Edited By Kamini,Updated: 05 Jun, 2025 03:17 PM

जिले में हाई-प्रोफाइल लिक्कर बारों में चैकिंग की है।
अमृतसर : जिले में हाई-प्रोफाइल लिक्कर बारों में चैकिंग की है। जिला आबकारी विभाग द्वारा अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए सामान्य चैकिंग के बीच आने वाले शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों के अतिरिक्त अब शहर के नामवर एवं हाई-प्रोफाइलड एल-4/एल-5 हार्ड लिक्कर बारों को भी चैकिंग के घेरे में लिया। यह कार्रवाई डिप्टी कमिश्नर आबकारी जालंधर/अमृतसर रेंज सुरेंद्र गर्ग और सहायक कमिश्नर आबकारी अमृतसर रेंज महेश गुप्ता के निर्देश पर की जा रही है।
इस संबंध में जिला आबकारी अधिकारी अमृतसर ललित कुमार ने बताया कि इसके लिए ए.ई.टी.ओ. आरएस बाजवा के नेतृत्व में टीम को भेजा गया, जिसमें अमृतसर की हाई-प्रोफाइलड बारों की चैकिंग की गई। इनमें फॉरेस्ट रिजॉर्ट्स, सिग्नेचर हॉस्पिटैलिटी, दी कबीला, बार्बीक्यू नैशन आदि पर चैकिंग की गई। वास्तव में विभाग का मकसद इन हाई-प्रोफाइल बारों में उच्च एवं पॉश कॉलोनियों के लोकल ग्राहकों के अतिरिक्त अंर्त-प्रदेशीय और विदेशी टूरिस्टों का आना-जाना लगा रहता है।
बताया जाता है कि आबकारी विभाग की टीमों ने इन बारों में पहुंचकर इनका स्टॉक और सेल रिकॉर्ड चैक किया कि यहां पर ग्राहकों को कुल कितनी शराब सर्व की गई है और वेस्टेज़ के तौर पर कितनी इन ब्रांडों की बोतलें खाली बची हुई हैं। टीम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी उपस्थिति में इन बची हुई बोतलों को तोड़कर नष्ट किया। टीम के साथ ऐसे लोग भी पहुंचे थे, जो बोतलों को सुरक्षित ढंग से तोड़ने के तरीके भी बताते थे, ताकि बोतलों से टूटे कांच से कोई नुक्सान न हो।
10 से 15 हजार तक भी होती है महंगी शराब की बोतल
यहां पर बिकने वाली शराब के ब्रांड में चिवास रीगल, ब्लैक-लेबल, डबब्ल-ब्लैक गेनफिडिक, मंकी- शोल्डर, रॉयल-सेल्यूट इत्यादि शामिल होते हैं। यहां पर कई शराब की बोतलें ऐसी होती हैं, जिनकी कीमत प्रति बोतल 10 से 15 हजार रुपए अथवा इससे भी ऊपर चली जाती है। उपभोक्ताओं द्वारा शराब के प्रयोग के उपरांत बारों में यह बोतलें खाली रह जाती हैं और इन्हें आखिरकार कबाड़ियों को बेच दिया जाता है। बाद में इसकी फिलिंग करने वाले पेशेवर लोग इन बोतलों को थोक के खरीददारों से कुछ अधिक कीमत पर खरीद लेते हैं। जानकार सूत्रों की मानें तो इन बोतलों में हलकी क्वालिटी की अंग्रेजी शराब, जिसकी कीमत 500 से 1000 रुपए बोतल तक होती है कि फिलिंग दी जाती है। आखिरकार चलते-चलते यही बोतल उच्च वर्ग के खरीदारों को ऊंची कीमतों में बेच दी जाती है।
हलके परफ्यूम वाली शराब में दिया जाता है मिलता जुलता एसेंस
शराब के पेशे से जुड़े जानकार लोगों का कहना है कि अंग्रेजी शराब के ब्रांडों में कुछ ऐसे ब्रांड भी होते हैं जो बेहद कम तीखे होते हैं। इनका अपना स्वाद अन्य शराब के अपेक्षाकृत काफी अधिक फीका होता है। ऐसे चुने हुए ब्रांड की सस्ती व्हिस्की लेकर उनकी फीलिंग की जाती है, जिसमें हलके एसैंस का इस्तेमाल किया जाता है। हलके परफ्यूम वाली शराब में मिलता जुलता एसेंस दिया जाता है, जिससे स्वाद से पहचानना भी मुश्किल हो जाता है। बताया जाता है कि इस प्रकार से पैकिंग की गई शराब के स्वाद को पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है। उधर जानकार लोगों का यह भी मानना है कि इस प्रकार की शराब के अनुमानित दुष्प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं यदि इस प्रकार की शराब मार्केट में आती है तो सरकार के रैवेन्यू का नुक्सान होता है।
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