प्याज के बाद दूध की कीमतों में आ सकता है भारी उछाल

Edited By swetha,Updated: 03 Jan, 2020 09:50 AM

milk prices may rise after onion

बंद होने लगी डेयरियां

लुधियाना(सलूजा): प्याज व रसोई गैस की कीमतों में उछाल के बाद अब पंजाब भर के लोगों को दूध की कीमतों में होने वाली भारी बढ़ौतरी का भी सामना करना पड़ सकता है।  दूध की कीमतें 60 रुपए से लेकर 65 रुपए प्रति लीटर को भी पार कर सकती हैं। ऐसा संकेत पंजाब लाइव स्टॉक फार्मर्ज एसो. के प्रधान जसविंदर सिंह ढिल्लों ने देर रात देते हुए बताया कि चोकर का जो भाव पहले 570 रुपए प्रति क्विंटल था, वह अब 725 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच चुका है। 

सरसों का भाव पहले 2050 रुपए प्रति क्विंटल था जो 2300 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। मक्की का भाव 1700-1800 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ कर 2400 रुपए क्विंटल हो गया है। तूड़ी की कीमतें 300-400 रुपए की बजाय अब 700 रुपए प्रति क्विंटल को छू चुकी हैं। इसे लेकर डेयरी फार्मर सरकार से खफा नजर आ रहे हैं।

बंद होने लगी डेयरियां 
प्रधान ढिल्लों ने यह भी खुलासा किया कि इस समय लुधियाना समेत पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में डेयरियां बंद होने लगी हैं। उन्होंने बताया कि लुधियाना के ललतों गांव का एक डेयरी फार्मर जिसके पास 125 के करीब दुधारू पशु हैं और वह इस समय दूध भी प्रति लीटर 70 रुपए बेच रहा है, अपना डेयरी फार्म बेचने जा रहा है। लुधियाना के ताजपुर व हैबोवाल खुर्द इलाकों में से भी कई डेयरियों के बंद होने की रिपोर्टें प्राप्त होने लगी हैं। मोहाली में भी कई डेयरियां बंद हो चुकी हैं। 

यदि सरकार ने नीति न बनाई तो डेयरी उद्योग हो जाएगा तबाह
पंजाब लाइव स्टॉक फार्मर्ज एसो. ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार डेयरी फार्मर्ज को सबसिडी देने का प्रबंध नहीं करती तो आने वाले समय में डेयरी उद्योग तबाह हो जाएगा। इस तरह के हालातों में डेयरी फार्मर्ज के पास दूध की कीमतों में बढ़ौतरी करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा। 

कीमतों को लेकर डेयरी मालिक वेरका पर निर्भर
डेयरी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जब-जब वेरका दूध के रेटों में इजाफा करता है तो प्राइवेट तौर पर दूध का काम करने वाले डेयरी मालिक दूध की कीमतों में बढ़ौतरी कर देते हैं। जहां तक 3 जनवरी को दूध की बढ़ रही कीमतों व डेयरी फार्मर्ज के भविष्य को लेकर होने वाली मीटिंग की बात है, इस तरह की मीटिंगों का दौर पिछले लंबे समय से जारी है। यह तो सरकार पर निर्भर करता है कि वह डेयरी फार्मिंग के धंधे को बरकरार रखने संबंधी किस तरह की नीतियों को अमल में लाती है। 

नहीं मिल रही तूड़ी 
 यह बात भी सामने आई है कि किसान व डेयरी फार्मर तो तूड़ी की कमी से जूझ रहे हैं जबकि बड़ी-बड़ी मिलों में तूड़ी को जलाया जा रहा है। सरकार इन मिल मालिकों को तूड़ी जलाने से रोक कर पराली का इस्तेमाल करने को क्यों नहीं कहती।

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