विद्या धाम में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ विद्या भारती पंजाब का वार्षिक उत्सव

Edited By Pardeep,Updated: 18 Dec, 2024 02:04 AM

vidya bharti punjab s annual festival concluded at vidya dham

पंजाब की पवित्र धरती ज्ञान के साथ साथ अपने शौर्य के लिए भी विश्व में प्रसिद्ध है। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की प्रांतीय ईकाई सर्वहितकारी शिक्षा समिति, पंजाब भी इसी ज्ञान के प्रसार में लगी हुई है।

 जालंधरः ‘पंजाब की पवित्र धरती ज्ञान के साथ साथ अपने शौर्य के लिए भी विश्व में प्रसिद्ध है। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की प्रांतीय ईकाई सर्वहितकारी शिक्षा समिति, पंजाब भी इसी ज्ञान के प्रसार में लगी हुई है। विद्या भारती का लक्ष्य शिक्षा के साथ देशभक्ति के संस्कार छात्रों को देना है। विद्या भारती का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य धन और नौकरी के साथ ही ऐसे देशभक्त नागरिकों का निर्माण करना भी है जो भारतीयता के संस्कार के साथ संपूर्ण विश्व में जाकर मानवता को संबल प्रदान करें|’ ये शब्द अखिल भारतीय विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा.शिव कुमार जी ने विद्या धाम के खचाखच भरे माधव सभागार में कहे । 
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उल्लेखनीय है कि सर्वहितकारी शिक्षा समिति, पंजाब का वार्षिक उत्सव विद्या धाम में 17 दिसंबर को विद्या धाम में संपन्न हुआ। इसी उत्सव में डा.शिव कुमार जी मुख्य वक्ता के रूप में मार्गदर्शन कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि समाज में ऐसी धारणा बनी हुई है कि शिक्षा में धर्म को नहीं लाना चाहिए। लेकिन धर्महीन शिक्षा संस्कार युक्त नहीं होगी। धर्म से ही संस्कार का निर्माण होगा। मार्गदर्शन करते हुए डा.शिव कुमार ने आगे कहा कि धर्म का संबंध किसी पूजा पद्धति या विशेष पुस्तक से नहीं है। धर्म तो बहुत ही व्यापक शब्द है। भारतीय परंपरा में धर्म के दस लक्षण बताए गए हैं। ये लक्षण किसी भी मत संप्रदाय के अनुयायी में हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम कहते हैं ‘एक ओंकार’। जब वही ओंकार घट घट में व्याप्त है, प्रत्येक मनुष्य में व्याप्त है तो फिर ऊंच नीच, छोटा बड़ा, अमीर गरीब का भेदभाव क्यों ? अपनी ओजस्वी वाणी में उन्होंने कहा कि विद्या भारती ‘ज्ञानयुक्त बुद्धि से कर्म की प्रेरणा देने वाली शिक्षा’ की पक्षधर है। 

इस वार्षिक उत्सव में पूरे पंजाब के सभी सर्वहितकारी विद्या मंदिरों की 44 अध्यापिकाओं को सम्मानित किया गया। इन सभी अध्यापिकाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के कारण पुरस्कार प्राप्त किया। ये अध्यापिकाएं कठिन परिक्षा देने के बाद यहां तक पहुंची। इस उत्सव में उन अध्यापिकाओं को भी सम्मानित किया जो शाम को दो घंटे के लिए ऐसे बच्चों को शिक्षा देती हैं जो अत्यंत गरीब या बेसहारा हैं। जहां इन बच्चों को पढ़ाया जाता है उनको ‘संस्कार केंद्र’ कहा जाता है। ऐसे दो सतासी संस्कार केंद्र पंजाब में चल रहे हैं। इस उत्सव के दौरान देश की रंग विरंगी संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए अनेक कार्यक्रम भी संपन्न हुए। बठिंडा की अध्यापिकाओं ने हरियाणवी, चंडीगढ़ की अध्यापिकाओं ने हिमाचाली, अमृतसर की अध्यापिकाओं ने गिद्दा, पठानकोट की अध्यापिकाओं ने मराठी नृत्य प्रस्तुत कर रंगीन छटा विखेर दी जबकि संगरूर की अध्यापिकाओं ने मनमोहक स्वागत गीत प्रस्तुत किया। 

सरस्वती वंदना मानसा की अध्यापिकाओं ने की। मंच का संचालन मलेरकोटला की दीदी ब्रिज मोहिनी, तलवाड़ा की दीदी अंजू शर्मा और मोहाली के विद्या मंदिर के प्राधानाचार्य विजय आनंद ने संयुक्त रूप से किया। उत्सव की प्रस्तावना महामंत्री डा.नवदीप शेखर ने सबके सामने रखी। अंत में वित्त सचिव ठाकुर विजय ने सभी का धन्यवाद करते हुए बताया कि प्रिंसिपलों की ग्रुप ग्रेच्युटी और सोशल सिक्युरिटी के बारे में शिक्षा समिति ने काम प्रारंभ कर दिया है। जो प्रिंसिपल अपने वेतन अधिक हो जाने के कारण ईएसआई योजना से बाहर आ चुके हैं उनके लिए भी सर्वहितकारी शिक्षा समिति एक विशेष योजना पर काम कर रही है। 

इस अवसर पर पुस्तक मेला व विद्या भारती के कार्यों को प्रदर्शित करती भव्य प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। इस उत्सव में संगरूर के सतपाल बंसल व अछ्विंदर गोयल, चंडीगढ़ से कमल संधू व जयदेव बातिश, मोहाली से सुभाष महाजन, जलंधर से संगठन मंत्री राजेंद्र कुमार, प्रकाशन सोसाइटी के अध्यक्ष हनी संगर व महामंत्री मुनीश शर्मा, मनदीप तिवारी और पठानकोट से सरदार बचन सिंह के अतिरिक्त सभी विद्या मंदिरों के प्रिंसिपल भी उपस्थित रहे। अंत में राष्ट्र गीत ‘वंदेमातरम’ के साथ उत्सव का समापन हुआ। 
 

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