वाटर सरफेस प्रोजैक्ट : शहरवासियों को पानी पिलाने के लिए क्या जरूरी है नहर को चौड़ा किया जाना?

Edited By Sunita sarangal,Updated: 14 Jan, 2021 12:19 PM

water surface project

वाटर सोर्स विभाग नहर की अरेंजिंग के लिए सरकार से मांग रहा 100 करोड़ रुपए

जालंधर(सोमनाथ): पंजाब में गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर पंजाब सरकार द्वारा अमृतसर, पटियाला और लुधियाना सहित जालंधर शहरवासियों को नहरी पानी ट्रीट कर पिलाए जाने की तैयारी की जा रही है। सरफेस वाटर प्रोजैक्ट के तहत पानी को स्टोर करने और ट्रीट करने के लिए आदमपुर के गांव जगरावां में 50 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। प्रोजैक्ट पर तेजी से काम शुरू हो गया है। प्रोजैक्ट के तहत जल सप्लाई के लिए नगर निगम ने नहरी विभाग से 50 क्यूसिक पानी देने की मांग की है। यह पानी बिस्त दोआब नहर द्वारा जालंधर ब्रांच में दिया जाएगा, जिसकी क्षमता वर्तमान में 500 क्यूसिक है।

नहरी विभाग से सेवानिवृत्त डिवीजनल हैड ड्राफ्ट्समैन जोगिन्द्र सिंह ने पंजाब सरकार को लिखे एक पत्र में कहा है कि वाटर सोर्स विभाग ने नगर निगम को पानी देने के लिए नहर की अरेंजिंग कर (नहर को चौड़ा करना) और क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार से 100 करोड़ रुपए फंड की मांग कर रहा है। उन्होंने बताया कि जालंधर ब्रांच 0 बुर्जी से 90 हजार तक कंक्रीट तथा 90 हजार से 226 हजार तक ब्रिकलाइनिंग से पहले ही पक्की है।

उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा 90 हजार से 226 हजार तकरीबन 41.48 किलोमीटर नहर को दोबारा पक्का करने के लिए फंड के दुरुप्रयोग का प्रस्ताव तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि 41.48 किलोमीटर लंबी जालंधर ब्रांच को नए सिरे से पक्का किया जाता है तो इस नहर के ऊपर से गुजरने वाले पुलों को भी नए सिरे से बनाना होगा। इसके लिए सरकार को करोड़ों रुपए अलग से खर्च करने पड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि नहर के आसपास गांवों के बसने और शहरी आबादी बढ़ने के कारण तथा नहरों की लंबाई कम होने के कारण जैसे जंडूसिघा डिस्ट्रीब्यूटरी, आदमपुर डिस्ट्रीब्यूटरी आदि और ट्यूबवैलों के लगने से नहरी पानी का उपयोग पहले से कम हो रहा है। ऐसी स्थिति में नहर की अरेंजिंग करवाना गलत है। इससे सरकार के करोड़ों रुपए के फंड की बचत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को नजायज तौर पर उपयोग किए जाने वाले फंडों पर रोक लगाकर इस संबंध में जांच करनी चाहिए।

कहां जा रहा है सिंचाई रकबे से ज्यादा आ रहा नहरी पानी
जोगिन्द्र सिंह ने मीडिया में सवाल किया कि इस नहर को बने करीब 70 वर्ष हो गए हैं। शहरी रकबा बढ़ने के कारण सिंचाई पानी की मांग कम हो गई है। 500 क्यूसिक पानी से डेढ़ लाख एकड़ क्षेत्र में सिंचाई की जा सकती है, लेकिन जालंधर ब्रांच द्वारा प्राप्त होते पानी से रबी और खरीफ के सीजन में 15 से 18 हजार एकड़ तक ही फसल की सिंचाई होती है। इतने रकबे में 100 से 150 क्यूसिक पानी से सिंचाई हो सकती है, लेकिन जालंधर ब्रांच द्वारा लिए जाते 500 क्यूसिक पानी में से बाकी पानी का उपयोग कहां हो रहा है? नहर को चौड़ा करने के लिए सरकार से फंड मांगे जाने के प्रस्ताव के बारे में जब विभाग के एक्सियन दविन्द्र सिंह का पक्ष जानना चाहा तो उनसे बात नहीं हो सकी।

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