जब इंग्लैंड में गांधी जी की लंगोटी ने मचा दिया था तूफान

Edited By Suraj Thakur,Updated: 02 Oct, 2019 02:53 PM

when gandhijis loincloth caused a storm in england

1931 में इंग्‍लैंड के बकिंघम पैलेस में हुई दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस के स्वागत समारोह में गांधी जी की लंगोटी ने तूफान मचा दिया था।

जालंधर। 1931 में इंग्‍लैंड के बकिंघम पैलेस में हुई दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस के स्वागत समारोह में गांधी जी की लंगोटी ने तूफान मचा दिया था। इस कांफ्रेंस में इंग्‍लैंड के बादशाह और महारानी ने शिरकत की थी। जब उन्‍होंने गांधी जी को अध नंगे देखा तो बादशाह बुरा मान गए थे और महारानी ने तो गांधी जी के साथ हाथ तक नहीं मिलाया था।PunjabKesari इसका जिक्र दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब "महाराजा" में बखूबी किया है। वह लिखते हैं कि गोलमेज कॉन्फ्रेंस दौरान के दौरान भारत से आए सारे प्रतिनिधिओं और सलाहकारों को इंग्‍लैंड के बादशाह ने तीसरे पहर होने वाले समागम-समारोह में बकिंघम पैलेस में आमंत्रित किया था। तब बड़ी बहस चली कि उस अवसर पर महात्मा गांधी को कैसे वस्त्र पहनने चाहिए। निमंत्रण कार्ड के एक कोने में छपा था-"सवेरे की पोशाक" इसका मतलब था कि भारतीय मेहमान अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनें तथा अंग्रेज लोग फ्राक कोट व टॉप हैट पहनें। महात्मा गांधी समागम-समारोह में जाने के लिए भारत के गरीब लोगों जैसे वस्त्रों के अलावा दूसरे किसी प्रकार के वस्त्र पहनने को तैयार न थे।

PunjabKesari इससे एक बड़ी गंभीर स्थिति पैदा हो गई जब महात्मा जी ने सैक्रेटरी ऑफ स्टेट को सूचना दी कि वे हमेशा की तरह लंगोटी पहने हुए स्वागत समारोह में शरीक होंगे। इस बात को लेकर इंग्लैंड के बादशाह और रानी बहुत बुरा मान गए और एतराज करने लगे कि महात्मा गांधी लंगोटी पहने अधनंगी हालत में समारोह में आए। भारत के सैक्रेटरी ऑफ स्टेट ने वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन को तार भेजा कि इस संगीन मामले में वे अपनी राय दें। वायसराय ने उत्तर दिया कि अगर उचित पोशाक न पहने होने के कारण महात्मा गांधी को बकिंघम पैलेस के स्वागत-समारोह में शामिल होने से रोका गया तो भारत में बड़ा भारी तूफान उठ खड़ा होगा। लाचार हो कर इंग्लैंड के बादशाह और रानी को अपनी मर्जी के खिलाफ उस समारोह में महात्मा गांधी को लंगोटी पहने आने की स्वीकृति देनी पड़ी।

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जरमनी दास लिखते हैं कि मैं भी उस समारोह में एक भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से निमंत्रित था। बरामदे में खड़ा हुआ मैं महात्मा गांधी से बातें करता रहा, जो लंगोटी पहने और कंधों पर दुशाले डाले हुए थे। उस समय वे साक्षात एक पैगम्बर जैसे लग रहे थे। उनके साथ में श्रीमति सरोजिनी नायडू थीं। समारोह में भारत से आए तमाम प्रतिनिधि और सलाहकार, भारतीय राजे-महाराजे, ड्यूक लोग और इंग्लैंड के अमीर-उमरा अपनी-अपनी पत्नियों सहित शानदार भड़कीली पोशाकें पहने उपस्थित थे। उनके अलावा ग्रेट ब्रिटेन की सरकार के प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्री, राजनीतिरक विभाग के उच्च अधिकारी, स्थल, जल और वायु सेना के बड़े-बड़े अफसर भी जलसे में शरीक थे।

बरामदे में जहां महात्मा गांधी खड़े थे वहां से कुछ गज के फासले पर इंग्‍लैंड के राजा और रानी बकिंघम पैलेस के शानदार हॉल में मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। मेहमानों की निगाहें उधर ही लगी थीं जहां हाल के बीच इंग्‍लैंड के राजा से महात्मा गांधी बातें कर रहे थे। राजा कुछ उत्तेजित और गुस्से में थे। वह एक अजीबोगरीब नजारा था जब फ्राक कोट पहने इंग्लैण्ड के राजा लंगोटीधारी महात्मा के साथ दिखाई दे रहे थे। 

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