Edited By Urmila,Updated: 05 Jun, 2023 01:16 PM

आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आने के बाद भी सरकारी अस्पताल में रिश्वतखोरी बंद नहीं हुई है।
अमृतसर : आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आने के बाद भी सरकारी अस्पताल में रिश्वतखोरी बंद नहीं हुई है। जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में लड़ाई-झगड़े (मेडिकल लीगल) केस में एजैंट सरेआम डॉक्टरों के नाम पर जायज रिपोर्ट देने के लिए पैसे मांग रहे हैं। सरकारी तंत्र की लापरवाही से तंग आए एक व्यक्ति द्वारा सिविल सर्जन के सामने 1,00,000 टेबल पर रखते हुए कहा गया कि उनके बर्दाश्त की इंतेह हो गई है, आपके एजैंट पैसे मांगते हैं पैसे लो और मेरी जायज रिपोर्ट दो।
सिविल सर्जन ने व्यक्ति की बात सुनकर फिलहाल रिपोर्ट तो दिलवा दी, परंतु तुरंत एक्शन लेने की बजाय मामला ठंडे बस्ते में डालते हुए जांच का हवाला दे दिया तथा इतना बड़ा मामला उजागर होने के बाद चुप्पी साध ली। पंजाब सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने का ढिंढोरा पीट रही है, परंतु सुधार तो अभी तक आया नहीं है। फिलहाल भ्रष्टाचार का बोलबाला है, क्या अब सरकार इस मामले पर कोई सख्त एक्शन लेगी।
जानकारी के अनुसार गत दिवस कार्यकारी सिविल सर्जन डॉक्टर रजिंदर कौर जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में निरीक्षण करने आए हुए थे। इस दौरान सीनियर मेडिकल अधिकारी के कार्यालय में मीटिंग का दौर चल रहा था। सरकारी तंत्र से परेशान हुआ व्यक्ति रजिंदर कुमार अचानक सीनियर मेडिकल अधिकारी के कार्यालय में घुस गया। राजिंदर शर्मा ने सिविल सर्जन को बताया कि उनके मित्र जगतार सिंह नेहरू कालोनी में रहते हैं। 22 मई को काम से घर लौट रहे थे। इसी दौरान 8-10 लोगों ने उन पर हमला कर दिया। उनके सिर और नाक पर चोट आईं। उन्हें फौरन सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया। यहां उनकी जांच की गई। इसके बाद छुट्टी दे दी गई। 22 मई से आज 3 जून हो गई। मेडिको रिपोर्ट लेने के लिए हम धक्के खा रहे हैं।
इसी बीच अस्पताल में ही एक कर्मचारी मिला। उसने बताया कि वह डाक्टर साहिब से सेटिंग करवाकर रिपोर्ट दिलवा देगा। इसके लिए डाक्टर को पचास हजार रुपए देने होंगे। बिना पैसों के कोई काम नहीं होगा। हमने फिर भी कोशिश की कि बिना पैसे काम हो जाए, पर यहां किसी ने हमसे सीधे मुंह बात नहीं गई। उनका काम बिल्कुल जायज है, परंतु उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रजिंदर शर्मा ने बताया कि वास्तविक स्थिति यह है कि सिविल अस्पताल में धारा-326 लगवाने का एक संगठित गिरोह सक्रिय है। यहां रिपोर्ट तैयार करने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं।
मेडिको लीगल केसों में अब तो लाख रुपए तक मांगे जाने लगे हैं। सिविल अस्पताल के अलावा गुरु नानक देव अस्पताल में भी यही काम चल रहा है। अस्पताल के कुछ कर्मचारी घायल से यह कहकर पैसों की मांग करते हैं कि डाक्टर को देने हैं। अब इसमें कौन-कौन डाक्टर शामिल हैं यह जांच का विषय है। सिविल सर्जन डा. राजिंदर पाल कौर ने कहा कि आपका काम होगा बिना पैसे के। हम मामले की जांच करेंगे। जो भी भ्रष्टाचार करता पाया गया उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सिविल सर्जन के आदेश पर तत्काल रिपोर्ट जारी कर दी गई।
आम आदमी की नहीं होती सुनवाई
राजिंद्र शर्मा ने पंजाब केसरी से बताया कि जायज काम के लिए पैसे मांगे जाते हैं, वह इस सरकारी तंत्र से इतने तंग आ गए थे कि आखिरकार उन्होंने सिविल सर्जन के समक्ष 100000 रुपए रखते हुए बोला है कि अब तो जायज काम कर दो। एजैंट बताते हैं कि आपके लोगों को पैसे चाहिए थे, न पैसे ले लो। आम आदमी पार्टी की सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती है, परंतु यहां पर तो भ्रष्टाचार प्रतिदिन बढ़ रहा है। ऊपर से लेकर नीचे तक सरकारी तंत्र के लोग पैसे के बिना काम नहीं करते अब तो हालात ऐसे बन रहे हैं कि लगता है कि सरकार के मंत्रियों को भी हिस्सा जाता है। इसलिए भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई ठोस नहीं की जाती।
कौन है सरगना का मालिक, जांच का विषय
उन्होंने बताया कि अस्पताल में एजैंट डाक्टरों के नाम पर पैसे मांग रहे हैं, बड़ा सवाल खड़ा होता है कि इस भ्रष्टाचार को फैलाने वाले सरगना का मालिक कौन है, जांच का विषय है। विजिलेंस विभाग वैसे तो भ्रष्टाचार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का ढिंढोरा पीट रहा है, परंतु अफसोस की बात है कि पंजाब के सबसे बड़े जिले अमृतसर में जिले स्तर के अस्पताल में एजैंट सरेआम पैसे मांग रहे हैं। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही तथा विजिलेंस की नाक के तले भ्रष्टाचार फल फूल रहा है। इस संबंध में सिविल अस्पताल के सीनियर मैडीकल अधिकारी से फोन पर संपर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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