सरकार ने पंजाब स्टेट डिजास्टर मैनेजमैंट प्लान को अंतिम रूप देने का लिया फैसला

Edited By Urmila,Updated: 10 May, 2023 12:06 PM

government has decided to finalize punjab state disaster management plan

पंजाब में किसी आपदा के समय राहत के उपाय बताने वाली योजना आखिरकार 11 साल बाद साकार होने जा रही है।

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): पंजाब में किसी आपदा के समय राहत के उपाय बताने वाली योजना आखिरकार 11 साल बाद साकार होने जा रही है। पंजाब सरकार ने 2011 में बने पंजाब स्टेट डिजास्टर मैनेजमैंट प्लान  को अंतिम रूप देने का निर्णय लिया है। इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह के साथ-साथ 2015 के बाद हुए वैश्विक समझौतों के अनुरूप कार्य किया जाएगा। खासतौर पर यूनाटेड नैशंस ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन की तरफ से तय सेंडई फ्रेमवर्क 2015-30 के अलावा सत्त विकास लक्ष्य, पैरिस एग्रीमैंट (सी.ओ.पी.21) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से डिजास्टर रिस्क रिडक्शन यानी आपदा जोखिम न्यूनीकरण को लेकर तय किए गए 10 सूत्रीय एजैंडा के मुताबिक पंजाब आपदा प्रबंधन योजना को फाइनल शक्ल दी जाएगी।

सरकार की यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले कुछ साल के दौरान पंजाब को कई तरह की बड़ी आपदाओं से जूझना पड़ा है। 2018 में ब्यास नदी में शूगर मिल से शीरे का रिसाव, 2019 में भयानक बाढ़ से तबाही के बाद हाल ही में लुधियाना की हाईड्रोजन सल्फाइड गैस के रिसाव से 11 लोगों की मौत ने पंजाब को झकझोर कर रख दिया है। वैसे तुर्की में आए भूकंप ने भी पंजाब में आपदा प्रबंधन की चिंताओं को गहरा किया है क्योंकि पंजाब के कई जिले भूकंप के लिहाज से उच्च जोखिम क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में ठोस आपदा प्रबंधन योजना राज्य के बाशिंदों की सुरक्षा के अहम है।

पंजाब में राज्य आपदा शमन कोष गठित, केंद्र ने 99 करोड़ रुपए जारी किए

आपदाओं से निपटने व आपदा से पहले तैयारियों के लिए पंजाब सरकार ने 2022 में एक अहम कदम उठाते हुए राज्य आपदा शमन कोष को मंजूरी दी है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस कोष में पहली किस्त के तौर पर 99 करोड़ रुपए जारी किए हैं। दरअसल, इस कोष का गठन 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर किया गया है, 2021 से 2026 तक स्टेट डिजास्टर मिटिगेशन फंड यानी शमन कोष में राज्य सरकार को 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी देनी होगी जबकि 75 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार का होगा। अधिकारियों की मानें तो 2026 तक स्टेट फंड में 729.60 करोड़ रुपए की कुल राशि की व्यवस्था होगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इस कोष का गठन करते हुए कहा है कि राज्य सरकार स्थिति की गंभीरता को पूरी संवेदनशीलता से समझ रही है और किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए ठोस तैयारी की जरूरत है। 

पंजाब सरकार लोगों की सुरक्षा को प्रमुख रूप से प्राथमिकता देती है और इस कार्य के लिए भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। इन शमन निधियों का इस्तेमाल आपदाओं के जोखिम को कम करने और पर्यावरण के अनुकूल बस्तियों और आजीविका परम्पराओं को बढ़ावा देगा। इससे सरकार के स्तर पर प्रारंभिक चेतावनी, सक्रिय रोकथाम, शमन और पूर्व-तैयारी के आधार पर जीवन और संपत्ति बचाने के लिए एक वैज्ञानिक कार्यक्रम के तहत कार्य किया जा सकेगा।

पंजाब की नई योजना में विभिन्न तरह की आपदाओं के लिए होगा अलग प्लान

पंजाब की नई आपदा प्रबंधन योजना का सबसे अहम पहलू यह होगा कि इस योजना में प्राकृतिक आपदा, मानव निर्मित आपदा, रसायनिक आपदा जैसी विभिन्न तरह की आपदाओं के लिए अलग से एक्शन प्लान बनाने पर काम किया जाएगा ताकि विषय विशेष आपदा के जोखिम को कम किया जा सके और तुरंत एक्शन मोड में आया जा सके। इसी कड़ी में राज्य स्तर पर  व जिला स्तर पर क्राइसिस मैनेजमैंट ग्रुप की भूमिका तय की जाएगी।
 
वहीं, आपदा जैसी स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न विभागों के स्तर पर पहले 24 घंटे, 48 घंटे, 72 घंटे के दौरान प्रतिक्रियात्मक भूमिकाएं तय की जाएंगी। नई योजना के लिए विभिन्न राज्यों की आपदा प्रबंधन योजनाओं का भी गंभीरता से अध्ययन किया जाएगा ताकि अच्छे पहलुओं को पंजाब की योजना में शामिल किया जा सके। नई योजना में पंजाब में आपदा संभावित क्षेत्रों के नक्शे, एग्रो क्लाइमेट जोन मैप, पिछले सालों में हुए बड़े डिजास्टर, नदियों का एरियल व्यू और बाढ़ जैसी आपदाओं से पडऩे वाले प्रभावों को भी जगह दी जाएगी ताकि प्रदेश की स्थिति को विस्तार से दर्शाया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 10 सूत्रीय एजैंडा रहेगा पंजाब की योजना का केंद्र बिंदू

-सभी विकास क्षेत्र आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को अपनाएं।
-गरीब परिवार से लेकर, एस.एम.ई. से लेकर एम.एन.सी. तक रिस्क कवरेज की तरफ काम करें।
-आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं के नेतृत्व व अधिक से अधिक भागीदारी को बढ़ावा दें।
-विश्व स्तर पर रिस्क मैपिंग में निवेश किया जाए।
-आपदा जोखिम प्रबंधन के प्रयासों की दक्षता बढ़ाने के लिए टैक्नोलॉजी का फायदा उठाया जाए। 
-आपदा मुद्दों पर काम करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक नैटवर्क तैयार किया जाए।
-सोशल मीडिया और मोबाइल टैक्नोलॉजी द्वारा दी गई सुविधाओं का उपयोग किया जाए।
-स्थानीय क्षमता पर निर्माण और आपदा जोखिम न्यूनीकरण बढ़ाने की पहल करे।
-किसी भी आपदा से सीखने का मौका नहीं गवाना चाहिए।
-आपदाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया में अधिक से अधिक सामंजस्य लाया जाए।

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