AAP की 300 यूनिट बिजली Free योजना- 'ये इश्क नहीं आसां.... डूब के जाना है'

Edited By Vatika,Updated: 15 Apr, 2022 04:04 PM

aap s 300 unit electricity free scheme

16 अप्रैल को पंजाब के लिए एक नई खुशखबरी आएगी

जालंधर(अनिल पाहवा): पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने वीरवार को जालंधर में ऐलान किया है कि 16 अप्रैल को पंजाब के लिए एक नई खुशखबरी आएगी तथा राज्य की सरकार एक बड़े ऐलान की तैयारी कर रही है। संभावना यह जताई जा रही है कि यह ऐलान 300 यूनिट फ्री बिजली के आम आदमी पार्टी के वायदे को अंजाम देने से संबंधित हो सकता है। जबसे राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तबसे विपक्षी दल वायदों को लेकर सरकार को घेर रहे हैं। पंजाब में समय-समय पर आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली माडल को लागू करने की बातें करते रहे हैं, लेकिन यहां पर प्रसिद्ध शायर जिगर मुरादाबादी का यह शेयर बिल्कुल फिट बैठता है कि 'ये इश्क नहीं आसां, इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।' क्योंकि दिल्ली माडल को पंजाब में लागू करना इतना भी आसान नहीं है। पंजाब और दिल्ली की आर्थिक व्यवस्था में काफी अंतर है।

5000 करोड़ रुपए का पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
भारत में जिन राज्यों पर कर्ज है, पंजाब सबसे आगे है, जिसका कर्ज उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 47 प्रतिशत से अधिक है। जो पिछले वित्त वर्ष में 1.85 प्रतिशत अनुबंधित था। 2.83 लाख करोड़ रुपए बकाया देनदारी के साथ इसका वार्षिक ब्याज का बोझ 20000 करोड़ रुपए से भी अधिक है। अगर आम आदमी पार्टी पंजाब में 300 यूनिट बिजली फ्री देती है तो उससे राज्य के खजाने पर करीब 5000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जिससे राज्य में आर्थिक व्यवस्था के चरमराने की संभावना पैदा हो सकती है। राज्य में अब तक भाजपा, शिरोमणि अकाली दल से लेकर कांग्रेस ने सत्ता चलाई है और राज्य के बोझ को कम करने के लिए कभी भी कोशिश नहीं की है। आलिशान गाड़ियां और बेवजह के सरकारी खर्चे लगातार राज्य का बोझ बढ़ाते ही चले गए।

दिल्ली से इस तरह अलग है पंजाब की अर्थव्यवस्था
पंजाब में दिल्ली से सबसे बड़ा जो अंतर है, वह यह है कि देनदारियां और वित्त के मामले में पंजाब दिल्ली के सामने कहीं नहीं टिकता। पंजाब में पहले से ही किसानों और बी.पी.एल., एस.सी., एस.टी. परिवारों को मुफ्त बिजली दी जा रही है। इसके अलावा खाद पर सबसिडी और कृषि फसलों के लिए एम.एस.पी. के कारण व्यवस्था हिली हुई है। राज्य में बी.पी.एल. तथा एस.एस., एस.टी. वर्ग के लोगों को 200 यूनिट बिजली पहले से ही फ्री दी जा रही है, जिसका बोझ खजाना पहले ही उठा रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के आंकड़े के अनुसार पंजाब में कुल बिजली सबसिडी का बिल 10668 करोड़ रुपए था, इसमें 7180 करोड़ रुपए किसानों को और 1627 करोड़ रुपए दलित, पिछड़ी जातियों तथा बी.पी.एल. परिवारों को सबसिडी के रूप में दिए गए।

बिजली सबसिडी पहुंच जाएगी 20000 करोड़ रुपए तक
पंजाब में आम आदमी पार्टी जिन उपभोक्ताओं को 300 यूनिट बिजली फ्री देने की तैयारी कर रही है, उनकी संख्या करीब 73 लाख है। चालू वित्त वर्ष के लिए पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी.एल.) ने मौजूदा टैरिफ के आधार पर कथित तौर पर 14000 करोड़ रुपए की सबसिडी मांगी है। आम आदमी पार्टी का 300 यूनिट बिजली का वायदा राज्य में बिजली सबसिडी को करीब 20000 करोड़ तक ले जाएगा। यह राज्य सरकार के कुल बजट का करीब 15 प्रतिशत है और राज्य के राजस्व और व्यय का लगभग 20 प्रतिशत है।

 न हुआ अगर सबसिडी का भुगतान तो....
बिजली पर जो सबसिडी दी जा रही है और जो आने वाले समय में आम आदमी पार्टी योजना बना रही है, उस हिसाब से अगर सबसिडी का भुगतान करने में सरकार विफल रहती है तो उससे आर्थिक स्थिति और नाजुक होगी और इसका असर पावर सप्लाई करने वाली कंपनियों और अंत में उन बैंकों को प्रभावित करेगी, जिनके एन.पी.ए. बढ़ेंगे और धीरे-धीरे यह समस्या राज्य से बाहर फैलनी शुरू हो जाएगी।

रकार का खाता
पंजाब में 2022-23 के बजट के मुताबिक कुल राजस्व की अनुमानित राशि 95258 करोड़ रुपए थी, जिसमें से करीब 45192 करोड़ रुपए अपने स्वयं द्वारा लगाए जा रहे टैक्स या अन्य संसाधनों से आने थे। यह कुल राजस्व का करीब 47 प्रतिशत है। केंद्रीय अनुदान इसके राजस्व का 47 प्रतिशत और शेष 13 प्रतिशत केंद्रीय करों के हिस्से में से आता है। पिछले कुछ समय से कोरोना जैसी महामारी ने प्रदेश में राजस्व वृद्धि के स्तर को धीमा कर दिया है। वित्त वर्ष 2022-23 में 37434 करोड़ रुपए का कर राजस्व अनुमान 3 साल पहले एकत्रित किए गए 31574 करोड़ रुपए के कर राजस्व से करीब 16 प्रतिशत अधिक है। राज्य सरकार को कुल राजस्व का करीब 59 प्रतिशत पैट्रोलियम और शराब पर जी.एस.टी. और वैट से आता है। शराब पर राज्य उत्पाद शुल्क का 19 प्रतिशत और बिजली पर कर और शुल्क के तौर पर 8 प्रतिशत की आय होती है, जो कुल मिलाकर राज्य के अपने राजस्व का 86 प्रतिशत है। इसमें कोई खास बढ़ौतरी होती नहीं दिख रही है। गैर-कर राजस्व में से 14 प्रतिशत राज्य लाटरी से, 3 प्रतिशत ब्याज से और बाकी राज्य के लोगों को विभिन्न सेवाओं के लिए लगने वाले शुल्क से हासिल होता है।

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