Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Aug, 2018 05:58 PM
उत्तर भारत की शान कही जाने वाली भारतीय रेल की शताब्दी एक्सप्रैस जिसे अमृतसर से नई दिल्ली तक चलते 20 साल हो चले हैं, जैसे-जैसे साल बढ़ते गए, वैसे-वैसे इस वी.आई.पी. यात्री गाड़ी का किराया प्रति यात्री बढ़ता गया लेकिन सुविधाएं शून्य हैं।
जालंधर (राज): उत्तर भारत की शान कही जाने वाली भारतीय रेल की शताब्दी एक्सप्रैस जिसे अमृतसर से नई दिल्ली तक चलते 20 साल हो चले हैं, जैसे-जैसे साल बढ़ते गए, वैसे-वैसे इस वी.आई.पी. यात्री गाड़ी का किराया प्रति यात्री बढ़ता गया लेकिन सुविधाएं शून्य हैं।
वहीं 2 दशक बीत जाने के बाद भी दूध पीते नन्हे बच्चों के लिए शताब्दी एक्सप्रैस के मैन्यू में दूध के लिए जगह नहीं बन पाई है। सुबह 5 बजे अमृतसर से चलने वाली शताब्दी को पकडऩे के लिए यात्रियों को अपने बच्चों के साथ सुबह 4 बजे घर से निकलना पड़ता है। अगर बच्चे के लिए घर से एक बोतल दूध लेकर निकला जाए तो वह 2 घंटे के भीतर रास्ते में खत्म हो जाएगा, जबकि अमृतसर से दिल्ली का सफर 6 घंटे का है। इस 6 घंटे के सफर में रेल मंत्रालय बच्चों के लिए दूध का कोई इंतजाम नहीं कर सका है।
आपबीती बताते हुए जालंधर निवासी वरिंदर सोनी ने कहा कि वह अपने पारिवारिक शादी समारोह पर गाजियाबाद से सुबह 5 बजे घर से नई दिल्ली से स्वर्ण शताब्दी पकडऩे के लिए रवाना हुए। बच्चे के लिए एक बोतल दूध था, जो नई दिल्ली स्टेशन पर ही खत्म हो गया। नई दिल्ली से स्वर्ण शताब्दी सुबह 7.30 बजे रवाना होती है। उनका कहना है कि उनका पूरा परिवार डाक्टर है तो उन्होंने स्टेशन के बाहर से बच्चे की सेहत के कारण दूध लेना उचित नहीं समझा। जब रेल आहार के भोजनालय में गए तो वहां भी बच्चों के लिए गर्म दूध का कोई प्रबंध नहीं था। इसके बाद जब ट्रेन में गर्म दूध के बारे ट्रेन अटैंडैंट से पूछा तो उसने भी मना कर दिया। ऐसे में रेल मंत्रालय को इस समस्या की तरफ ध्यान देना चाहिए।