Edited By Des raj,Updated: 22 Sep, 2018 08:01 PM
छत्तीसगढ़ में मायावती द्वारा कांग्रेस को छोड़कर अजीत जोगी के साथ हाथ मिला लेने के यू-टर्न को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व की नजरें अब वामदलों, एनसीपी तथा क्षेत्रीय दलों की तरफ टिकी हुई हैं। छत्तीसगढ़ में गोंदवाना गणतंत्र पार्टी का भी अस्तित्व है। 2013...
जालंधर (धवन): छत्तीसगढ़ में मायावती द्वारा कांग्रेस को छोड़कर अजीत जोगी के साथ हाथ मिला लेने के यू-टर्न को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व की नजरें अब वामदलों, एनसीपी तथा क्षेत्रीय दलों की तरफ टिकी हुई हैं। छत्तीसगढ़ में गोंदवाना गणतंत्र पार्टी का भी अस्तित्व है। 2013 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कड़ी त्रिकोणीय टक्कर हुई थी। इस बार नवम्बर महीने में राज्य विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। कांग्रेस पहले बसपा को अपने साथ मिलाना चाहती थी परन्तु अंतिम क्षणों पर बसपा द्वारा कांग्रेस की अपेक्षा अजीत जोगी के साथ हाथ मिला लिया गया। छत्तीसगढ़ में बसपा का 4.3 प्रतिशत वोट बैंक है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देशों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अब सीपीआई, सीपीएम व अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत शुरू कर दी है ताकि धर्म निरपेक्ष वोटों को बिखरने से रोका जा सके। 2013 में विधानसभा चुनाव में सीपीएम को 0.08 प्रतिशत, सीपीआई को 0.06 प्रतिशत, एनसीपी को 0.3 प्रतिशत मिले। कांग्रेस भाजपा को इस बार चुनावी टक्कर देने के उद्देश्य से 0.7 प्रतिशत मतों के अंतर को भरने की कोशिशों में जुटी हुई है।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि बसपा के साथ कांग्रेस की बातचीत सिरे न चढऩे का एक कारण यह भी है कि बसपा 20 सीटें देने की मांग पर अड़ी हुई थी। बाद में बसपा 15 सीटों तथा 10 सीटें देने की मांग पर आ गई। परन्तु कांग्रेस 5 सीटों से अधिक बसपा को देने के विरुद्ध थी। बसपा का राज्य की कुछ सीटों पर असर है, परन्तु वह उम्मीद से ज्यादा सीटों की मांग कर रही थी। राहुल गांधी राज्य विधानसभा के आम चुनावों को लेकर गंभीर हैं तथा वह इस बार कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं।
सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी ने तो अपने फेसबुक अकाउंट पर मायावती पर कटाक्ष करते हुए यहां तक लिख दिया कि भाजपा के अमित शाह ने केन्द्रीय एजैंसियों के प्रभाव से मायावती को कांग्रेस से दूर कर दिया।