जालंधर निगम अधिकारियों में मचा हड़कंप, जानें क्यों

Edited By Kalash,Updated: 28 May, 2025 11:34 AM

jalandhar corporation officials

पंजाब सरकार द्वारा सरकारी विभागों में विकास कार्यों के लिए शुरू की गई ई-टैंडरिंग प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और ठेकेदारों को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में टैंडर प्राप्त करने का मौका देना है।

जालंधर (खुराना): पंजाब सरकार द्वारा सरकारी विभागों में विकास कार्यों के लिए शुरू की गई ई-टैंडरिंग प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और ठेकेदारों को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में टैंडर प्राप्त करने का मौका देना है। इसके बावजूद, अत्यंत जरूरी कार्यों को बिना टैंडर करवाने के लिए 2022 में ट्रांसपेरेंसी एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट लागू किया गया था, जिसके तहत निगम कमिश्नर को 5 लाख रुपए से कम राशि के कार्य बिना टैंडर या कोटेशन के सैंक्शन के आधार पर करवाने की पॉवर दी गई थी।

आरोप है कि जालंधर नगर निगम में पिछले दो-तीन वर्षों में इस एक्ट के तहत करवाए गए कार्यों में भारी घोटाला हुआ है। इसकी आड़ में करोड़ों रुपये के कार्य करवाए गए हैं। स्टेट विजिलेंस की विशेष टीम, जो पहले निगम के बिल्डिंग विभाग की जांच कर रही थी और इस सिलसिले में ए.टी.पी. सुखदेव वशिष्ठ व आप विधायक रमन अरोड़ा को गिरफ्तार कर चुकी है, ने अब सैंक्शन कोटेशन से संबंधित घोटाले को अपनी जांच के दायरे में ले लिया है।

विजिलेंस ने इन कार्यों से संबंधित सभी फाइलें मंगवानी शुरू कर दी हैं, जिन्हें निगम अधिकारियों ने उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। पिछले दो दिनों से विजिलेंस अधिकारी निगम कार्यालय में ऐसी दर्जनों फाइलें इकट्ठा कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर फाइलों में फर्जी कोटेशन लगाए गए हैं और अधिकतर एस्टीमेट व बिल 5 लाख रुपए से थोड़ी कम राशि के बनाए गए हैं ताकि इन्हें संबंधित अधिकारी की पॉवर के दायरे में पास किया जा सके।

पहले जालंधर में हुए चुनाव और उपचुनाव की आड़ में सैंक्शन कोटेशन के आधार पर कई कार्यों के बिल पास किए गए, लेकिन बाद में यह एक परंपरा बन गई। निगम हाउस बनने के बाद भी यह सिलसिला नहीं रुका, बल्कि सैनिटेशन, मेंटेनेंस, बी एंड आर, ओ एंड एम, और लाइट शाखा से संबंधित ज्यादातर काम इसी आधार पर चल रहे हैं।

निगम कमिश्नर ने डेलीगेट कर रखी थी अपनी पॉवर

ट्रांसपेरेंसी एक्ट 2022 के तहत 5 लाख रुपये से कम राशि के विकास कार्यों की पॉवर निगम कमिश्नर के पास थी, लेकिन उन्होंने इसे निचले स्तर के अधिकारियों तक डेलीगेट कर रखा था। इस कारण ऐसी कोई फाइल कमिश्नर कार्यालय तक नहीं पहुंचती थी, और असिस्टेंट कमिश्नर व जॉइंट कमिश्नर स्तर पर ही बिल पास हो जाते थे। विजीलैंस ने अब सैंट्रल विधानसभा क्षेत्र में हुए कामों की सूची मांगी है, लेकिन माना जा रहा है कि जालंधर कैंट, जालंधर नॉर्थ, और जालंधर वेस्ट में भी सैंक्शन कोटेशन के आधार पर करोड़ों रुपये के काम करवाए गए हैं, जिनकी जांच भविष्य में हो सकती है।

ठेकेदार शिवम मदान के घर से बरामद हुईं कुछ फाइलें

भगवती इंटरप्राइजेज के नाम से निगम में ठेकेदारी करने वाले शिवम मदान के घर से कुछ ऐसी फाइलें बरामद हुई हैं, जो सैंक्शन कोटेशन से संबंधित हैं। ये फाइलें मैनपॉवर और अन्य विकास कार्यों से जुड़ी हैं, जिन पर निगम अधिकारियों के हस्ताक्षर भी हैं। सामान्य तौर पर ऐसा रिकॉर्ड निगम अधिकारियों की कस्टडी में होना चाहिए, लेकिन ठेकेदार के पास मिलना कई गंभीर सवाल खड़े करता है। विजिलेंस अब यह जांच करेगी कि शिवम मदान ने सैंक्शन कोटेशन के आधार पर कितने कार्य किए और इसके पीछे किसका संरक्षण था।

बताया जाता है कि शिवम मदान को विधायक रमन अरोड़ा का करीबी माना जाता है। विजिलेंस ने इस केस के सिलसिले में निगम अधिकारियों गगन लूथरा और करण दत्ता को बुलाकर उनके बयान दर्ज किए। सूत्रों के अनुसार, निगम के कुछ अन्य बड़े अधिकारियों को भी बयान के लिए बुलाया गया है। इससे निगम की बी एंड आर, ओ एंड एम, लाइट, और सैनिटेशन शाखाओं में हड़कंप मचा हुआ है।

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