आखिर क्यों महिलाओं को टिकट देने से कतराते हैं सभी राजनीतिक दल

Edited By Sunita sarangal,Updated: 23 Jan, 2022 01:06 PM

all political parties shy away from giving tickets to women

पंजाब को चाहे महिलाओं के मामले में सकारात्मक सोच वाला सूबा माना जाता हो, जहां की महिलाओं की तादाद बाकी.........

चंडीगढ़ (हरिश्चंद्र) : पंजाब को चाहे महिलाओं के मामले में सकारात्मक सोच वाला सूबा माना जाता हो, जहां की महिलाओं की तादाद बाकी राज्यों के मुकाबले पढ़ने-लिखने में पीछे नहीं है। महिलाएं यहां पर नौकरीपेशा ही नहीं हैं बल्कि कई तो बिजनैस को भी बखूबी संभाल रही हैं। मगर जब बात चुनाव की आती है तो पार्टियां तो उन्हें टिकट देने में कतराती ही हैं, खुद ये महिलाएं भी चुनावी रण में उतरने से दो कदम पीछे हट जाती हैं। महिलाओं की पंजाब के विधानसभा चुनाव में अब तक की भूमिका 'पंजाब केसरी' के पाठकों से सांझा कर रहे हैं :

1977 : 18 महिला उम्मीदवार विधानसभा चुनाव लड़ीं। इनमें से मात्र 3 महिलाएं ही चुनाव जीत पाई। यह तीनों महिला विधायक शिरोमणि अकाली दल से थीं।

1980 : वैसे प्रतिशत के लिहाज से देखें तो 19 उम्मीदवार मैदान में थी, जिनमें से 6 जीती। इनमें कांग्रेस की 4 और अकाली दल की 2 विधायक शामिल थीं।

1985 : 33 महिलाएं किस्मत आजमाने विधानसभा के चुनाव मैदान में आई तो जीती मात्र 4, इनमें 3 कांग्रेस और 1 शिरोमणि अकाली दल से थीं।

1992 : शिअद ने चुनाव का बहिष्कार किया था। 22 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, जिनमें से 6 जीतीं। 4 कांग्रेस और 1-1 सी.पी.आई. व भाजपा से थीं।

1997 : विधानसभा चुनाव में अकाली दल ने भाजपा से गठजोड़ कर पहली बार चुनाव लड़ा तो गठबंधन की 6 महिला प्रत्याशी जीतीं। इनमें 4 शिरोमणि अकाली दल और 2 भाजपा से थी। कांग्रेस से एकमात्र महिला विधायक राजिंदर कौर भट्ठल रही। उस साल 52 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था।

2002 : इस साल 71 महिला प्रत्याशी विधानसभा पहुंचने की इच्छा लेकर मैदान में उतरी, लेकिन इनमें से मात्र 8 ही चुनाव जीत सकी। इनमें 5 महिला विधायक कांग्रेस और 3 शिरोमणि अकाली दल की थी। 

2007 : 56 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिनमें से 7 महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। इनमें कांग्रेस की 4, शिरोमणि अकाली दल की 2 और भारतीय जनता पार्टी से एक विधायक शामिल थी।

2017 : इस साल हुए विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और भाजपा गठबंधन की कोई महिला प्रत्याशी नहीं जीत पाई। तब 81 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की 3-3 महिला उम्मीदवार पिछला विधानसभा चुनाव जीती थीं।

साल 2012 में अब तक सबसे ज्यादा 14 महिलाएं जीत कर पहुंची थीं विधानसभा
साल 2012 में महिलाओं ने तगड़ी दस्तक पंजाब विधानसभा पर दी, जब 14 महिलाएं जीत कर आईं। 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस से 6, अकाली दल से 6 और भाजपा से 2 महिलाएं जीत कर आईं। उस साल 93 महिलाओं ने किस्मत आजमाई थी जो अब तक का महिला प्रत्याशियों का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

आधी दुनिया की भागीदारी महज चौथाई भी नहीं
देशभर की तरह ही पंजाब की राजनीति ने आपातकाल के बाद करवट बदली थी। एमरजैंसी के बाद 1977 में हुए पहले चुनाव से लेकर अब तक हुए 9 विधानसभा चुनावों में कुल 445 महिलाओं ने किस्मत आजमाई, जिनमें से 61 को जीत हासिल हुई है। यानी मात्र 13.7 महिलाएं ही इनमें से चुनाव जीत पाई। कुल 1053 विधायकों में तो यह आंकड़ा करीब 6 प्रतिशत ठहरता है। इनमें भी महिलाओं का पलड़ा भारी रहा है। कांग्रेस को अब तक 30 महिला विधायक चुनी गई हैं, जबकि अकाली दल की 21, भाजपा की 6, आम आदमी पार्टी की 3 और सी.पी.आई. की 1 महिला विधायक को जीत मिली।

अब तक जीती महिला विधायक

कांग्रेस - 30

अकाली दल - 21

भाजपा - 6

आम आदमी पार्टी - 3

सी.पी.आई. - 1

इस बार आम आदमी पार्टी अब तक आगे
इस बार विधानसभा चुनाव में अब तक आम आदमी पार्टी ही है, जिसने 12 महिलाओं को टिकट दी है। उसने अपने सभी 117 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस अब तक 86 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है, जिनमें से 9 महिला प्रत्याशी हैं। भारतीय जनता पार्टी के 35 घोषित उम्मीदवारों में मात्र 2 महिलाएं हैं, जबकि शिरोमणि अकाली दल की सूची में अब तक 4 ही महिलाओं को टिकट मिला है।

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