Edited By swetha,Updated: 24 Jun, 2019 12:10 PM
धान और बासमती की अधिक पैदावार लेने के लिए जहां बीज की जांच कराकर बिजाई करने की जरूरत होती है वहीं इन दोनों फसलों में खाद के प्रयोग संबंधी ध्यान रख कर किसान इन फसलों को अनेक समस्याओं से मुक्त करवा सकते हैं।
गुरदासपुर(हरमनप्रीत): धान और बासमती की अधिक पैदावार लेने के लिए जहां बीज की जांच कराकर बिजाई करने की जरूरत होती है वहीं इन दोनों फसलों में खाद के प्रयोग संबंधी ध्यान रख कर किसान इन फसलों को अनेक समस्याओं से मुक्त करवा सकते हैं।
खाद के सही प्रयोग से जहां धान व बासमती की फसल रोगहीन होती है वहीं खेती का खर्च भी कम होता है व तैयार होने वाले चावलों की गुणवत्ता बढिय़ा होने से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंडी में मंडीकरण दौरान पेश आने वाली समस्याओं से छुटकारा भी मिल सकता है। वहींअधिकांश किसान तथ्यों को नजरअंदाज कर धान और बासमती के खेतों में खाद का सही इस्तेमाल करने संबंधी भी सचेत नहीं हैं। वहीं खेती विशेषज्ञ हमेशा यही कहते हैं कि जिस खेत में गेहूं की बिजाई के समय खाद का इस्तेमाल किया हो, वहां धान या बासमती की रोपाई के समय दोबारा खाद की जरूरत नहीं होती, मगर किसान न सिर्फ दोबारा खाद डालते हैं, बल्कि दोगुनी मात्रा में। इससे खेती खर्च में बढ़ौतरी तो होती ही है, मिट्टी और फसल पर भी बुरा असर पड़ता है। अत: इस बात को सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसान धान की रोपाई के समय खाद का प्रयोग न करें।
नाइट्रोजन का अधिक इस्तेमाल खतरनाक
वहीं धान व बासमती को लगने वाली कई बीमारियों का कारण फफूंद है और अनेक बीमारियां यूरिया खाद के अधिक इस्तेमाल से भी बढ़ती हैं। खेती विशेषज्ञों के अनुसार नाइट्रोजन का अत्यधिक इस्तेमाल करने से फसल पर झुलस रोग, धब्बों के रोग, पत्तों का झुलस रोग, तने के गलने का रोग, झूठी कांगियारी और बंट जैसी बीमारियों का हमला भी अधिक होता है। वहीं नरम पत्तों पर कीड़े-मकौड़ों का हमला भी बढ़ता है मगर किसानों का रुझान यह है कि फसल का रंग हरा करने हेतु किसान एक-दूसरे को देख यूरिया खाद का इस्तेमाल करते हैं।
मिट्टी जांच के लिए प्रोत्साहित कर रहा विवि
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी किसानों को धान के खेतों में यूरिया के सही इस्तेमाल के लिए मिट्टी की परख कराने के अलावा नाइट्रोजन तत्व की जरूरत जानने के लिए पत्ता रंग चार्ट का इस्तेमाल करने के लिए उत्साहित कर रही है। यूनिवर्सिटी विशेषज्ञों ने धान की काश्त के लिए मध्यम उपजाऊ शक्ति वाली जमीनों में 90 किलो यूरिया, 27 किलो डी.ए.पी. और 20 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश को प्रति एकड़ डालने की सिफारिश की है। वहीं धान से पहले गेहूं की फसल में सिफारिश की गई फास्फोरस खाद डाली हो तो धान में फास्फोरस खाद डालने की जरूरत नहीं। इसी तरह पोटाश का इस्तेमाल भी इस तत्व की कमी वाले खेतों में ही करना चाहिए। किसानों को अच्छी पैदावार लेने के लिए वैज्ञानिकों की सलाह मुताबिक ही खाद का इस्तेमाल करें।