Edited By Suraj Thakur,Updated: 26 Jun, 2019 12:41 PM

कहा जाता है सबसे पहले बाबा बर्फानी के दर्शन मुसलमान गड़रिए को हुए, जिसके बाद उसने हिंदू समुदाय के लोगों को इसके बारे में जानकारी दी थी।
जालंधर। भगवान शिव के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु हर साल अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं। इस मुश्किल यात्रा के दौरान कुछ अपनी जान भी गंवा बैठते हैं। अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू हो रही है। इस मौके पर आपको अमरनाथ गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं। अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूवार्द्ध में एक मुसलमान गड़रिए को चला था। कहा जाता है सबसे पहले बाबा बर्फानी के दर्शन मुसलमान गड़रिए को हुए, जिसके बाद उसने हिंदू समुदाय के लोगों को इसके बारे में जानकारी दी थी।
साधु की वजह से मिली थी गुफा...
पवित्र गुफा की खोज के बारे में कहा जाता है कि एक गड़रिए को भेड़ें चराते हुए एक साधु मिला। उसने उस गड़रिए को कोयले से भरी एक बोरी दी। गड़रिया बोरी लेकर जब घर आया तो उसने देखा कि बोरी का कोयला सोना-चांदी के सिक्कों में बदल चुका था। वह हैरत में पड़ गया।
ऐसे मिली थी गुफा...
इसके बाद वह गड़रिया साधु की तलाश में निकल पड़ा और उसी स्थान पर गया, जहां साधु से मिला था। वहां उसे साधु तो नहीं मिला, बल्कि ठीक उसी जगह एक गुफा थी। गड़रिए ने गुफा में प्रवेश किया तो उसने वहां बर्फ का शिवलिंग देखा। उसने वापस आकर सबको यह कहानी बताई और इस तरह भोले बाबा की पवित्र अमरनाथ गुफा की खोज हुई।
आस-पास हैं कई गुफाएं ...
धीरे-धीरे दूर-दूराज के स्थानों से भी लोग पवित्र गुफा एवं बाबा के दर्शन के लिए पहुंचने लगे। अमरावती नदी के पथ पर आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। वे सभी बर्फ से ढकी हैं।