Chaitra Navratri : तीसरे दिन ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा, मिलेंगे ढेर सारे शुभ भल

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 31 Mar, 2025 08:44 PM

chaitra navratri worship maa chandraghanta like this on the third day

चैत्र नवरात्रों के दो दिन पूरे हो चुके हैं, जबकि तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा-उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए तो चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की...

पंजाब डैस्क : चैत्र नवरात्रों के दो दिन पूरे हो चुके हैं, जबकि तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा-उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए तो चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन मां की पूजा अर्चना करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जीवन में खुशहाली आती है और सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। मां चंद्रघंटा की पूजा से न केवल भौतिक सुख में वृद्धि होती है, बल्कि समाज में आपका प्रभाव भी बढ़ता है। बता दें कि इस बार द्वतीया और तृतीया नवरात्री व्रत एक ही दिन किया जाएगा। आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजाविधि, भोग, पूजा मंत्र और आरती के बारे में।

मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन के सभी पहलुओं में सफलता प्राप्त होती है। विशेष रूप से, इस दिन सूर्योदय से पहले पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इस समय मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने का महत्व है, क्योंकि ये फूल मां की ममता और शक्ति का प्रतीक हैं। मां चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्द्धचंद्र के आकार का घंटा स्थित है, जो उनकी महिमा और तेजस्विता को दर्शाता है। यही कारण है कि देवी का नाम चंद्रघंटा पड़ा।

चंद्रघंटा मां का मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:


पूजा के उपाय
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे : सुबह जल्दी उठें और स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहने।
मां चंद्रघंटा को पीले रंग की मिठाई और दूध से बनी खीर का भोग अर्पित करें।
पूजा के दौरान मां के मंत्रों का जाप करें।
इसके बाद पूजा में मां को लाल और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें ।
इसके बाद मां को कुमकुम और अक्षत अर्पित करें।
फिर मां चंद्रघंटा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए पूजा में पीले रंग के फूलों और वस्त्रों का प्रयोग करें।
साथ ही दुर्गा सप्तशती और अंत में मां चंद्रघंटा की आरती का पाठ भी करें।
इन सभी विधियों को विधिपूर्वक करने से मां चंद्रघंटा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

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