Highcourt की एक गलती से पंजाब में मचा हड़कंप, आग की तरह फैली ये चर्चा

Edited By Vatika,Updated: 27 Oct, 2023 09:51 AM

a mistake by the high court created a stir in punjab

विर्क ने बताया कि प्रेमी जोड़ा उनकी सुरक्षा की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में मौजूद था, लेकिन वह कोर्ट रूम के बाहर था।

चंडीगढ़: हाईकोर्ट के एक आदेश में गलती से पंजाब में हड़कंप मच गया। जालंधर के एक प्रेमी जोड़े ने खरड़ के गुरुद्वारे में विवाह रचा कर हाईकोर्ट में सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।

दरअसल याचिकाकर्ता प्रेमी जोड़ा, जिसमें लड़की का नाम रणजीत कौर और लड़के का नाम मंदीप कुमार था, लेकिन हाईकोर्ट ने आदेश में गलती से लड़के का नाम मंदीप कौर लिख दिया। समाचार प्रकाशित होने के बाद चर्चा आग की तरफ फैल गई कि एक गुरुद्वारे में 2 लड़कियों का विवाह करवा दिया गया। आनन-फानन में आनंद कारज कराने वाले पाठी के खिलाफ कार्रवाई हुई, जिसे सामाजिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा।  याची के वकील संजीव कुमार विकं ने बताया कि क्लॅरिकल मिस्टेक को ठीक करवाने के लिए सोमवार को हाईकोर्ट में अर्जी दायर करेंगे। उनके अनुसार जोड़े ने खरड़ के गुरुद्वारे में विवाह करवाया था। गुरुद्वारे के रिकॉर्ड में लड़के और लड़की के आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज दिए गए थे। विर्क ने बताया कि प्रेमी जोड़ा उनकी सुरक्षा की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में मौजूद था, लेकिन वह कोर्ट रूम के बाहर था।

लड़के-लड़की का विवाह कराया था, आधार कार्ड भी रिकॉर्ड में हैं: पाठी
पाठी का कहना था कि उसने लड़के व लड़की का विवाहकराया था, जो बालिग थे। उनके आधार कार्ड भी रिकॉर्ड में हैं। बात फैली कि विवाह होने के बाद कागजों में छेड़छाड़ कर दोनों लड़कियों ने हाईकोर्ट जाकर सुरक्षा मांगी है। इंटेलीजेंस भी सक्रिय हो गई और यहां-वहां से पूछताछ होने लगी। मामला मीडिया में आने के बाद याचिकाकर्ता के वकील को जानकारी मिली। उन्होंने आदेश पढ़े तो उसमें नाम की मिस्टेक थी, जिसके कारण मामला संवेदनशील हो गया है।

जान का खतरा बताया
25 वर्षीय लड़की और 29 वर्षीय लड़के ने याचिका में बताया था कि 18 अक्तूबर को खरड़ के गुरुद्वारे में विवाह किया है। घरवाले खुश नहीं हैं और उन्हें जान का खतरा है। उन्होंने जालंधर के एस.एस.पी. को मांग पत्र दिया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऐसे में हाईकोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए जालंधर के एस.एस.पी. को याची के मांग पत्र पर विचार कर उचित निर्णय लेने का आदेश दिया था। साथ ही सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। आदेश में स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होती है तो आदेश उसके मार्ग में बाधा नहीं होगा।

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