क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति से मिल पाएगी कैप्टन सरकार के पास किए गए बिलों को मंजूरी?

Edited By Vatika,Updated: 21 Oct, 2020 04:38 PM

punjab assembly session

पंजाब में कैप्टन सरकार और किसान एकजुट होकर केंद्र के कृषि कानूनों को पलटने में आमदा है।

चंडीगढ़ः पंजाब में कैप्टन सरकार और किसान एकजुट होकर केंद्र के कृषि कानूनों को पलटने में आमदा है। इसके लिए कैप्टन सरकार ने इन कानूनों के खिलाफ विशेष सत्र बुलाकर 3 बिल भी पास कर दिए और तुरंत प्रभाव से उन बिलों पर हस्ताक्षर करवाने के लिए भाजपा को छोड़कर  सभी राजनीतिक दल राज्यपाल के पास भी पहुंच गए। कांग्रेस इस कार्यवाही को राजनीतिक तौर पर भले ही मास्टर स्ट्रोक मान रही है, हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो इन बिलों को राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना आसान नहीं है। 

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कैप्टन सरकार द्वारा पास किए गए बिल अभी राज्यपाल के पास विचाराधीन है। इन बिलों पर राज्यपाल  बी.पी. सिंह बदनौर और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जब अपनी सहमती जताएंगे तभी यह बिल राज्य में कानून के रूप में लागू हो पाएंगे। यहां उल्लेखनीय यह है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को किसान हितैषी बता रही है और भाजपा शासित राज्यों में इन कानूनों के खिलाफ आंदोलन सफल भी नहीं हो पाए है। 

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कांग्रेस शासित राज्य पंजाब देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है। जिसने केंद्र सरकार के बनाए कानूनों का विरोध किया है। किसानों के उग्र प्रदर्शन के आगे सरकार को ही नहीं अपितु भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों को घुटने टेकने पड़े है। बिल पारित होने के बाद कैप्टन सरकार यह भी दावा कर रही है कि यदि इन बिलों पर राज्यपाल और राष्ट्रपति हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो वह कानूनी तरीके से कोर्ट में रुख करेगी। बहरहाल इन कानूनों को मंजूरी मिलना आसान नहीं दिख रहा है। यदि मंजूरी नहीं मिली तो यह बिल महज राजनीतिक  दस्तावेज बन कर रह जाएंगे। 

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