन्हें दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखने के लिए मजबूर करते हैं। 

सिख समुदाय के लोगों को धमकाते हैं खालिसतानी 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सिखों को भी लगता है कि खालिस्तान मुद्दे को बड़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा हैं और वे इस बात से नाखुश हैं कि अलगाववादियों के कट्टरपंथी दृष्टिकोण के कारण समुदाय सम्मान खो रहा है। सिख समूहों को लगता है कि वे अपने आतिथ्य और दान के लिए जाने जाते हैं, लेकिन खालिस्तानियों की हिंसा के कारण यह प्रभावित हुआ है। सिख समुदाय दुनिया के विभिन्न हिस्सों जैसे यूनाइटेड किंगडम (यू.के.), संयुक्त राज्य अमरीका (यू.एस.), जर्मनी, फ्रांस और कनाडा में अल्पसंख्यक है। उनका कहन है कि दुनिया के अन्य हिस्सों में आक्रामक सिख कार्यकर्त्ताओं द्वारा सिखों को परेशान किया जाता है या धमकाया जाता है। खालिस्तान समर्थक चरमपंथी विचारधारा का उदय अन्य देशों में सिखों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है और उनकी छवि भी खराब कर रहा है।

युवाओं से करते हैं अमरीकी डालर देने का वादा

मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि वे युवाओं को 1984 के दंगे और स्वर्ण मंदिर में ऑप्रेशन दिखाते हैं। ये युवा मुख्य रूप से 1984 के बाद पैदा हुए हैं। और वे इन कथित खालिस्तानी संगठनों की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। वे उनसे दीवारों पर स्लोगन लिखने और झंडे लगाने के लिए कहते हैं और उनके द्वारा बनाए गए वीडियो और चित्रों के एवज में उन्हें 1,000-2,000 अमरीकी डॉलर देने का वादा करते हैं। 

 पुलिस दीवारों पर लिखे नारों को देखती है और उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा देती हैं, फिर इन युवाओं को पैसे देने से मना कर दिया जाता है क्योंकि अब नारे दीवारों पर बचे ही नहीं होते हैं। इस बीच युवाओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी.) की विभिन्न धाराओं के तहत एफ. आई. आर. दर्ज की जाती है जिसमें राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ना भी शामिल होता है। 

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