Edited By Kalash,Updated: 11 Aug, 2024 06:20 PM
नवांशहर में आज लगातार दूसरे दिन जम कर बरसे बादलों से शहर का कोना-कोना पानी से भर गया।
नवांशहर (त्रिपाठी): नवांशहर में आज लगातार दूसरे दिन जम कर बरसे बादलों से शहर का कोना-कोना पानी से भर गया। शहर के कई मोहल्लों में पानी लोगों के घरों तक में घुस गया। बरसात के मौसम में आज 52.6 एम.एम. बारिश के चलते लगातार दूसरा दिन था जब 50 एम.एम. से अधिक बारिश रिकार्ड की गई।
यहां वर्णनीय है कि शनिवार को 63.2 एम.एम. बारिश रिकार्ड की गई थी। हालांकि बरसात के सीजन में होने बाली बरसात से अभी भी 52 प्रतिशत कम बारिश हुई है। आमतौर जून से सितम्बर 30 तक बरसात का सीजन माना जाता है। 11 अगस्त तक सीजन में औसत 477 एम.एम. बारिश होती है जबकि जुलाई के पहले सप्ताह के बाद 9 अगस्त तक मॉनसून पूरी तरह से रूठा रहा। आज तक इस सीजन में 238 एम.एम. बारिश हुई है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी अनुसार आज न्यूनतम तापमान 27 तथा अधिकतम 30 डिग्री रहा है। सोमवार को भी मौसम विभाग ने बारिश होने की संभावना जताई है जबकि आज बाद दोपहर ढाई बजे भी जहां रुक रुक कर बारिश हो रही थी तो वह आसमान पर बादल भी पूरी तरह से घुले हुए थे।
पहले से बीमार नगर कौंसिल के सीवरेज सिस्टम के प्रबंध पूरी तरह से हुए फेल
आज करीब 2 घंटे तक हुई जम कर बारिश के चलते शहर का शायद ही ऐसा कोई कोना बचा हो जहां जल भराव न हुआ है। नगर कौंसिल के पास सीवर मैन की कमी स्पष्ट रूप से देखने को मिली। हालांकि हाऊस द्वारा सीवर मेन रखने का प्रस्ताव हाऊस पास हो चुका है। शहर के कोठी रोड, नगर कौंसिल बाजार, गीता भवन रोड, रेलवे रोड, सलोह रोड़, कुलाम रोड इत्यादि में हुए जल भराव से बरसात का पानी लोगों की दुकानों तथा घरों तक पहुंच गया। जल भराव के चलते न केवल स्कूटर-बाइक तथा 2 पहिया वाहन पानी भरने से बंद हो गए बल्कि भारी पानी के जमघट के चलते कई स्थानों पर गाड़ियां भी बंद हो गईं।
धान को लगने वाली पत्ता लपेट बीमारी से मिलेगा छुटकारा
किरती किसान यूनियन के जिला प्रधान सुरिन्दर बैंस ने बताया कि लगातार दूसरे दिन हुई भारी बरसात के चलते खेतों में धान को पानी लगाने की जरूरत खत्म हुई है जिससे ट्यूबवैलों से निकल रहे धरती के नीचे के पानी तथा बिजली की बचत होगी। उन्होंने बताया बारिश से धान को लगने वाली पत्ता लपेट बीमारी से भी छुटकारा मिलेगा। ब्राह्मण सभा के पूर्व अधिकारी कमल कुमार शर्मा, प्रदीप जोशी तथा धवल कुमार हनी ने बताया कि भारी बरसात के बाद ए.सी. की खपत कम होगी जिससे बिजली की जरूरत में भी कमी आएगी।
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