पंजाब में दूध उत्पादन में भारी गिरावट, जानें क्यों

Edited By Kalash,Updated: 13 Sep, 2025 06:04 PM

in milk production in punjab

लगभग 400 से अधिक गांवों में आई बाढ़ ने जहां हजारों लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है

गुरदासपुर (हरमन): गुरदासपुर और पठानकोट के सीमावर्ती जिलों के लगभग 400 से अधिक गांवों में आई बाढ़ ने जहां हजारों लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, वहीं इसने पशुओं को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। स्थिति यह है कि दोनों जिलों में लगभग 400 से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों पशु बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अब जब गांवों से पानी सूख चुका है, तो बढ़ते तापमान और हरे चारे की कमी के कारण पशु कई तरह की मुश्किलों से जूझ रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप न केवल दूध उत्पादन में 20% की गिरावट आई है, बल्कि पशुओं को कई गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

गुरदासपुर में हजारों पशु प्रभावित

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. श्याम सिंह और उप निदेशक डॉ. जसप्रीत सिंह ने बताया कि गुरदासपुर जिले के बाढ़ प्रभावित गांवों में लगभग 69 हजार पशु मौजूद थे, जिनमें से ज्यादातर पशु किसी न किसी रूप में बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। गुरदासपुर जिले में अब तक लगभग 300 पशुओं की मौत हो चुकी है, जबकि 28,000 के करीब चूजे भी बाढ़ की चपेट में आकर मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि अब तक जिले में काम कर रही 42 अलग-अलग टीमों ने 7,842 पशुओं का इलाज किया है, जबकि अभी भी गांवों में कैम्प लगाकर और घर-घर जाकर युद्ध स्तर पर पशुओं का इलाज किया जा रहा है। इसके साथ ही, नदी पार के गांवों में भी बी.एस.एफ. की मदद से कैंप लगाए जा रहे हैं और सभी को मुफ्त दवाइयां दी जा रही हैं।

क्या है डेरा बाबा नानक की स्थिति?

डेरा बाबा नानक सब-डिवीजन के सहायक निदेशक डॉ. गुरदेव सिंह ने बताया कि केवल डेरा बाबा नानक क्षेत्र के विभिन्न गांवों में ही लगभग 27 पशु बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि डेरा बाबा नानक इलाके में विभाग की टीमें पूरी तरह से मुस्तैद हैं। हर बाढ़ प्रभावित गांव में कैंप लगाकर लोगों की हर संभव मदद की जा रही है ताकि पशुओं को बीमारियों से बचाया जा सके।

क्या पठानकोट जिले की स्थिति?

पठानकोट जिले के पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ. हरदीप सिंह ने बताया कि पठानकोट जिले के लगभग 90 गांवों में पशु ज्यादा प्रभावित हुए थे, जिनमें से 42 गांव ऐसे थे जहां बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था। उन्होंने कहा कि पठानकोट जिले में लगभग 100 से अधिक पशुओं की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 5 हजार के करीब पोल्ट्री का भी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अब विभाग की 8 टीमें हर वक्त पशुपालकों की मदद के लिए काम कर रही हैं, जिन्होंने अब तक 5,400 पशुओं की जांच की है।

पशुओं के लिए नुकसानदेह है तापमान में आ रहा बदलाव

गुरदासपुर के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुरदेव सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में मौसम में बदलाव पशुओं के लिए बेहद हानिकारक माना जा रहा है। खासकर बाढ़ प्रभावित इलाकों में उमस बढ़ने से पशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब उमस बढ़ती है तो पशुओं में गलघोटू जैसी बीमारियां पैदा होने लगती हैं, जिससे बचाव के लिए अभी से टीकाकरण किया जा रहा है।

हरा चारा न मिलने कारण बढ़ी समस्या

उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हरा चारा खराब हो चुका है, जिस कारण ज्यादातर पशु सूखे चारे और साइलेज पर ही निर्भर हैं। हरा चारा न मिलने से पशुओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे पेट की बीमारियां और बुखार। कई दिनों तक पानी में खड़े रहने के कारण कई पशुओं के खुर गलने की शिकायतें भी आ रही हैं। इस समय पशु इतने तनाव में हैं कि दोनों जिलों में दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में लगभग 20% की कमी आ चुकी है।

पशुओं का बचाव कैसे करें?

डॉ. गुरदेव सिंह ने बताया कि इस समय पशुओं के बचाव के लिए कई सावधानियां बरतने की जरूरत है। जहां खुर गलने की समस्या है, वहां प्रभावित खुरों को लाल दवा के घोल से अच्छी तरह साफ करें और फिर बीटाडीन दवा और पानी के घोल का अच्छी तरह से इस्तेमाल करें। उन्होंने बताया कि कई पशुओं की मौत पेट फूलने से हुई है क्योंकि कई बार पशुपालक साइलेज की बहुत ज्यादा मात्रा देना शुरू कर देते हैं। पशु को साइलेज देने से पहले उसकी मात्रा कम रखें। साइलेज और सूखे चारे के कारण पशुओं में एसिड की मात्रा भी बढ़ रही है। इससे बचने के लिए प्रति पशु 60 ग्राम मीठा सोडा एक दिन के अंतराल पर मिलाकर जरूर देना चाहिए।

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