Edited By Vatika,Updated: 07 Sep, 2024 03:59 PM
अब यह नए लोग कितने सफल होते हैं, और कितनी देर भाजपा में टिकते हैं, यह देखने वाला होगा।
जालंधर(अनिल पाहवा): भारतीय जनता पार्टी की तरफ से हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए बुधवार को एक सूची जारी की गई, जिसमें भाजपा नेताओं के साथ-साथ कुछ ऐसे चेहरे भी थे, जिन्हें देखकर हैरानी हुई। सबसे ज्यादा हैरानी उन चेहरों को देखकर हुई, जो अन्य दलों से भाजपा में आए थे और पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। इसके अलावा सी.एम. नायब सैनी का टिकट बदला जाना और कुछ विधायकों का टिकट कटना, यह भी कुछ हैरान करने वाली बातें थीं।
पहले भी एक्सपैरीमैंट करने में महारत हासिल कर चुकी है भाजपा
भाजपा ने अपनी पहली 67 उम्मीदवारों की सूची में जिस तरह से दल बदलुओं के प्रति मोह जताया है, उसके कारण पार्टी की योजनाओं पर सवाल खड़े होने लगे हैं। भाजपा ने जे.जे.पी., कांग्रेस, इनेलो, एच.जे.पी. से भाजपा में शामिल हुए करीब 10 लोगों को अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है। दूसरे दलों के लोगों को सर आंखों पर बिठाना वैसे पार्टी के लिए नई बात नहीं है, पार्टी ऐसे एक्सपैरीमैंट दूसरे राज्यों में पहले से ही कर चुकी है। खासकर पंजाब तथा हिमाचल इसके बड़े उदाहरण है।
हिमाचल प्रदेश में किए एक्सपैरीमैंट से भी नहीं लिया सबक
भाजपा ने हरियाणा में जिस तरह से दूसरे दलों से आए लोगों को टिकट बांटे हैं, उससे यही लगता है कि पार्टी ने इस मामले को लेकर हिमाचल प्रदेश में किए एक्सपैरीमैंट से सबक नहीं लिया है। हिमाचल प्रदेश में एक राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के 6 तथा 3 आजाद विधायकों ने क्रास वोटिंग करी थी, जिसके बाद इन्हें अयोग्य करार दे दिया गया था। 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही हिमाचल प्रदेश में इन 9 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा का यह एक्सपैरीमैंट फेल साबित हुआ। दरअसल उक्त 6 कांग्रेस के विधायकों को भाजपा ने अपने खेमे में शामिल कर लिया था, जिनमें आई.डी. लखनपाल, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, दविंद्र भुट्टो, रवि ठाकुर, राजिंद्र राणा के नाम शामिल थे। 2024 के विधानसभा चुनावों में जो परिणाम आया, उसमें दल बदल कर भाजपा में जाने वाले 6 कांग्रेसी नेताओं में से 4 हार गए, जबकि 2 लोग ही सफल हो पाए, जो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे।
नया नौ दिन और पुराना सौ दिन
हरियाणा में भी पार्टी ने अब 90 में से 67 सीटों पर जो उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें 10 दल बदलु हैं और पार्टी अगर अपने लोगों को छोड़कर इन लोगों को टिकट दे रही है तो शायद कुछ सोचा ही होगा। लेकिन पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि पुराने बुजुर्ग एक बात कहकर गए हैं कि नया नौ दिन और पुराना सौ दिन। अब यह नए लोग कितने सफल होते हैं, और कितनी देर भाजपा में टिकते हैं, यह देखने वाला होगा।
पंजाब में भी बाहरी लोगों को मिली वैल्यू, लेकिन.....
पंजाब में भी भाजपा ने कांग्रेस तथा अन्य दलों से आए लोगों को खूब वैल्यू दी है, लेकिन इस कोशिश में पार्टी के अपने टकसाली नेता खुद को लुटा हुआ महसूस कर रहे हैं। वर्षों तक पार्टी के लिए काम करने वाले लोग दरकिनार हैं, जबकि चंद महीने पहले भाजपा में आए कुछ लोगों को अहम पद देने की तैयारी चल रही है। हैरानी की बात है कि अब पंजाब में भाजपा से मोह भंग होकर कुछ लोगों की घर वापसी भी शुरू हो गई है।