मेयर ने कैप्टन व सिद्धू से लगाई गुहार, अगली कैबिनेट मीटिंग में पेश होगा प्रस्ताव

Edited By Vatika,Updated: 11 Oct, 2018 11:07 AM

ludhiana mayro

महानगर में होने वाले विकास कार्यों का दारोमदार अवैध निर्माणों को रैगुलर करने संबंधी वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी पर टिक गया है। इस बारे में मेयर द्वारा अवगत करवाने पर लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अगली कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पेश करने का...

लुधियाना: महानगर में होने वाले विकास कार्यों का दारोमदार अवैध निर्माणों को रैगुलर करने संबंधी वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी पर टिक गया है। इस बारे में मेयर द्वारा अवगत करवाने पर लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अगली कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पेश करने का ऐलान किया है।

यहां बताना उचित होगा कि नगर निगम द्वारा पैंडिंग बिलों का भुगतान न करने के विरोध में ठेकेदारों ने काफी देर से नए-पुराने विकास कार्यों को ठप्प किया हुआ है। इसके अलावा खजाना खाली होने का हवाला देते हुए नगर निगम ने भी नए विकास कार्यों के लिए एस्टीमेट बनाने बंद करने सहित पहले पास हो चुकी फाइलों से संबंधित टैंडर लगाने व वर्क ऑर्डर जारी करने पर भी रोक लगा दी है। इस तरह विकास कार्यों से जुड़े वायदे पूरे न होने के मुद्दे पर मेयर को विरोधियों के अलावा अपनी पार्टी के कौंसलरों व विधायकों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस हालात से निपटने के लिए मेयर द्वारा कई बार कैप्टन अमरेंद्र सिंह व सिद्धू के सामने नगर निगम को आर्थिक मदद देने की गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस दौर में मेयर को वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी के रूप में ही आशा की किरण नजर आ रही है। इसके तहत अवैध निर्माणों को रैगुलर करने से काफी रैवेन्यू मिलने की उम्मीद है जिससे विकास की गाड़ी पटरी पर लौट सकती है।इस बारे में चारों शहरों के मेयरों द्वारा पिछले दिनों चीफ मिनिस्टर व सिद्धू से मिलकर मुद्दा उठाया गया, जिसके बाद सिद्धू ने अगली कैबिनेट मीटिंग में वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी को मंजूरी देने का प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है।


नॉन कम्पाऊंडेबल अवैध निर्माणों से हटेगी कार्रवाई की तलवार
यह वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी लागू होने के बाद सबसे ’यादा राहत उन लोगों को मिलेगी जिनके निर्माण नॉन कम्पाऊंडेबल कैटेगरी में आते हैं जिनकी फीस जमा करने के बाद कार्रवाई की तलवार हट जाएगी।

डेढ़ दशक से लटक रहा मामला
वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी लागू करने का मामला डेढ़ दशक से लटक रहा है क्योंकि पहले कांग्रेस सरकार के समय भी अवैध निर्माणों को रैगुलर करने का फैसला किया गया था लेकिन उसे पहले हाईकोर्ट व फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई। अब फैसला लेने की गेंद फिर से राज्य सरकार के पाले में आ गई है लेकिन डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।

दोबारा सब-कमेटी के पास जाएगा ड्राफ्ट
यह पॉलिसी पहले भी एक बार कैबिनेट में पेश की गई थी लेकिन फीस व शर्तों को लेकर सहमति नहीं बन पाई जिसके मद्देनजर कैप्टन ने मंत्रियों व मेयरों की सब-कमेटी बना दी। इनकी सिद्धू के साथ कई मीटिंग होने के दौरान मैंबर्स ने अपनी सिफारिशें सिद्धू के सामने रख दी लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब दबाव बढऩे पर सिद्धू ने पॉलिसी को दोबारा कैबिनेट में लाने की हामी भरी है तो उससे पहले पॉलिसी को फाइनल करने के लिए सब-कमेटी मैंबर्स के पास भेजा जाएगा।

फीस व शर्तों को लेकर फंसा हुआ है पेंच
इस मामले में सिद्धू ने अवैध बिल्डिंगों को रैगुलर करने के लिए काफी ज्यादा फीस रख दी, जिसका कैबिनेट सब-कमेटी के बाकी मैंबर्स ने विरोध किया। इसी तरह पार्किंग नियमों के उल्लंघन, ओवर कवरेज व अन्य नॉन कम्पाऊंडेबल निर्माण को रैगुलर न करने बारे सिद्धू के प्रस्ताव पर भी बाकी मैंबर्स द्वारा एतराज किया गया है।

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