खतरे में Punjab के ये शहर! सामने आई होश उड़ा देने वाली ये खबर..

Edited By Vatika,Updated: 05 May, 2025 02:51 PM

punjab water crisis

पंजाब के लोगों के लिए जरूरी खबर है।

मलोट: सरहिंद नहर से आने वाले काले व जहरीले पानी के कारण दक्षिणी पंजाब के सैकड़ों गांवों व शहरों के लाखों लोग दशकों से काले पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। जिसके कारण लाखों लोग पीलिया और कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पंजाब और विशेषकर मालवा में भूजल खारा है और पीने योग्य नहीं है। इस कारण लोगों के लिए पानी का एकमात्र स्रोत नहर का पानी ही है। जल संयंत्र में पानी का मुख्य स्रोत हरिके पत्तन और मुख्य रूप से सरहिंद नहर और आने वाली अन्य नहरें हैं। इस नहर में लुधियाना के बूढ़े नाले से दरिया के माध्यम से रसायन युक्त काला और जहरीला पानी आता है। हालाँकि, यह काला जहरीला पानी साल भर बना रहता है, जिससे लोग इसे पीने और इस्तेमाल करने को मजबूर होते हैं।

पंजाब के पांच जिलों के लोग खतरे में...
पानी इतना जहरीला है कि बार-बार छानने के बाद भी इसका रंग और गंध बनी रहती है - इन नहरों के पानी का उपयोग दक्षिणी पंजाब के पांच जिलों, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, श्री मुक्तसर साहिब और मोगा में 4 मिलियन से अधिक लोग करते हैं। मलोट जलापूर्ति विभाग के अधिकारी विश्वजीत सिंह व राकेश मोहन मक्कड़ का कहना है यह पानी इतना गंदा और जहरीला है कि जलकल विभाग द्वारा चार चरणों में फिल्टर करने के बाद भी पानी का रंग और स्वाद पीने या उपयोग के लायक नहीं रह जाता। उनका कहना है कि पानी की खराब गुणवत्ता अब कोई छुपा हुआ मुद्दा नहीं रह गया है। हर बच्चा जानता है कि उन्हें साल भर जहरीला पानी पीने को मजबूर होना पड़ता है।  5 नदियों के वारिस भुगत रहे हैं काले पानी की सजा । इस मुद्दे पर क्षेत्र के विद्वान किसान कुलवीर सिंह सरां, किसान नेता इंद्रजीत सिंह असपाल, समाजसेवी सोम नाथ कालड़ा व ज्ञान चंद साहनी का कहना है कि लुधियाना से बहने वाले बूढ़े नाले व सरहिंद नहर सहित नदी में मिलने वाले सीवरेज के पानी के रसायन इस पानी को प्रदूषित करते हैं।

साफ पानी की नहीं मिल रहा एक घूंट भी
पांच नदियों की भूमि के उत्तराधिकारियों के लिए यह काले पानी की सजा है। जिन लोगों को कुल्ला करने के लिए साफ पानी की एक घूंट भी नहीं मिल रही है। यह पानी घर या जल घर के आरओ से भी शुद्ध नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति इसे खरीदने में सक्षम है, तो वह शुल्क देकर बोतलबंद पानी पी सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों से क्रान्ति के उगते सूरज की चमक इतनी प्रचण्ड हो गई है कि पहले सिंचाई विभाग हर वर्ष इन महीनों में जलदाय, जनस्वास्थ्य एवं प्रशासन विभागों को पत्र जारी कर इस पानी का उपयोग न करने की हिदायत देता था। सभी राजनीतिक दल समान रूप से जिम्मेदार हैं। लोगों की यह भी शिकायत है कि पंजाब में पिछले 3 दशकों में से लगभग 15 वर्ष राज्य और केंद्र में रहे शिरोमणी अकाली दल के प्रकाश और कांग्रेस के कैप्टन ने भी लोगों और किसानों को राशन और कृषि के लिए बिजली सब्सिडी देने की आड़ में इन लोगों के जीवन और स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर मुद्दे को दबा दिया। जो स्वास्थ्य शिक्षा में क्रांति का संदेश लेकर आया है। लेकिन लोग कहते हैं कि उनके लिए दवाइयों से ज्यादा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, तो उन्हें बीमार करके दवा देने की बजाए इस बीमारी को जड़ से खत्म कर देना चाहिए ताकि लोग स्वस्थ रहे।

लोगों का यह भी कहना है पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बन चुके राजा वड़िंग लुधियाना संसदीय सीट जीतने के बाद हमारे रसोईघरों तक पहुंच रहे बूढ़े नाले के गंदे पानी के मुद्दे पर बोलने की बजाय वहां के उद्योगों के मालिकों के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं, जो उनके नए वोटर बन गए हैं। वे एक अच्छे राजनीतिक व्यवसायी की तरह इस मुद्दे पर चल रहे हैं। लोगों ने पंजाब सरकार से अपील की है कि इन इलाकों के लोगों को अभी भी बचाया जाए, नहीं तो हमें वह दिन देखना पड़ेगा जब पीलिया और कैंसर की महामारी गंभीर रूप ले लेगी। बेशक यह मामला लाखों लोगों की जिंदगी से जुड़ा है, लेकिन राजनीतिक भाषणों, चुटकुलों और शेयर से इसका समाधान नहीं होगा। इसके समाधान के लिए राजनीतिक नेताओं की स्पष्ट नीयत और दृढ़ संकल्प ही लोगों को इस संकट से बाहर निकाल सकता है।

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