जालंधर की मशहूर पकौड़े वाली दुकान का पड़ गया पंगा, हैरान कर देगा मामला

Edited By Urmila,Updated: 26 Jan, 2025 02:20 PM

famous shop jwale di hatti in jalandhar

जालंधर में मशहूर ज्वाली पकौड़े वाले को लेकर हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार  सेंट्रल टाउन जालंधर स्थित दुकान ज्वाली जी के ट्रेडमार्क को लेकर 1998 से कोर्ट में केस चल रहा था

पंजाब डेस्क: जालंधर में मशहूर ज्वाली पकौड़े वाले को लेकर  हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार सेंट्रल टाउन जालंधर स्थित दुकान ज्वाली जी के ट्रेडमार्क को लेकर 1998 से कोर्ट में केस चल रहा था जिसे लेकर जिला न्यायाधीश का फैसला सामने आया है। न्यायाधीश ने सेंट्रल टाउन स्थित ज्वाले दी हट्टी का नाम इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश ने कहा कि ज्वाले की हट्टी के नाम का उपयोग बंद किया जाए और इस ट्रेडमार्क के नाम पर जो लाभ कमाया है उसका हिसाब भी दिया जाए।  20 जनवरी को कोर्ट ने ज्वाली दी हट्टी के संचालकों केशो राम एंड संस के हक में फैसला सुनाया है। 

जानें क्या है पूरा मामला

बता दें कि सेंट्रल टाउन स्थित जो ज्वाले दी हट्टी है वह केशो राम एंड संस के ट्रेडमार्क ज्वाली दी हट्टी के नाम पर आधारित है।  सेंट्रल टाउन स्थित ज्वाले दी हट्टी के संचालकों हरीश कुमार पुत्र नाथू राम ने दुकान के बाहर बैनर लगा रखा था 'छावनी वालों की ज्वाले दी हट्टी', स्पेशल दाल के स्पेशल पकौड़े। उधर वादी केशो राम संस ने कहा कि दुकान नमकीन, मीठे और मूंगी की दाल के पकौड़े एवं मीठी मसालेदार चटनी ज्वाली दी हट्टी के नाम से चल रही है। यह नाम जालंधर कैंट के आसपास भी मशहूर है उनका यह बिजनेस बहुत बढ़िया चल रहा है। उन्होंने बताया कि उनके दादा का नाम ज्वाला प्रसाद था जिन्होंने अपने ज्वाला नाम से यह बिजनेस शुरू किया था। इस ज्वाले दी हट्टी के बाहर जो बैनर 'जालंधर छावनी की पुरानी दुकान' लगा है पढ़ कर लोग ज्वाली दी हट्टी समझ रहे हैं।

ज्वाले दी हट्टी के संचालकों का स्पष्टीकरण

उक्त ज्वाले दी हट्टी के संचालक हरीश कुमार पुत्र नाथू राम का कहना है कि उनकी ज्वाली दी हट्टी के नाम पर उनकी दुकान ज्वाले दी हट्टी का नाम समान नहीं है। वह लोगों को किसी तरह के भ्रम में नहीं डाल रहे हैं। उन्होंन कहा कि उनके परदादा का नाम ज्वाला प्रसाद था। वह पिछले 200 वर्षों से कैंट में रहे हैं। उन पर जो मुकद्दमा चलाया गया है वह मंजूर नहीं है। ज्वाले दी हट्टी के संचालकों हरीश कुमार पुत्र नाथू राम तथा परिजनों के पास हाईकोर्ट जाने का विकल्प खुला है। 

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