'लालच इंसान को बना देती है अंधा...' हैरान कर देने वाला है मामला, देखें बेटे ने कैसे खेला खेल

Edited By Urmila,Updated: 26 Aug, 2025 03:57 PM

fake power of attorney

लालच इंसान को अंधा बना देता है, यह कहावत एक बार फिर सच साबित हुई है। महानगर में ऐसा सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है।

लुधियाना (राम) : लालच इंसान को अंधा बना देता है, यह कहावत एक बार फिर सच साबित हुई है। महानगर में ऐसा सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है जिसने पूरे शहर को सकते में डाल दिया है। यहां बीमार पिता, जो बोलने-समझने की हालत में भी नहीं थे, उनके नाम पर बेटे ने जाली पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार करवा ली और इस फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करोड़ों की संपत्ति हड़पने की कोशिश में किया गया।

पुलिस ने विस्तृत जांच के बाद पत्नी-बेटे और एक अन्य आरोपी के खिलाफ थाना मोती नगर में एफ.आई.आर. दर्ज कर ली है। आरोपियों की पहचान विशेष जिंदल, अलका जिंदल पत्नी सर्वेश कुमार जिंदल दोनों निवासी 55, क्लब रोड और संजीव कुमार निवासी चिंतपूर्णी रोड नायलन चौक होशियारपुर के रूप में हुई है।

यह मामला सामने आया जब लुधियाना के विनय गुप्ता ने पुलिस कमिश्नर को एक विस्तृत शिकायत भेजी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि विशेष जिंदल, उसकी पत्नी आंचल जिंदल, मां अलका जिंदल और रिश्तेदार संजीव कुमार ने मिलकर उसके खिलाफ धोखाधड़ी की साजिश रची। गुप्ता ने दावा किया कि इन लोगों ने विशेष के पिता सरवेश जिंदल के नाम पर फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार करवाई और उसका इस्तेमाल अदालत में मुकद्दमेबाजी तथा बैंकों से करोड़ों रुपए निकालने के लिए किया।

सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि जिस सरवेश जिंदल के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी बनाई गई, वह लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार थे, ब्रेन हैमरेज से पीड़ित थे और कोमा जैसी हालत में अस्पताल में भर्ती थे। डॉक्टरों की रिपोर्ट साफ कहती है कि वह मानसिक असंतुलन की स्थिति में है। वह न तो समझ सकता है और न ही बोल सकता है। वह किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने की स्थिति में नहीं है। यानी जिस व्यक्ति को बोलने, समझने या हस्ताक्षर करने की भी क्षमता नहीं थी, उसके नाम पर बेटे और परिजनों ने जाली हस्ताक्षर करवा दिए।

घर से कोर्ट 1 किलोमीटर, पर पावर ऑफ अटॉर्नी बनी होशियारपुर में

मामले को और सनसनीखेज बनाता है यह तथ्य कि सरवेश जिंदल लुधियाना के स्थायी निवासी थे। यहां जिला अदालत उनके घर से महज 1 किलोमीटर दूरी पर है लेकिन आरोपी उन्हें कथित रूप से होशियारपुर ले गए और वहीं से पावर ऑफ अटॉर्नी नोटरी से अटैस्ट करवाई, क्योंकि विशेष की पत्नी आंचल जिंदल वहीं की वकील है और होशियारपुर में फर्जीवाड़ा करना उनके लिए आसान था।

स्टांप पेपर पर गहरी चाल

सरकार ने 31 जुलाई 2022 के बाद फिजिकल स्टांप पेपर को अमान्य घोषित कर दिया था। इसके बावजूद आरोपियों ने 30 जुलाई 2022 को पुराना स्टांप खरीदा और 4 अगस्त को उस पर पावर ऑफ अटॉर्नी बनवा दी। यानी सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया।

फॉरैंसिक रिपोर्ट ने खोल डाली पोल, अदालत में भी इस्तेमाल हुआ फर्जी दस्तावेज

निजी फॉरेंसिक विशेषज्ञ नवदीप गुप्ता ने अपनी जांच में पावर ऑफ अटॉर्नी पर किए गए हस्ताक्षरों को सरवेश जिंदल के असली हस्ताक्षरों से मिलाया। नतीजा हस्ताक्षर पूरी तरह फर्जी साबित हुए। यानी, अदालत और बैंक में पेश किया गया दस्तावेज पूरी तरह जालसाजी था। पुलिस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि यह जाली पावर ऑफ अटॉर्नी अदालत में मुकद्दमे के दौरान उपयोग की गई जिससे विनय गुप्ता को संपत्ति विवाद में नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई। अदालत के आदेशों की कॉपियां भी सबूत के तौर पर पेश की गई हैं।

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