Edited By Tania pathak,Updated: 10 Jun, 2021 12:00 PM
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार व पंजाब के पूर्व मंत्री अनिल जोशी ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व पर तीखे बोल बोले हैं। जोशी ने कहा है कि भाजपा नेतृत्व को कृषि कानूनों व आंदोलन की वजह से...
चंडीगढ़ (रमनजीत): भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार व पंजाब के पूर्व मंत्री अनिल जोशी ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व पर तीखे बोल बोले हैं। जोशी ने कहा है कि भाजपा नेतृत्व को कृषि कानूनों व आंदोलन की वजह से बनी स्थिति पर जल्द अपना स्टैंड क्लीयर करना चाहिए, नहीं तो ऐसे हालात बन रहे हैं कि पंजाब विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए 117 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने मुश्किल हो जाएंगे, क्योंकि कोई भी चुनाव लडऩे को तैयार नहीं होगा।
अमृतसर उत्तर विधानसभा हलके से पिछली सरकार के वक्त विधायक रहे अनिल जोशी ने एक बयान में कहा है कि कृषि आंदोलन व कृषि कानूनों को लेकर उनके द्वारा दिए गए बयान के बाद पंजाब भाजपा कोर कमेटी की बैठक में उस पर नेतृत्व द्वारा चर्चा की गई, जिसके बाद पंजाब प्रभारी दुष्यंत गौतम, प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा व पूर्व मंत्री मदन मोहन मित्तल ने उनसे फोन पर बात की, ताकि उनके द्वारा जाहिर की गई शिकायत को सुना जा सके। जोशी ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया है कि आगामी दो सप्ताह के भीतर प्रदेश भाजपा को किसान आंदोलन के प्रति अपना रुख स्पष्ट कर देना चाहिए। उसके बाद ही वह तय करेंगे कि आगे क्या करना है।
जोशी ने उनके शिरोमणि अकाली दल में शामिल होने संबंधी चर्चाओं को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि भाजपा के ही कुछ नेताओं द्वारा ऐसी भ्रामक अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जबकि भाजपा को छोडऩे का उन्होंने कभी सोचा तक नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि लोगों से जुड़े व पार्टी की भलाई के मुद्दों पर वह खामोश रहेंगे।
जोशी ने कहा कि क्या पार्टी नेतृत्व को नहीं दिखाई दे रहा कि राज्य में भाजपा नेताओं को लोगों के गुस्से व विरोध का किस कदर शिकार होना पड़ रहा है। पंजाब ही नहीं, पड़ोसी राज्य हरियाणा में भाजपा की सरकार होने के बावजूद भाजपा नेताओं व सरकारी कार्यक्रमों तक के आयोजन में मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा नेतृत्व यह कैसे सोच सकता है कि पंजाब में चुनाव लड़ेंगे और जीत जाएंगे। जोशी ने कहा कि यदि यही स्थिति बनी रही और कृषि कानूनों पर कोई हल नहीं निकला तो भाजपा नेताओं ने चुनाव लडऩे में दिलचस्पी नहीं दिखानी और भाजपा को सभी 117 सीटों पर प्रत्याशी ढूंढना मुश्किल हो जाएगा।
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