Edited By Vatika,Updated: 04 Aug, 2025 10:03 AM

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान जंग, जिसमें भारत सरकार की तरफ से ऑप्रेशन सिंदूर
अमृतसर (नीरज): पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान जंग, जिसमें भारत सरकार की तरफ से ऑप्रेशन सिंदूर चलाया गया। इसका नकारात्मक असर धीरे-धीरे सामने आना शुरू हो गया है।
जानकारी के अनुसार पिछले दो महीना से आई.सी.पी. अटारी बॉर्डर खाली पड़ी हुई है, इसके पीछे कारण यह है कि अफगानिस्तान से आने वाले ड्राई फ्रूट के ट्रक अब नहीं आ रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के ट्रैकों को रास्ता देने से मना कर दिया है। हालांकि पुलवामा हमले के बाद वर्ष 2019 में पाकिस्तान के साथ आयात निर्यात भी बंद हो गया था, लेकिन अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट व अन्य सामान के ट्रक आ रहे थे। अमृतसर में 10 दिनों की संख्या में कारोबारी ऐसे हैं, जो अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट का आयात कर रहे थे और पूरे देश में ड्राई फ्रूट की सप्लाई की जा रही थी, लेकिन फिलहाल अब अफगानिस्तान से आयात शुरू होने की कोई संभावनाएं नजर नहीं आ रही है।
150 करोड़ की लागत से तैयार की गई थी आई.सी.पी.
आई.सी.पी. अटारी की बात करें तो केंद्र सरकार की तरफ से 150 करोड रुपए की लागत से आई.सी.पी. का निर्माण किया गया था, वह तत्कालीन वित्त मंत्री परी चिदंबरम की तरफ से इसका उद्घाटन किया गया था। इस आई.सी.पी. में 500 से ज्यादा ट्रक खड़े होने की व्यवस्था की गई थी। इसके साथ-साथ करोड़ों रुपए की लागत से आई.सी.पी. पर टैक्स स्कैनर भी लगाया गया था। बड़ी संख्या में आई.सी.पी. पर गोदाम भी बनाए गए थे, जिसमें ड्राई फ्रूट अन्य सामान रखने की व्यवस्था थी। इसके अलावा इन गोड़ों में छोटे स्कैनर भी रखे हुए थे। आई.सी.पी. पर कस्टम विभाग की एक बड़ी टीम तैनात थी जो अभी भी है, लेकिन काम न होने के कारण कस्टम विभाग के दर्जनों अधिकारी व कर्मचारी आई.सी.पी. पर खाली बैठकर समाजवादी कर रहे हैं और सरकार से मुफ्त का वेतन भी ले रहे हैं। सभी इसी उम्मीद में बैठे हैं कि कभी ना कभी अफगानिस्तान से ट्रैकों की आमद शुरू हो ही जाएगी, लेकिन जिस प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका पाकिस्तान की मदद कर रहा है और रसिया भारत के समर्थन में आ चुका है उसे संभावनाएं कम ही नजर आ रही हैं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के ट्रैकों को भारत जाने की अनुमति देगा।
आई.सी.पी. की सुरक्षा के लिए बी.एस.एफ. की एक पूरी बटालियन तैनात
आई.सी.पी.आर. तारीख की बात करें तो जिस समय पाकिस्तान के साथ भारी मात्रा में आयात निर्यात किया जाता था तो केंद्र सरकार ने आई.सी.पी. की सुरक्षा के लिए 10-20 जवान नहीं, बल्कि बी.एस.एफ. की एक परी की पूरी बटालियन ही तैनात कर दी थी। लगभग सॉस एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हुई आई.सी.पी. के सभी हिस्सों में बी.एस.एफ. का बाद सुरक्षा चक्कर रहता है और कौने-कौने में बी.एस.एफ. के जवान भी तैनात रहते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि आई.सी.पी. की दीवारें बिल्कुल पाकिस्तान के साथ सटी हुई है और पाकिस्तान पर किसी भी कीमत पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। फिलहाल पिछले दो महीनो से बी.एस.एफ. के सैंकड़ों कर्मचारी और अधिकारी यहां पर खाली बैठे हुए हैं और अपनी ड्यूटी दे रहे हैं। कई बार पाकिस्तान के कट्टर आतंकवादी संगठनों जिसमें लश्करे तैयबा व अन्य की तरफ से आई.सी.पी. को उड़ाने की धमकी भी दी जा चुकी है।
हजारों की संख्या में कुली और मजदूर हुए बेरोजगार
वैसे तो पाकिस्तान के साथ आयात निर्यात बंद होने के कारण आई.सी.पी. पर काम करने वाले लगभग 25000 के करीब कली और मजदूर बेरोजगार हो चुके थे, लेकिन फिर भी अफगानिस्तान से आने वालों ट्रैकों के कारण सैकड़ो की संख्या में कुली वह मजदूर को कम मिल रहा था, लेकिन अब अफगानिस्तान का आयात बंद होने के कारण यहां पर काम करने वाले हजारों कुली वह मजदूर ट्रांसपोर्टर और सी.एच.ए. भी खाली हाथ बैठे हुए हैं। सीमावर्ती जिला होने के कारण यहां पर वैसे भी कोई अन्य रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं है, जिससे आई.सी.पी. अटारी के इलाके में बेरोजगारी की दर बढ़ाने की और ज्यादा संभावना है।
सीमावर्ती गांवों में नशीले पदार्थों की तस्करी के पीछे आई.सी.पी. बंद होना बड़ा कारण
पिछले कुछ वर्षों से अमृतसर के सीमावर्ती गांव में ड्रोन की जबरदस्त मोमेंट हो रही है और नशीले पदार्थों की तस्करी ने अगले पिछले पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण आई.सी.पी. अटारी का बंद होना भी है, जिस समय आई.सी.पी. अटारी पर पाकिस्तान के साथ आयात निर्यात होता था तो 25000 के लगभग खली और मजदूरों के अलावा 700 के करीब ट्रांसपोर्टर भी यहां पर काम करते थे, जिनके पास अलग से मजदूर भी काम करती थी, लेकिन जब से पाकिस्तान के साथ आजाद निर्यात बंद हुआ जब से सीमावर्ती गांव में नशीले पदार्थों की तस्करी शिखर पर है। बेरोजगार हो चुके कुलियाना व मजदूरों को पिछले कई वर्षों से न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार की तरफ से कोई आसरा दिया गया है, जिससे बेरोजगारी का आलम शिखर पर है।
जल्द ही केंद्र सरकार से की जाएगी बातचीत
इस पर अफगानिस्तान का आयात बंद होने के बाद जो हालात बने हुए हैं इसके बारे में व्यापारी नेता अनिल मेहरा और बीके बजाज का कहना है कि जल्द ही केंद्र सरकार के साथ इस बारे में बातचीत की जाएगी क्योंकि पाकिस्तान के रास्ते ड्राई फ्रूट व अन्य सामान बहुत कम लागत पर आता है इसकी तुलना में जो अन्य विकल्प है वह काफी महंगे पड़ते हैं।