फगवाड़ा में गऊओं की मौ\त के मामले में SP का बड़ा खुलासा, बताई असली वजह

Edited By Urmila,Updated: 15 Dec, 2024 10:11 AM

big revelation in the case of death of cows in phagwara

पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस केस दर्ज कर करीब 33 लोगों से लंबी पूछताछ की है।

फगवाड़ा : फगवाड़ा में गत दिनों मेहली गेट इलाके में स्थित श्री कृष्णा गौशाला में एक साथ सामूहिक तौर पर हुई 23 गऊओं की मौत और बड़ी संख्या में गौवंश के अचानक बीमार होने के मामले में फगवाड़ा पुलिस ने आधिकारिक तौर पर एस.पी. कार्यालय में प्रैस कान्फ्रैंस करते हुए बड़े खुलासे किए है।

पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए एस.पी. फगवाड़ा रुपिन्द्र कौर भट्टी ने एस.डी.एम. फगवाड़ा जशनजीत सिंह, डी.एस.पी. भरत भूषण की उपस्थिति में बताया कि गौशाला में गऊओं की मौत किसी व्यक्ति द्वारा चारे में जहर मिलाने अथवा संदिग्ध गतिविधि के होने संबंधी नहीं पाया गया हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए कुछ वीडियोज और इन वीडियोज को आधार बना जो भी दावे किए जाते रहे हैं वह पूरी तरह से फेक और झूठे साबित हुए हैं।

प्रकरण संबंधी पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस केस दर्ज कर करीब 33 लोगों से लंबी पूछताछ की है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया है जिसके आधार पर किसी संदिग्ध गतिविधि होने का आधार प्रमाणित हो। एस.पी. भट्टी ने कहा कि यह भी दावा किया जाता रहा है कि गऊओं के चारे में जहर मिलाई गई थी जो पूरी तरह से तथ्यहीन और गलत है।

पुलिस द्वारा मृतक गऊओं के लुधियाना में गड़वासु विश्वविद्यालय में करवाए गए पोस्टमार्टम और मौके से सरकारी तौर पर की गई चारे की सैंपलिंग और इसकी हुई गहन जांच में गौवंश की मौत नाइट्राईट प्वाइजनिंग से हुई प्रमाणित हुई है।  एस.पी. भट्टी ने कहा कि ऐसा तब होता है जब हरे चारे में यूरिया का स्तर ज्यादा हो जाता है। उन्होनें कहा कि श्री कृष्णा गौशाला में जिन गऊओं की मौत हुई है इनका स्वास्थ्य पहले से ही कमजोर चल रहा था। ऐसे में अत्याधिक यूरिया की मात्रा से भरपूर हरे चारे का सेवन करने के कारण इनकी मौत हुई है।

एस.पी. भट्टी ने कहा कि जिस स्थल से गौशाला में चारे की सप्लाई हो रही थी पुलिस ने वहां से भी सैंपलिंग की थी और 4 लोग जो यहीं से अपने यहां चारा लेकर जाते है से भी पूछताछ की है। वह इनके नाम मीडिया को नहीं बताएंगी लेकिन यहां से चारे की हुई सैंपलिंग की रिपोर्ट में भी यूरिया की अत्याधिक मात्रा का होना प्रमाणित हुआ है।

उन्होनें कहा कि इसी हरे चारे का सेवन कर संबंधित लोगों के यहां भी एक 2 गऊओं की मौतें हुई है जिससे यह तथ्य प्रमाणित होता है कि हरे चारे में यूरिया की ज्यादा मात्रा होने से इनकी मौत हुई है। एस.पी. भट्टी ने कहा कि इसके अलावा जो सरकारी डाक्टरों की टीम द्वारा गंभीर हालत में चल रही गऊओं का ट्रीटमैंट श्री कृष्णा गौशाला में मौके पर पहुंच किया जा रहा था इनके द्वारा भी आधिकारिक तौर पर नाईट्राईट प्वाइजनिंग के फैलाव को रोकने हेतु उपचार किया गया था जिसके बाद कई गऊओं की जान बच गई हैं। ऐसे में अब यह तथ्य पूरी तरह से साफ और स्पष्ट हो गया है कि हरे चारे में अत्याधिक यूरिया की मात्रा होने के कारण हुई नाइट्राईट प्वाइजनिंग से ही फगवाड़ा में 23 गऊओं की मौत हुई थी।

पंजाब केसरी ने जो कुछ 13 दिसम्बर को लिखा था वह पूरी तरह से सटीक साबित हुआ : एस.पी. रुपिन्द्र कौर भट्टी

पंजाब केसरी ने 13 दिसम्बर को सबसे पहले इस बेहद गंभीर और संवेदनशील मामले में प्रकाशित विस्तृत खबर में साफ तौर पर कहा था कि गऊओं की मौत का कारण जहरीलें हरे चारे में यूरिया की मात्रा का ज्यादा होना हो सकता है। प्रकाशित खबर में लिखा गया था कि इस स्थिति में गऊओं की मौत नाइट्राईट प्वाइजनिंग के कारण हुई है और यह घटनाक्रम गौवंश के शरीर में कैसे घटता है और एस.पी. फगवाड़ा रुपिन्द्र कौर भट्टी ने पंजाब केसरी, जग बाणी से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि नि:संदेह 13 दिसम्बर को जो खबर दोनों समाचार पत्रों में जनहितों को ध्यान में रखते हुए प्रकाशित हुई है वह शत प्रतिशत सटीक और सही साबित हुई है।

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