PWD विभाग में  हुए घोटाले का मामला, 3 मुलाजिमों पर हुई कार्रवाई

Edited By Urmila,Updated: 29 May, 2024 12:23 PM

case of scam in pwd department action taken against 3 employees

पी. डब्ल्यू. डी. विभाग में स्कूलों को स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी करने की फीस के गबन के रूप में हुए घोटाले को लेकर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है।

लुधियाना (हितेश): पी. डब्ल्यू. डी. विभाग में स्कूलों को स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी करने की फीस के गबन के रूप में हुए घोटाले को लेकर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है, जिसके तहत तीन मुलाजिमों को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले में पंजाब केसरी द्वारा खुलासा किया गया था कि पी डब्ल्यू डी विभाग की प्रोविजनल डिवीजन के मुलाजिमों द्वारा स्कूलों को स्ट्रक्चर सर्टिफिकेट जारी करने की फीस खजाने में जमा करवाने की बजाय हजम कर ली गई है जिसके मद्देनजर एस ई एच एस ढिल्लों द्वारा एक्सईएन रंजीत सिंह को मामले की जांच करने के निर्देश दिए गए।

इस संबंधी बनाई गई रिपोर्ट में तीन मुलाजिमों विनोद कुमार, गुरदास सिंह व सुरेंद्र कुमार को स्कूलों को स्ट्रक्चर सर्टिफिकेट जारी करने की फीस जमा करने की प्रक्रिया में धांधली को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार द्वारा उक्त मुलाजिमों को सस्पेंड करने का फैसला किया गया है, जिसे लेकर ऑर्डर पी डब्ल्यू डी विभाग के चीफ इंजीनियर वी के चोपड़ा द्वारा जारी कर दिया गया है।

इस तरह दिया गया फ्रॉड को अंजाम

मिली जानकारी के मुताबिक पी डब्ल्यू डी विभाग द्वारा स्कूलों को जो स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, उसके लिए एरिया के हिसाब से 20 हजार तक की फीस की वसूली की जाती है लेकिन पी डब्ल्यू डी विभाग की प्रोविजनल डिवीजन के मुलाजिमों द्वारा यह फीस खजाने में जमा नहीं करवाई गई और स्कूलों को फर्जी रसीद बनाकर दे दी गई। यहां तक कि कुछ मुलाजिमों द्वारा गूगल पे के जरिए यह फीस अपने निजी अकाउंट में ट्रांसफर करने की बात सुनने को मिल रही है और स्कूलों से कथित तौर पर जो रिश्वत ली गई उसका हिस्सा नीचे से ऊपर तक आपस में बांटने की चर्चा है।

लाखों की रिकवरी होनी है बाकी

इस मामले में सरकार द्वारा तीन मुलाजिमों को तो सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन उनसे लाखों की रिकवरी होनी अभी बाकी है। मिली जानकारी के मुताबिक जांच के दौरान 35 स्कूलों की फीस जमा न होने की बात सामने आई है, जिसका आंकड़ा करीब 7 लाख बताया जा रहा है। हालांकि मुलाजिमों द्वारा कार्रवाई से बचने के लिए यह पैसा सरकार के अकाउंट में वापिस जमा करवाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जब उन्हें सस्पेंड करने की कार्रवाई का पता चल गया तो उन्होंने पैर पीछे खींच लिए। 

अकाउंट ऑफिसर व एस डी ओज पर एक्शन न होने को लेकर खड़े हो रहे हैं सवाल

इस मामले में अकाउंट ऑफिसर व एस डी ओज पर एक्शन न होने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि यह देखना अकाउंट ऑफिसर की जिम्मेदारी है कि फीस खजाने में जमा हो गई है या नहीं। इसी तरह स्कूलों को स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट एस डी ओ द्वारा जारी किया जाता है लेकिन उसके द्वारा स्क्रूटनी के दौरान फीस जमा करने के पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया।
जिसके बावजूद अकाउंट ऑफिसर व एस डी ओज पर एक्शन लेने की बजाय पहले उन्हें जांच कमेटी का हिस्सा बना लिया गया और फिर निचले मुलाजिमों पर गाज गिराकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। जिसके लिए पहले एस ई द्वारा फिक्स की गई डेडलाइन खत्म होने के काफी देर बाद तक एक्सईएन रंजीत सिंह द्वारा रिपोर्ट फाइनल नहीं की गई और फिर चीफ इंजीनियर को कई बार अधूरी जानकारी भेजी गई। 

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