Edited By Kalash,Updated: 29 May, 2025 12:17 PM

खरड़ शहर के लिए संशोधित मास्टर प्लान तैयार करने में लगातार हो रही लापरवाही और अत्यधिक देरी को गंभीरता से लेते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले कुछ दिनों से सख्त रुख अपनाया है।
खरड़ (रणबीर): खरड़ शहर के लिए संशोधित मास्टर प्लान तैयार करने में लगातार हो रही लापरवाही और अत्यधिक देरी को गंभीरता से लेते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले कुछ दिनों से सख्त रुख अपनाया है। ऐसा लगता है कि अदालत अब इस मामले में कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं है। गत 19 तारीख को जज हरकेश मनुजा ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि जब तक खरड़ का मास्टर प्लान संशोधित नहीं हो जाता और इसकी अधिसूचना जारी नहीं हो जाती, तब तक खरड़ में किसी भी प्रकार के निर्माण की इजाजत नहीं दी जाएगी। इस मामले की सुनवाई 27 मई को थी। इस पर भी कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को बरकरार रखते हुए किसी भी तरह के निर्माण को वर्जित रखा है।
इतना ही नहीं, कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार के तीन अधिकारियों का वेतन भी कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं और मामले की अगली सुनवाई अब 23 सितंबर 2025 तय की गई है। आपको बता दें कि खरड़ का आखिरी मास्टर प्लान 25 मई 2010 को नोटिफाई किया गया था, जबकि पंजाब क्षेत्रीय नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम के तहत हर 10 साल बाद इसकी समीक्षा और संशोधन करना अनिवार्य है। लेकिन 15 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी इसे गंभीरता से लेने की बजाय खरड़ में सभी कानूनों का उल्लंघन करते हुए अवैध, बेतरतीब निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिसके कारण न केवल शहर की सूरत पर बुरा असर पड़ा है, बल्कि आम लोग बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित नजर आ रहे हैं। इससे इसके पीछे बड़े पैमाने पर लापरवाही उजागर हुई है।
इसके मद्देनजर ओमेगा इंफ्रा एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दिनांक 25/10/24 को डबल बेंच के आदेश का पालन न करने तथा न्यायालय के आदेशों के उल्लंघन के संबंध में अपील दायर की गई, जिसमें कहा गया कि अधिकारी जानबूझकर न्यायालय के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं। इस केस की अब तक की कार्यवाही पर नजर डालें तो इसी वर्ष 31 जनवरी को नगर कौंसिल खरड़ से एम.ई. विनय महाजन द्वारा अदालत में पेश होकर आवश्यक दस्तावेज अगली 5 फरवरी तक डी.टी.पी, को सौंपे डाने का भरोसा दिया गया था जबकि गत 11 फरवरी को नगर परिषद ने जी.आई.एस. आधारित भूमि उपयोग योजना एवं संपत्ति सर्वेक्षण के लिए टेंडर जारी किया गया था, लेकिन इसी माह की 2 मई को अपने तबादले और पहले कार्य साधक अधिकारी रवि कुमार जिंदल ने एक शपथ पत्र में बताया था कि प्रथम टेंडर प्रक्रिया सफल नहीं रही थी।
उन्होंने प्रक्रिया को नये सिरे से शुरू करने की बात कही। इस प्रकार मास्टर प्लान में देरी को एक तथाकथित ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया तथा हर बार कोई नया पहलू सामने रखा गया, जिसके कारण पहले से ही डेढ़ दशक से चल रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए न्यायालय ने 19 मई को इस क्षेत्र में आवास/व्यावसायिक निर्माण के रूप में हो रही अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए मास्टर प्लान के बिना सभी नए निर्माण पर रोक लगा दी।
इसके साथ ही 27 मई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस लापरवाही के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए पंजाब सरकार के आवास एवं शहरी विकास विभाग के संबंधित प्रमुख सचिव, नगर एवं ग्राम योजना विभाग के मुख्य नगर योजनाकार और पंजाब के स्थानीय निकाय विभाग के प्रमुख सचिव का वेतन कुर्क करने के आदेश दिए थे। ये नये आदेश तब तक जारी रहेंगे जब तक कि अदालत के उपरोक्त आदेश का अनुपालन नहीं हो जाता।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here